-ब्रिटिश काल से चल रहे हैं ताजमहल पर तांगे

-नहीं निकल रहा तांगे वालों का खर्च

आगरा। लॉकडाउन के कारण बंद हुआ आगरा का टूरिज्म अब तक लॉक है। लॉकडाउन तो खुल गया है लेकिन आगरा के टूरिज्म की उम्मीदें अभी तक नहीं खुल सकी हैं। ताजनगरी टूरिज्म सिटी है और यहां पर हजारों लोगों को टूरिज्म से रोजगार मिलता है। ताजमहल के आसपास तांगा चलाने वाले भी इनमें शामिल हैं। ताजमहल आने वाले देशी-विदेशी पर्यटक ताजमहल के आसपास तांगे में सवारी करना पसंद करते हैं। लेकिन, इन दिनों टूरिज्म बंद होने से तांगे भी बंद पड़े हुए हैं। हालात ये हैं कि तांगे वाले भूखे रहने को मजबूर हैं।

ब्रिटिश काल से चलते हैं तांगे

पहले मोटर कार नहीं होती थी और पुराने जमाने में लोग घोड़ों और तांगे के जरिये ही सवारियां करते थे। ताजमहल पर ब्रिटिशकाल से ही तांगा गाडि़यां चलती थीं। अब ये काफी कम हो गई हैं, लेकिन जितनी भी चल रही हैं, तांगे वालों को इससे रोजगार मिलता है। विदेशी टूरिस्ट्स तांगा गाड़ी में सवारी करना पसंद करते हैं। लेकिन इन दिनों टूरिज्म बंद होने के कारण ये भी पूरी तरह से बंद हैं। इसके कारण ताजमहल के आसपास तांगा चलाने वालों की इनकम का साधन पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। हालात ये हैं कि इस वक्त घोड़ों का खर्चा निकालना भी मुश्किल हो रहा है। तांगा चालक तैय्यब बताते हैं कि इस वक्त वे अपने घोड़े को सूखा भूसा खिलाने को मजबूर हैं। वे बताते हैं लॉकडाउन के दौरान उनके घोड़े की सेहत आधी हो गई है। वे बताते हैं कि आम दिनों में वे अपने घोड़े को चना, दाल, हरी घास इत्यादि खिलाते थे। लेकिन इस वक्त उनके पास ही खाने के लिये पैसे नहीं हैं तो वे कैसे अपने घोड़े को चना और दाल खिला पाएंगे।

एक-एक पैसे को मोहताज

ताज के आसपास तांगा चलाने वाले इन दिनों एक-एक पैसे को मोहताज हैं। जब से टूरिज्म बंद हुआ है, तब से उनका रोजगार का साधन पूरी तरह से छिन गया है। घोड़ों का इलाज करने वाले सलमान बताते हैं कि वे पहले खूब पैसे कमाते थे। क्योंकि तांगे वालों के पास पैसा होता था। अब तांगे वाले खुद एक-एक पैसे के लिये मोहताज हैं तो वे अपने घोड़े का इलाज भी नहीं करा पा रहे हैं। उनका कहना है कि कुछ तांगे वालों के घोड़े भी इस लॉकडाउन के बाद मर गये हैं। सलमान का काम भी इन दिनों ठप पड़ा हुआ है।

ताज के खुलने पर टिकी आस

ताजमहल बंद है और इस कारण आगरा में टूरिस्ट्स नहीं आ रहे हैं। तांगे वालों के ग्राहक भी विदेशी टूरिस्ट्स ही ज्यादा होते हैं। इसलिये तांगे वालों को उम्मीदें हैं कि ताज खुले तो विदेशी टूरिस्ट्स आये और इसके बाद उनकी आमदनी फिर से शुरू हो सके। तांगा चालक कहते हैं कि यह काफी मुश्किल वक्त है हमारे घरों में इस वक्त अनाज तक नहीं है लेकिन एक दिन दोबारा से खुशहाली आएगी। जब ताज खुलेगा तब धीरे-धीरे ही सही लेकिन टूरिस्ट्स का आना शुरू होगा और तांगे वालों को सवारियां मिलना भी शुरू हो जाएगा।

हम पहले ताज के आसपास तांगा चलाते थे, लेकिन अब ये पूरी तरह से बंद है। इस कारण कोई आमदनी नहीं हो पा रही है। इनकम के सोर्स न हो पाने के कारण हम अपने घोड़ों को भी चारा नहीं खिला पा रहे हैं।

-नूरी, तांगा चालक

कोरोनावायरस के कारण हमारा काम पूरी तरह से ठप है। ताजमहल बंद पड़ा हुआ है। इस कारण टूरिस्ट्स आ नहीं रहे हैं। हमारे तांगे में तो केवल टूरिस्ट्स ही बैठते थे, लेकिन अब सब बंद है। अब ताज के खुलने का इंतजार है।

-तैय्यब, तांगा चालक

इस वक्त इतनी बुरी हालत है कि हम अपने लिए और अपने घोड़ों के लिए खाने का भी इंतजाम नहीं कर पा रहे हैं। लॉकडाउन के बाद में मेरा एक घोड़ा मर गया। एक अन्य घोड़े की हालत भी काफी खराब है।

-अमरुद्दीन, तांगा चालक