आगरा। दुआ के साथ दवा वितरण की परंपरा इस बार भी प्रसिद्ध गुरुद्वारा गुरू के ताल पर हुई। शरद पूर्णिमा की रात्रि पर मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह ने खीर में मिलाकर दवाई का वितरण किया। इस खीर को खाने के लिए उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान, असोम, छत्तीसगढ़, बिहार एवं पश्चिम बंगाल से हजारों की संख्या में मरीज आते हैं। गाय के दूध से बनी खीर में कई तरह की जड़ी-बूटियों से बनी दवा मिलाई जाती है। इस दवा को बनाने में एक महीने का समय लगता है। दवाई वाली खीर रातभर के लिए चांद की किरणों में रखी जाती है। सुबह चार बजे नितनेम के पाठ के बाद दवा का वितरण किया गया। उसके बाद मूली की सब्जी बिना छौंक की खिलाई गई। दवा वितरण में संत बाबा प्रीतम सिंह, मास्टर गुरनाम सिंह, इंदरजीत सिंह, महंत हरपाल सिंह, बंटी ग्रोवर, ग्रंथी टीटू सिंह, डॉ। अनिल कटार, नरेंद्र सिंह खनूजा आदि का योगदान रहा। दरबार हॉल में हजूरी रागी जगतार सिंह व हरजीत सिंह कोमल ने गुरुवाणी का गायन किया। ज्ञानी केवल सिंह ने गुरु इतिहास का वर्णन किया।

एक महीने में तैयार की जाती है विशेष खीर

खीर गाय के दूध की बनी होती है। जिसमें विशेष किस्म का चावल इस्तेमाल किया जाता है। इसे मिट्टी के सकोरे में दिया जाता है। ये दवा कई तरह की जड़ी बूटियों से बनी होती है, जिसे लगभग एक महीने में तैयार किया जाता है।