आगरा। ढोलीखार की तरह शहर के अन्य इलाकों में भी जर्जर मकान कभी भी हादसे का सबब बन सकते हैं। जिम्मेदार विभागों को भी इसकी जानकारी है। बावजूद इसके इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया। सिर्फ ऐसे आवास को चिह्नित किया गया। बता दें, बुधवार को ढोलीखार में जर्जर आवास के धराशायी होने से एक बच्ची समेत दंपत्ति की मौत हो गई थी।

156 भवन किए चिह्नित

शहर में 156 जर्जर भवनों को चिह्नित किया गया है। इसमें कैंटोनमेंट एरिया में 7 जर्जर भवन है। मंटोला में 7 और कोतवाली में 24 जर्जर आवास है। जर्जर आवासों की संख्या सबसे ज्यादा छत्ता क्षेत्र में हैं। यहां 40 आवास है। शहर मे जर्जर आवासों पर कार्रवाई का अधिकार नगर निगम को है। नियमानुसार उप्र नगर निगम अधिनियम की धारा 1959 की धारा 331 एक के तहत ऐसे भवनों को खाली कराने या डिमोलेशन की कार्रवाई करता है। अगर दोनों में कोई कार्रवाई नहीं की जाए, तो भवन स्वामी से उसकी मरम्मत कराई जाए। लेकिन इन दोनों में कोई काम नहीं किया गया है।

पुलिस क्वार्टर भी खस्ताहाल

पुलिस लाइन में बने जर्जर मकानों में पुलिसकíमयों के दर्जनों परिवार रहते हैं। बारिश के मौसम के चलते जर्जर मकान ढहने का खतरा बना रहता है। इससे यहां कभी भी हादसा हो सकता है। करीब एक वर्ष पूर्व मकान की छत भरभरा के नीचे गिर पड़ी थी। गनीमत रही कि उस समय मकान में रहने वाला परिवार अपने गांव गया था। इससे कोई जनहानि नहीं हुई है। वहीं छज्जा गिरने से एक महिला सहित दो लोग घायल हुए थे।

जर्जर मकानों में रहने वाले पुलिस परिवारों से बिल्डिंग खाली करने के लिए कहा गया है, लेकिन इसके बाद भी दर्जनों परिवार चोरी छुपे वहां रह रहे हैं। इसकी जांच कराई जाएगी। इसके साथ ही उच्चाधिकारियों को भी इसकी रिपोर्ट दी जाएगी।

सतीश शर्मा, आरईआई पुलिस लाइन

हमारे एरिया में जो भी जर्जर आवास है। हमारे पास प्रार्थना पत्र आते हैं, हम उनके मरम्मतीकरण की परमीशन जारी करते है। कोई जर्जर आवास है, तो वो एप्लीकेशन देकर उसके मरम्मत की अनुमति प्राप्त कर सकता है।

माधवेन्द्र सिंह, चीफ इंजीनियर, छावनी परिषद आगरा

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