आगरा( ब्यूरो). कोविड-19 से रिकवर मरीजों में डिप्रेशन, एंग्जाइटी और डिमेंशिया के लक्षण पनप रहे हैं। यह बीमारी ना सिर्फ शरीर को प्रभावित करती है, बल्कि इसका असर मस्तिष्क पर भी देखने को मिलता है। इन दिनों मेंटल हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों में अधिकतर डिप्रेशन, एंग्जाइटी और डिमेंशिया के लक्षण मिल रहे हैं।

कोविड के मरीजों मेें पनप रहे लक्षण
मनोविज्ञानिक डॉ। पूनम तिवारी के अनुसार जो लोग कोविड-19 से रिकवर हो चुके हैं, उनमें मानसिक बीमारियों के पनपने का खतरा अधिक रहता है। कोविड-19 के कुछ मरीजों में इस वायरस से उभरने के बाद मानसिक रोग, जैसे डिप्रेशन, एंग्जाइटी और डिमेंशिया के लक्षण देखने को मिले है। जिनको कोरोना वायरस नहीं हुआ उनके मुकाबले कोरोना पीडि़तों में मानसिक रोग होने की दोगुनी संभावना है।

ओपीडी में आ रहे 150 से अधिक मरीज
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के निदेशक डॉ। ज्ञानेन्द्र कुमार, एमडी, साईकेट्री के कोरोना से रिकवर हुए मरीज़ों में चिंता, अनिद्रा, और अवसाद जैसे लक्षण दिख रहे हैं। अधिकतर कोविड-19 से रिकवर होते हैवर्तमान में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान केन्द्र में लगने वाले मरीजों में पहले की अपेक्षा इजाफा हुआ है, पहले 100 के आसपास ही मरीज आते से अब उनकी संख्या 150 से अधिक हो चुकी है।

मरीजों में एंग्जाइटी डिसऑर्डर
अगर दूसरे शब्दों में कहें तो पहली बार कोविड-19 से रिकवर होने वाले मरीज़ों में मूड और एंग्जाइटी डिसऑर्डर, चिंता, अनिन्द्रा, लगातार नकारात्मक विचार आना, पनपने की संभावना ज्यादा होती है। जबकि कोविड-19 के बुजुर्ग मरीज़ों में दो से तीन गुना ज्यादा डिमेंशिया होने का खतरा अधिक होता है।

परिवार में अकेली बुजुर्ग महिला
सिकंदरा स्थित एक गेटबंद कॉलोनी कोविड-19 से विजेन्द्र कुमार गुप्ता और उनका बेटा, पुत्र वधु की कोरोना वायरस के चलते मौत हो गई। वर्तमान में पविार में एक बुजुर्ग महिला है, जिसमें डिप्रेशन, एंग्जाइटी और डिमेंशिया के लक्षण मिले हैं, उनका एलाज चल रहा है। अचानक तेज आवाज में बोलना, घंटो एक ही मुद्रा में पड़े रहना, नींद नहीं आना, नकारात्मक विचार इसका कारण बताया गया है।

बुजुर्ग महिला में डिमेंशिया के लक्षण
दयालबाग वीर नगर में रहने वाला एक परिवार के तीन सदस्यों की कोविड-19 के इनफेंक्शन से मौत हो गई। परिवार में एक बुजुर्ग महिला और उनकी नातिन है। वर्तमान में बुजुर्ग महिला मानसिक अवसाद का शिकार है। घटना के तीन, चार महीने तक लगातार रोना, खाने और पीने के लिए भी कहा जाता था,ऐसे मेें रिश्तेदारों द्वारा महिला का उपचार कराया जा रहा है।

डिप्रेशन
लगातार नकारात्मक विचारों का आना, असुरक्षा की भावना, इसका मुख्य कारण है। इसके चलते लोग डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं।

एंग्जाइटी
-चिंता भी इसका मूुख्य कारण है, परिवार के बारे में सोचना, अगर कोई सदस्य घर के बाहर है तो दुर्घटना की आशंका एंग्जाइटी की श्रेणी में आता है।

डिमेंशिया
-सोचने समझने की शक्ति कम होना और कही हुई बातों को भूलना, कोविड के मरीजों में दी दावाओं के चलते मैमोरी लॉस की अधिक संभवना रहती है।

कैसे करें अपना डिप्रेशन दूर
-सबसे पहले डिप्रेशन दूर करने के लिए आठ घंटे की नींद लें।
-नींद पूरी होगी तो दिमाग तरोताजा होगा और नकारात्मक भाव मन में कम आएंगे।
-प्रतिदिन सूरज की रोशनी में कुछ देर जरूर रहें। इससे अवसाद जल्दी हटेगा।
-बाहर टहलने जाएं। खुद को व्यस्त रखें।
-अपने काम का पूरा हिसाब रखें।
-ध्यान व योग को दिनचर्या में शामिल करें।
-मरीज की काउंसलिंग होना भी जरुरी है।

डिप्रेशन, एंग्जाइटी और डिमेंशिया के मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है, पिछले दिनों की तुलना में ओपीडी में अधिक मरीज आ रहे हैं। इसमें कोविड पॉजिटिव को मेंसन करने का विकल्प नहीं है। रोजाना सौ से डेढ़ सौ तक मरीज आ रहे हैं।
डॉ। ज्ञानेन्द्र सिंह, निदेशक मानसिक स्वास्थ्य संस्थान


कोविड के मरीजों में एस्टारॉयड जैसे मेडिसन के चलते डिप्रेशन, एंग्जाइटी और डिमेंशिया की लक्षण सामने आ रहे हैं। ऐसे में मरीजों को काउंसलिंग की जरुरत होती है। इसके साथ ही उनको अकेला नहीं छोडऩा चाहिए।
डॉ। पूनम तिवारी, मनोवैज्ञानिक आरबीएस कॉलेज


मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में वर्तमान आंकड़े
-वर्तमान मरीज
350
-रोजाना मरीजों की संख्या
150
-एक महीने पूर्व मरीजों की संख्या
100