आगरा (ब्यूरो)। इतिहास के पन्नों पर नजर डालने पर जानकारी मिलती है कि मुगल शहंशाह अकबर ने अपने प्रिय घोड़े की मृत्यु होने पर उसकी कब्र पर घोड़े की यह मूर्ति लगवाई थी। आगरा-मथुरा हाईवे पर रेलवे ओवरब्रिज के नजदीक बाईं तरफ इतिबारी खां की मस्जिद के परिसर में रेड सैंड स्टोन के प्लेटफॉर्म पर लगी हुई घोड़े की मूर्ति ध्यान आकर्षित करती है। एक ही पत्थर को तराशकर बनाई गई मूर्ति के बारे में एएसआई द्वारा वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार यह मूर्ति अकबर ने अपने प्रिय घोड़े की मृत्यु के बाद उसकी कब्र के ऊपर लगवाई थी। अकबर ने दिल्ली से आगरा तक अपने घोड़े पर सफर किया था। थकान के चलते घोड़े की मौत हो गई और उसे यहीं दफना दिया गया। घोड़े की कब्र वर्तमान जगह न होकर कहीं और थी। रेलवे लाइन के पास पड़ी मिली घोड़े की मूर्ति को आज से 98 वर्ष पूर्व 1922 में वर्तमान जगह लगा दिया गया था। घोड़े की मूर्ति के कान और पैर टूटे हुए थे। इसलिए उसे प्लेटफार्म बनाकर लगाया गया है, जबकि पूर्व में यह घोड़ा अपने पैरों पर खड़ा था।

जहांगीर का दरबारी था इतिबारी खां
इतिबारी खां जहांगीर का दरबारी था। उसने सूफी संत ख्वाजा काफूर के लिए मस्जिद, कुछ कमरे व कुआं बनवाया था। वर्ष 1622 में इतिबारी खां आगरा का गर्वनर रहा था। किला व टकसाल की सुरक्षा का जिम्मा उस पर था। वर्ष 1623 में शाहजहां ने जब आगरा को अपने अधिकार में करने की कोशिश की थी, तब इतिबारी खां ने उसे हराया था। इसके बाद जहांगीर ने उसे मुमताज खां की उपाधि और छह हजार का मनसब प्रदान किया था। वर्ष 1623 में ही उसकी मृत्यु हो गई थी।