जल जीवन मिशन की गाइड लाइंस को लागू करने की तैयारी

हाइड्रो जियोलॉजिकल मैप पता लगाया जल स्तर और गुणवत्ता

आगरा। हैंडपंप लगने की बात हो या फिर सबमर्सिबल, ये अब केवल सांसद, विधायक या फिर प्रधान की मर्जी से नहीं लगेंगे। माननीय द्वारा दिए गए स्थान के प्रस्ताव पर जल निगम वहां के जल स्तर को परखेगा। पानी पीने योग्य है या फिर नहीं, इसी के आधार पर हैंडपंप या फिर सबमर्सिबल लग सकेंगे। अन्यथा की स्थिति में फिर से दोबारा से प्रस्ताव मांगा जाएगा। उसी के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

इन पर रहेगा फोकस

अभी तक माननीयों द्वारा अपने-अपने समर्थकों के नाम की सूची भेज दी जाती थी। उसी के आधार पर हैंडपंप या फिर सबमर्सिबल लग जाती है। लेकिन, अब जिनके नामों की सूची भेजी जाती है, उस स्थान पर पानी मीठा है या फिर नहीं। पीने योग्य है या फिर बीमारियों को जन्म देने वाला है, इसकी जांच पड़ताल की जाएगी। यूपी जल निगम व संबंधित अन्य एजेंसियों के इंजीनियर अब एक खास तकनीक के सहारे यह तय करेंगे कि किस जगह पर भूजल कितनी गहराई में मिलेगा, कितना मिलेगा और पीने लायक मिलेगा या नहीं। साथ ही इस बात की भी जांच हो जाएगी कि जो पानी मिलेगा, उसमें कहीं कैंसर, अपंगता व अन्य घातक बीमारियां देने वाले आर्गेनिक, फ्लोराइड, आयरन, कैल्शियम कार्बोनेट आदि रसायनों की अधिकता तो नहीं है।

जल्दी नहीं हो सकेंगे फेल

गौरतलब है कि अभी तक एक साल और इससे अधिक दो साल में हैंडपंप या फिर सबमर्सिबल फेल हो जाते हैं। जल स्तर गिर जाने के कारण अक्सर ये लटक जाते हैं। फिर से लोग शिकायत करते हैं, जिस पर री-बोर आदि की कार्रवाई की जाती है। इसके कारण ये योजना कुछ ही ही लोगों और परिवारों तक सीमित रह जाती है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। इसके लिए इसरो के निर्देशन में यूपी रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर ने हाइड्रो जियोलॉजिकल मैप तैयार किया है। इस मैप के सहारे अब प्रदेश भर में जल निगम व अन्य एजेंसियां हैंडपंप और सबमर्सिबल के लिए बोरिंग करने से पहले यह देखेंगे कि अमुक स्थान पर जमीन के नीचे किस सतह पर कितना पानी है और यह पानी किस गुणवक्ता का है। नए हाइड्रो जियोलॉजिकल मैप के सहारे इंजीनियर अच्छी गुणवत्ता, भरपूर मात्रा वाले भूजल स्रोतों की पहचान कर सकेंगे।

पीएम मोदी की पहल पर तैयार जल जीवन मिशन की गाइड लाइन के अनुसार ऐसा होने जा रहा है। अक्सर गुणवत्ता और पानी के जल स्तर की समस्या के कारण अन्य समस्याएं पैदा हो जाती हैं। अब ऐसा नहीं हो सकेगा।

जे रीभा

सीडीओ