- उत्तराखंड में गवर्नर बेबी रानी मौर्य का कार्यकाल रहा 3 साल 12 दिन

- अब यूपी की सियासत में सक्रिय होने की जताई जा रही संभावना

देहरादून,

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। वह राज्य में तीन साल 12 दिन तक इस पद पर कार्यरत रहीं। खास बात ये है कि तीन दिन पहले दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से हुई उनकी मुलाकात के बाद से कई तरह की चर्चाएं उड़ने लगी थीं। उनके इस्तीफे के बाद अब राज्य को आठवें राज्यपाल का इंतजार है।

अब तक के राज्यपाल::

-सुरजीत सिंह बरनाला---9 नवंबर 2000 से 7 जनवरी 2003

-सुदर्शन अग्रवाल---7 जूनवरी 2003 से 28 अक्टूबर 2007

-बीएल जोशी---29 अक्टूबर 2007 से 5 अगस्त 2009

-मार्गेट अल्वा---6 अगस्त 2009 से 15 मई 2012

-अजीज कुरैशी---15 मई 2012 से 8 जनवरी 2015

-केके पॉल---8 जनवरी 2015 से 25 अगस्त 2018

-बेबी रानी मौर्य---26 अगस्त 2018 से अब तक

3 दिन पहले की थी गृह मंत्री से मुलाकात

तीन दिन पहले उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। उनकी इस मुलाकात के बाद से यह अंदेशा जताया जा रहा था। बुधवार को उन्होंने इस्तीफा दे दिया। राज्यपाल के सचिव बीके संत ने इस्तीफा देने की पुष्टि की। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपना इस्तीफा राष्ट्रपति भवन को भेजा है। बेबी रानी मौर्य ने 26 अगस्त, 2018 को उत्तराखंड के सातवें राज्यपाल के तौर पर पदभार संभाला था। वह राज्य की दूसरी महिला राज्यपाल थीं। उनसे पहले मार्गेट अल्वा भी उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं। यूपी में आगरा की मेयर रह चुकीं बेबी रानी मौर्य के बारे में माना जा रहा है कि केंद्र सरकार और भाजपा उन्हें नई जिम्मेदारी सौंप सकती है।

नई भूमिका में उतरने की चर्चाएं

यूपी में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी की सियासत में वह सक्रिय भूमिका निभा सकती हैं। ऐसे में बीजेपी उन्हें विस चुनाव को लेकर नई जिम्मेदारी सौंप सकती है। गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद इस तरह की चर्चाएं हैं।

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निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार ने थामा भाजपा का दामन

देहरादून,

टिहरी जिले की धनोल्टी विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने बीजेपी का दामन थाम लिया। वेडनसडे को नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने उन्हें राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी व उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक की मौजूदगी में पार्टी में शामिल कराया। पंवार ने कहा कि वह भाजपा की नीतियों से प्रभावित रहे हैं। सोच-विचार के बाद ही उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया।

प्रीतम पंवार पर एक नजर

-प्रीतम सिंह पंवार राज्य गठन के बाद वर्ष 2002 में यूकेडी के प्रत्याशी के रूप में उत्तरकाशी की यमुनोत्री सीट से चुन कर विधानसभा पहुंचे

-वर्ष 2012 में भी उन्होंने यूकेडी के प्रत्याशी के रूप में इसी सीट से जीत हासिल की

-वर्ष 2017 में उन्होंने यमुनोत्री छोड़ धनोल्टी विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में ताल ठोकी

-यहां भी जनता ने उन्हें जीत दिलाई और तीसरी बार विधायक बने।

-उनकी छवि जुझारू, सरल व सौम्य विधायक की रूप में रही

-अब विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने बीजेपी का दामन थामा।

अनिल बलूनी का रहा अहम रोल

विधायक प्रीतम सिंह को बीजेपी में लाने में मुख्य भूमिका बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी की मानी जा रही है। वे लंबे समय से उनके संपर्क में थे। हाल ही में विधानसभा के मानसून सत्र में विधायक प्रीतम पंवार ने सदन में धनोल्टी विधानसभा में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी का आभार भी जताया था। इधर, वेडनसडे सुबह अनिल बलूनी ने ट्वीट कर एक बड़े नेता के भाजपा में शामिल होने की बात कही थी।

पार्टी जो जिम्मेदारी सौंपेगी, निभाऊंगा:प्रीतम

दोपहर करीब सवा दो बजे राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक प्रीतम पंवार को लेकर मीडिया के सामने आए और उन्हें भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई। इस दौरान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने कहा कि राज्य आंदोलन में प्रीतम का अहम योगदान रहा है। उनके भाजपा में आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। वहीं उनके क्षेत्र का तेजी से विकास होगा। इस दौरान प्रीतम सिंह पंवार ने कहा कि राज्य निर्माण में भाजपा का अहम योगदान है। पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी, वह पूरी ईमानदारी से निभाएंगे।