आगरा(ब्यूरो)। इस जटिल सर्जरी को गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के सहायक आचार्य डॉ। विजय कुमार सैनी और डॉ। चंदन चटर्जी द्वारा लेजर ऑपरेशन थियेटर में किया गया। डॉ। विजय ने बताया कि पहला मरीज गोरखपुर निवासी 15 साल से और दूसरा मरीज आगरा निवासी 13 साल से पेट दर्द की शिकायत लेकर ओपीडी में आए। मरीज की सीटी स्कैन रिपोर्ट में पैनक्रियाज मे स्टोन होने का पता चला, साथ ही पैनक्रियाज की डक्ट डाईलेटिड थी। मरीज के पैनक्रियाज मे स्टेंट भी कराया गया था लेकिन कोई आराम नहीं मिला। मरीज का ऑपरेशन करना तय किया गया। मरीज को शुगर भी थी, इसलिए पहले शुगर कंट्रोल की गई। इसके बाद ऑपरेशन किया गया। अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ और दर्द ठीक हो गया है।

सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष और यूरोलॉजिस्ट डॉ। प्रशांत लवानिया ने बताया कि ऐसे ऑपरेशन प्राइवेट हॉस्पिटल में लाखों रुपए खर्च हो जाते हैैं। जबकि एसएन मेडिकल कॉलेज में नि:शुल्क ऑपरेशन किया गया है। डॉ। विजय ने बताया कि पैनक्रियाज मे ग्रन्थि के पास कई खून के नलिया होने से रक्तचाप के आशंका थी। पैनक्रियाज मे नली खोलकर अंदर की पथरी निकाली गई। आंत को काट कर रु-एन-वाए लूप बनाया गया। इसमें एक आंत का टुकड़ा पैनक्रियाज की नली मे जोड़ा गया। ऑपरेशन में डॉ नितिका, डॉ। लवप्रिया, डॉ। दीपक , एनएसथेसिया विभाग के डॉ। निलांसा, डॉ। रेनू ने सहयोग किया। डॉ। हरिसिंह रेडियोडाइगनोस्टिक विभागाध्यक्ष का भी मरीज की जांचों में सहयोग रहा।

क्या है क्रोनिक पैनक्रिएटाइसिस
डॉ। विजय कुमार सैनी ने बताया कि इस रोग में मरीजों में इंसुलिन व खाना पचाने का एन्जाइम बनाने वाली अग्न्याशय (पैनक्रियाज) ग्रन्थि की नली में रुकावट से ग्रन्थि नष्ट होने लगती है। खून में इंसुलिन की कमी से शुगर हो जाता है। खाना न पचने के कारण वजन कम होने लगता है, साथ ही साथ अत्यधिक दर्द की शिकायत रहती है। लंबे समय तक रुकावट रहने से पैनक्रियाज मे पथरी बनने लगती है। तब इसे क्रोनिक केलिसेफिक पैनक्रिएटाइसिस कहते है।

क्या है इलाज
शुरुआती अवस्था में दवाई से इलाज करते है, अगर आराम नहीं मिलता तब पैनक्रियाज की सर्जरी कर मरीज को ठीक किया जाता है।


मेडिकल कॉलेज में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम द्वारा कॉलेज में सफल सर्जरी की जा रही हैं। आगरा एवं आसपास के मरीज एसएन मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन कराकर लाभ ले रहे हैं।
- डॉ। प्रशांत गुप्ता, प्रिंसिपल, एसएनएमसी