आगरा (ब्यूरो)। परीक्षा से पहले जब करेक्शन विंडो खुलती थी। उसी समय में ये एक एप के जरिए केंडिडेट के फोटो, साइन और फोटो के ऊपर परीक्षा कराने वाली एजेंसी के वाटरमार्क में बदलाव करके असली अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर की डिटेल संबंधित विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करके असली अभ्यर्थी की जगह सॉल्वर बैठा देते थे। हरीपर्वत पुलिस ने ऐसे ही साइबर गैंग को गिरफ्तार किया है जो मोटी रकम लेकर पहले से सरकारी नौकरी कर रहे लोगों से पेपर दिलाते थे।

-इस तरह काम करता है करेक्शन विंडो
परीक्षार्थी किसी भी नौकरी के लिए परीक्षा फॉर्म भरते हैं तो उस समय ये लोग कुछ न कुछ गलती कर बैठते हैं। कई बार छोटी सी गलती की वजह से उनका फॉर्म रिजेक्ट हो जाता है। इसके समाधान के लिए अलग-अलग परीक्षाओं की तिथि से पहले दो दिन के लिए करेक्शन विंडो को खोला जाता है। इस अवधि में जिन लोगों से फॉर्म भरते समय कोई गलती रह गई हो वो इसमें बदलाव कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए लॉगिन कोड या बार कोड की जरूरत होती है तभी करेक्शन विंडो ओपन हो पाती है। करेक्शन विंडो के द्वारा परीक्षार्थी को फोटो नाम हस्ताक्षर थम्ब इम्प्रेशन परीक्षा केंद्र के अलावा अन्य कई विवरण बदल सकते हैं हालांकि इसमें नाम और ईमेल आईडी में बदलाव नहीं कर सकते।

-ये है करेक्शन का प्रोसेस
- संबंधित विभाग जिसकी परीक्षा है उसकी आधिकारिक वेबसाइट जाना होता है।
-होम पेज पर दिए गए एप्लीकेशन फॉर्म करेक्शन विंडो लिंक क्लिक करें।
-कैंडिडेट अपना लॉगिन क्रेडेंशियल दर्ज कर सबमिट करें।
-फॉर्म संशोधन कर जो बदलाव हों उनको फिल करके और सबमिट कर दें।
-पीडीएफ एडिट ऑल एप से करते थे फर्जी कागज अपलोड
-करेक्शन विंडो ओपन होने के बाद संबंधित विभाग की वेबसाइट पर जा कर फॉर्म की डिटेल में बदलाव किया जा सकता है। पकड़े गए साइबर अपराधी पहले अभ्यर्थी से मोटा पैसा तय करते थे। इसके बाद ये उनकी ईमेल आईडी और लॉगिन कोड ले कर पीडीएफ एडिट ऑल से फोटो और साइन के साथ ही फोटो का वाटरमार्क मॉर्फ कर पहले से नौकरी कर रहे सॉल्वर का फोटो विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर देते थे। जिससे सॉल्वर की डिटेल विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड हो जाती थीं और बड़े आराम से सॉल्वर किसी दूसरे का पेपर दे देते थे।

-इस तरह काम करता है पीडीएफ एडिट ऑल एप।
-पीडीएफ एडिट एप में फ़ाइल खोलें।
-लेफ्ट बार में पीडीएफ एडिट टूल पर क्लिक करें।
-एडिट टूल्स का इस्तेमाल करें।
-फ़ॉर्मेट लिस्ट से चयनों का इस्तेमाल करके नया टेक्स्ट जोड़ें।
-टेक्स्ट एडिट करें या फ़ॉन्ट अपडेट करें।
-एडिट की गई पीडीएफ फाइल सेव करें अब फ़ाइल को नाम दें।
-सेव करें, बटन पर क्लिक कर फ़ाइल सेव कर दें।
इस तरह इस एप से पीडीएफ फाइल में चेंज किया जा सकता है।

-ये हुए गिरफ्तार।
थाना हरीपर्वत पुलिस और साइबर सेल की संयुक्त कार्यवाई में शनिवार को पालीवाल पार्क के पास से तीन युवकों को गिरफ्तार किया। ये युवक किसी एक व्यक्ति से परीक्षा दिलाने की डील कराने वाले थे तभी पुलिस ने इनको दबोच लिया। पकड़े गए अपराधी मनीष कुमार पुत्र विजय सिंह निवासी कुआखेड़ा थाना ताजगंज, ओमपाल सिंह पुत्र रविंद्र सारंगपुर थाना फतेहाबाद ,अरुण यादव पुत्र महाराज सिंह नगला बरी थाना पचोखरा फिरोजाबाद हैं।

-परीक्षा एजेंसी, पुलिस फ़ोर्स के लोगों से है मिलीभगत।
-पकड़े गए अपराधी एक ही ट्रेंड से काम करते थे ये परीक्षा में उसी सॉल्वर को बैठाते थे जो पहले से किसी न किसी विभाग और पद पर काम कर रहा हो। पुलिस फ़ोर्स के अलावा भी कई अन्य विभागों के लोगों के नाम के अलावा एजेंसी के जिम्मेदार लोगों के नाम और नंबर भी इनके पास से मिली एक डायरी में पुलिस को मिले हैं। पकड़े गए युवक मनीष के तीन भाई भी पुलिस और पैरा मिलिट्री में तैनात हैं। पुलिस अब इस कड़ी पर भी काम कर रही है कि कहीं वे भी इसी तरह सॉल्वर गैंग के जरिए ही पुलिस में भर्ती नहीं हुए हैं।


सूचना के आधार पर पुलिस ने सॉल्वर गैंग के शातिर अपराधियों को पकड़ा है ये एक मोबाइल एप से करेक्शन विंडो पर सॉल्वर का फोटो विभाग की वेबसाइट पर अपलोड कर देते थे। इससे सॉल्वर की डिटेल विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड हो जाती थीं। इनके पास से कुछ अन्य अहम जानकारियां मिली हैं जिन पर पुलिस काम कर रही है।

सूरज राय, पुलिस उपायुक्त नगर.