आगरा : कोरोना वैक्सीन की पहली डोज के बाद 40 फीसद स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर में एंटीबाडीज नहीं बनी हैं। ऐसे में वैक्सीन की दो डोज लगवाना जरूरी है। वैक्सीन की एक डोज से कोरोना संक्रमण का खतरा कम नहीं होगा।

28 दिन बाद की गई जांच

एसएन मेडिकल कालेज की ब्लड बैंक में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज के 28 दिन बाद एंटीबाडीज की जांच की गई। 120 स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर के सैंपल लिए गए। इसमें से 40 फीसद स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबाडीज नहीं बनी हैं। 40 फीसद में बहुत कम मात्रा में एंटीबाडीज बनी हैं। 20 फीसद में ही सही एंटीबाडीज बनी हैं, ये वे हैं जो पहले कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा। संजय काला ने बताया कि वैक्सीन की दो डोज के बाद कोरोना वायरस के खिलाफ बड़ी संख्या में एंटीबाडीज बन जाएंगी। इन एंटीबाडीज से कोरोना संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा।

25 फीसद ने नहीं लगवाई दूसरी डोज

कोरोना वैक्सीन की पहली डोज 16 जनवरी को लगाई गई थी। इन स्वास्थ्यकर्मियों को 15 फरवरी को वैक्सीन की दूसरी डोज लगाई गई। इसी तरह पहली डोज के 28 दिन बाद दूसरी डोज लगाई जा रही है। मगर, 25 फीसद स्वास्थ्यकर्मी और फ्रंटलाइन वर्कर ने वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लगवाई है।

वर्जन

वैक्सीन की पहली डोज के 28 दिन बाद 120 लोगों में एंटीबाडीज की जांच की गई। इसमें 40 में एंटीबाडीज नहीं बनी। सैंपल को स्पाइक एंटीबाडीज की जांच के लिए एएमयू, अलीगढ़ भेजा गया है। वहां की रिपोर्ट से ही एंटीबाडीज का सही आकलन हो सकेगा।

डा। नीतू चौहान, प्रभारी ब्लड बैंक

कोरोना वैक्सीन की दो डोज लगने के 12 से 14 दिन बाद एंटीबाडीज बनेंगी। इसलिए सभी लोग दो डोज लगवाएं। जिन लोगों ने दूसरी डोज मिस कर दी है, वे 42 दिन तक दूसरी डोज लगवा सकते हैं।

डा। आरसी पांडे, सीएमओ