- एक बार में पांच टूरिस्ट्स को मुख्य गुंबद में जाने का भेजा है प्रस्ताव

- एएसआई के महानिदेशक स्तर से होगा फैसला, 21 से खुलेगा ताज

आगरा। ताजमहल का दीदार करने का इंतजार टूरिस्ट्स के लिये 21 सितंबर को खत्म हो जाएगा। ताज और आगरा किला टूरिस्ट्स के लिए खुल जाएंगे। टूरिस्ट्स ताजमहल का तो भ्रमण कर सकेंगे, लेकिन ताज के शाहजहां और मुमताज की कब्र वाले मुख्य गुंबद के भ्रमण पर अभी फैसला लिया नहीं लिया गया है। इसके लिए एएसआई (आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के आगरा सíकल ने पूरी योजना बनाकर महानिदेशक कार्यालय को भेज दी है। वही इस पर अंतिम फैसला करेंगे।

पांच मिनट के लिए मुख्य गुंबद में जाने की योजना

मोहब्बत की निशानी ताजमहल के दीदार के लिए दुनियाभर से टूरिस्ट्स आते हैं। वे यहां आकर शाहजहां और मुमताज के प्यार को महसूस करते हैं। मुख्य गुंबद के भीतर बनी शाहजहां और मुमताज की कब्र का भी भ्रमण करते हैं। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मुख्य गुंबद में भीड़ न बढ़े, इसलिए एक बार में 5 टूरिस्ट्स को ही गुंबद के अंदर जाने की योजना बनाई गई है। ताजमहल के दक्षिणी गेट से गुंबद में प्रवेश किया जाएगा। यमुना नदी के किनारे उत्तरी गेट से टूरिस्ट्स को बाहर निकाला जाएगा। प्रवेश और निकास की यह योजना बनाकर एएसआई मुख्यालय दिल्ली को भेज दी गई है.इस पूरी योजना पर अंतिम निर्णय महानिदेशक स्तर पर लिया जाएगा।

200 रुपये अलग से है मुख्य गुंबद का टिकट

ताजमहल में प्रवेश के लिए भारतीय टूरिस्ट्स के लिए 50 रुपये का प्रवेश टिकट है, लेकिन मुख्य गुंबद पर प्रवेश के लिए 200 रुपये का अतिरिक्त टिकट खरीदना होता है। ताजमहल की वेबसाइट पर ऑनलाइन टिकट खरीदने के लिए यह दोनों ही विकल्प मौजूद हैं। कोविड-19 प्रोटोकॉल में 21 सितंबर से जब ताजमहल खुलेगा तो दोनों ही तरह के टिकट उपलब्ध कराए जाएंगे।

10 फीसदी ही देखते थे कब्र

कोरोना से पहले ताज पर जो पर्यटक आते थे उनमें से 10 फीसदी ही मुख्य गुंबद में शाहजहां और मुमताज की कब्र देखने के लिए पहुंचते थे। फिलहाल ताजमहल में कम ही टूरिस्ट्स रहने वाले हैं। इस स्थिति में मुख्य गुंबद के लिए भी कम ही लोग टिकट खरीदेंगे। इस कारण यहां पर शुरूआती दिनों में भीड़ भी नहीं लगेगी। आसानी से 5-5 टूरिस्ट्स मुख्य गुंबद के भीतर प्रवेश कर सकेंगे। अगर मुख्य गुंबद को बंद किया जाएगा तो एएसआई को अलग से अधिसूचना जारी करनी होगी। एएसआई अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि इस संबंध में एएसआई मुख्यालय ही अंतिम फैसला करेगा।

बुरहानपुर से आगरा लाए गए थे मुमताज के अवशेष

मुमताज महल को सबसे पहले आगरा में नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले की जैनाबाद तहसील में दफनाया गया था। मुमताज की कब्र ताप्ती नदी के पूर्व में आज भी स्थित है। जैनाबाद में जब वह 17 जून सन् 1631 अपनी 14वीं संतान गौहर आरा को जन्म दे रही थीं, उसी दौरान उनकी मौत हो गई थी। इतिहासकारों की मानें तो सन् 1631 में जब लोधी ने विद्रोह किया, तब शाहजहां मुमताज को लेकर बुरहानपुर आ गए। उस वक्त मुमताज गर्भवती थीं, वह अपनी चौदहवीं संतान को जन्म देने वाली थीं। यहीं पर उनकी प्रसव पीड़ा के बाद मृत्यु हो गई। इसके बाद उन्हें छह महीने तक यहीं दफनाया गया था। जैनाबाद में छह महीनों तक उन्हें यहां दफनाने के बाद उनके अवशेष का आगरा के ताजमहल में स्थानांतरण किया गया था।