आगरा: अगर आप भी बच्चों के साथ बैठकर जासूसी और क्राइम सीरियल देाते हैं तो सावधान हो जाएं। कमलानगर क्षेत्र में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है.क्लास थर्ड का स्टूडेंट बिना बताए घर से निकल गया। रात में सड़क पर ाटकता हुआ मिला तो पुलिस ने पूछताछ की। मासूम की बताई कहानी सुन पुलिस के होश उड़ गए। बाद में हकीकत जान पुलिस ने राहत की सांस ली।

पुलिस के उड़ गए होश

कमला नगर थाना क्षेत्र में रविवार रात को पुलिस गश्त पर थी। तभी उसे सूनसान सड़क पर एक आठ साल का बच्चा भटकता हुआ दिखाई दिया। पुलिस बच्चे के पास पहुंची। उससे रात को अकेले घूमने का कारण पूछा। इसके बाद बच्चे ने जो कहानी बताई उसे सुन पुलिस के होश उड़ गए।

कार में डालकर ले गए

बच्चे ने पुलिस को बताया कि कुछ लोग मेरा अपहरण करके ले जा रहे थे। मास्क पहने एक आदमी ने उसके हाथ में सुई लगाई। सिर के पीछे कुछ मारा। मुझे गाड़ी की डिग्गी में डालकर कहीं ले गए। इसके बाद उसने डिग्गी को खटखटाया तो वह खुली मिली। इस पर वह डिग्गी से निकलर भाग आया। ऐसा सुनते ही पुलिस के होश उड़ गए।

सीसीटीवी कैमरे में दिा अकेला

मासूम ने जिस अंदाज में कहानी बताई, उसको लेकर पुलिसकर्मियों को शक हुआ। पुलिसकर्मी बच्चे को थाने ले आई। उससे सहजता से पूछताछ की। इस दौरान आसपास के सीसीटीवी भी पुलिस ने देखे तो पता चला कि बच्चा अकेले ही चला जा रहा था।

इसलिए घर से निकल आया

पुलिस ने फिर से बच्चे से प्यार से पूछा तो बच्चे ने बताया कि वह कमलानगर का ही रहने वाला है। तीसरी क्लास में पढ़ता है और वह पिता से नाराज होकर घर से निकल आया है। क्योंकि

उसके पिता छोटे भाई को ताऊजी के यहां ले गए। उसे अकेला छोड़ गए। इस पर वह निकल आया, लेकिन रास्ता भूल गया।

यहां से ली कहानी

पुलिस ने जब उससे पूछा कि फिर ऐसा क्यों कहा कि कोई अपहरण करके ले जा रहा था। इस पर बच्चे ने कहा कि टीवी पर सीरियल में उसने ऐसा देखा था, जिसके बाद उसने ऐसी कहानी बताई। पुलिस ने तत्काल बच्चे के पिता से संपर्क कर उन्हें बुलाया और बच्चे को उनके सुपुर्द किया। बच्चे की इस हरकत को सुनकर परिजन भी शॉक्ड रह गए।

सोशल लर्निग थ्योरी कहती है कि जो हमने देा, वो हमने सीा। आज के दौर में जब पेरेंट्स बच्चों के साथ टीवी पर सीरियल देा रहे हैं, तो उन्हें ये बताए कि क्या गलत है और क्या सही है। पेरेंट्स बच्चों को बताएं कि टीवी पर दिाया जा रहे सीरियल में एक कहानी है, जबकि सामान्य स्थिति में ऐसा नहीं होता। कई बार बच्चे डर के चलते ाी इस तरह की कहानी बना देते हैं।

डॉ। पूनम तिवारी, मनोवैज्ञानिक

मौजूदा समय में लोग पेरेंटिंग पर ध्यान नहीं देते। जबकि बच्चो की परवरिश बहुत बड़ी जिमेदारी होती है। बच्चों की परवरिश आप जिस तरह से करेंगे बच्चे वैसे ही बनेंगे। अभिभावकों को बच्चों के क्रियाकलापों (दृष्य व श्रव्य) पर समुचित ध्यान देने की आवश्यकता होती है कि बच्चे किस तरह के क्रियाकलापों में उत्साहित या हतोत्साहित होते हैं। बच्चे टीवी या मोबाइल पर क्या देख रहे है और उनको किस तरह से समझ रहे हैं उसकी निगरानी बहुत जरूरी है। माता-पिता को बच्चों के साथ समुचित संवाद करना चाहिए, जिससे एक ओर आप बच्चे के मनोभावों को समझेंगे वही दूसरी ओर बच्चे के अंदर संवेगात्मक विवेक अर्थात स्थिरता का विकास कर पाएंगे।

डॉ। श्रीती सगर, चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट

रविवार रात करीब साढ़े सात बजे श्रीराम चौक पर मासूम के पिता मिले थे। वह अपने बच्चे को ढूंढ़ रहे थे। जानकारी होते ही हमने सर्च शुरू किया। मासूम क्षेत्र में ही सड़क पर मिल गया। मासूम ने जो कहानी बताई वो चौंकाने वाले थी। लेकिन हमने पूरी जांच की। सीसीटीवी चेक किए। आठ घंटे में ही पूरे मामले का पटाक्षेप कर दिया गया। बाद में बच्चे ने हकीकत बताई। बच्चा परिजनों को सौंप दिया गया है।

नरेंद्र शर्मा, एसओ, कमलानगर

इस तरह की घटना हमारे साथ ाी हुई थी। तब मैं आठवीं क्लास में पढ़ता था। हमारे स्कूल के छठवीं क्लास का लड़के ने ाी इसी तरह की मनगढ़ंत कहानी पुलिस को सुनाई। हर इंसान के अंदर एक शैतानी दिमाग होता है। हम अपने विवेक के द्वारा उस शैतानी दिमाग पर काबू पाते हैं। ये हमारे परिवेश और लालन-पालन के ऊपर डिपेंड करता है कि जो शैतानी दिमाग है उस पर कितना कंट्रोल कर पाते हैं। आज के दौर में टीवी पर ाुलेआम इस तरह के क्राइम सीरियल दिाए जाते हैं। इसे बच्चे देाते हैं। उनके दिमाग में आता है कि ये कोई अपराध नहीं है। ऐसे में मैं क्यों नहीं कर सकता। फितरती दिमाग वाले बच्चे इस तरह की हरकत कर देते हैं।

डॉ। केसी गुरनानी, मनोचिकित्सक