आगरा: डॉ। बीआर अंबेडकर यूनीवर्सिटी के कुलपति प्रो। अशोक मित्तल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण ली है। उन्होंने कुलाधिपति (राज्यपाल) द्वारा कार्य से विरत किए जाने के आदेश के खिलाफ रिट दायर की है।

कहा-नहीं सुना गया पक्ष

पांच अगस्त को दायर रिट में प्रो। मित्तल ने कहा है कि कार्य से विरत करने से पहले उनका पक्ष नहीं सुना गया। राज्य विश्वविद्यालय एक्ट के सेक्शन 12 (13) के अनुसार, आरोपों के बाद भी कुलपति को कार्य से विरत नहीं किया जा सकता है। आरोप सिद्ध होने तक वह कुलपति पद पर आसीन रह सकते हैं। कुछ आरोपों के आधार पर उनके खिलाफ कार्यवाही की गई है। उन्होंने अधिवक्ता डॉ। अरुण कुमार दीक्षित द्वारा लगाए आरोपों को भी सिरे से नकारा है। रिट में प्रो। मित्तल ने कहा है कि कुलाधिपति (राज्यपाल) ने आरोपों के आधार पर अपनी राय बनाई।