देवदत्त
आगरा(ब्यूरो)। इस रिसर्च की फाइंडिंग्स के अनुसार अब प्री-एक्सडीआर मरीज जल्दी स्वस्थ हो सकेंगे। अब इन मरीजों को दो साल तक दवा नहीं खानी पड़ेगी। वह छह माह में ही स्वस्थ हो जाएंगे। एसएन मेडिकल कॉलेज के टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ। संतोष कुमार ने बताया कि आईसीएमआर द्वारा डिपार्टमेंट में प्री-एक्सडीआर मरीजों को लेकर मोडिफाइड बीपाल रेजिमेंट रिसर्च किया जा रहा है। इसमें बीते डेढ़ साल से एक्सडीआर टीबी को लेकर रिसर्च किया जा रहा है। मरीजों को हम विभिन्न बैच में 60 मरीजों को बिडाक्यूलिन, प्रिटामोमेनिड और लिवोजोनिड दवाएं दे रहे हैैं। इसमें सामने आया कि प्री-एक्सडीआर मरीज छह महीने में स्वस्थ हो सकते हैैं। अब तक इन मरीजों को दो साल तक दवाएं खानी पड़ती थी।

यह है एक्सडीआर टीबी
डॉ। संतोष ने बताया कि जब एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी के रोगी की दवा शुरू करने के छह माह बाद भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो वह एक्सडीआर(एक्सटेंसिवली ड्रग रेजिस्टेंट) टीबी की श्रेणी में आ जाते हैं। टीबी की खतरनाक श्रेणी एक्सडीआर है। इससे सावधानियां बरतने की सबसे ज्यादा जरूरत है। इसके लिए दवा नियमित लेनी होती है।

देश में सात स्थानों पर रिसर्च
डॉ। संतोष ने बताया कि यह रिसर्च आईसीएमआर द्वारा देश में सात जगह पर की जा रही है। इसमें दो मुंबई के संस्थान, एक गुजरात का संस्थान, एक लखनऊ के संस्थान, एक दिल्ली और आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में यह रिसर्च की जा रही है। हमारी अब तक की फाइंडिंग्स में सामने आया है कि 85 परसेंट मरीज छह माह के भीतर स्वस्थ हो रहे हैैं।

प्री-एक्सडीआर टीबी को लेकर डिपार्टमेंट में मॉडिफाइड बीपाल रेजिमेंट रिसर्च की जा रही है। इसमें सामने आ रहा है कि प्रीएक्सडीआर मरीज जल्दी स्वस्थ हो रहे हैैं।
- डॉ। संतोष कुमार, एचओडी, टीबी एंड चेस्ट वार्ड, एसएनएमसी