AGRA। जनता से बिजली पानी का वादा कर चुनाव तो जीत गए, लेकिन जनता को पिछले चार साल में पेयजल समस्या से जनप्रतिनिधि निजात नहीं दिला सके। जिले में पेयजल निराकरण के लिए तमाम योजनाएं बनीं, लेकिन विडम्बना इस बात की रही, कि कुछ योजनाएं बीरबल की खिचड़ी बनकर रह गई, तो कुछ धरातल पर उतरने से पहले ही दम तोड़ गई। अब फिर एक बार पेयजल का मुद्दा माननीयों की वादे की पोटली से बाहर आएगा।

टीटीएसपी घोटाले को उठाने

में सबने नहीं दिखाई रुचि

जनपद में लोगों के कंठ की प्यास बुझाने वाली पेयजल योजनाएं परवान चढ़ने से पहले ही दम तोड़ गई। वर्ष 2012 में जनपद के 15 ?लॉकों में टीटीएसपी टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट टंकिंया लगाई गई, लेकिन इन टंकिंयों से पानी नहीं निकला। कुछ चुनिंदा जनप्रतिनिधियों ने इस मामले को उठाया, प्रशासनिक अफसर नींद से जागे। मामले की जांच कराई गई, तो जांच की शुरुआत में ही बड़ा घोटाला निकलकर सामने आया था, लेकिन दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। आठ जनवरी 2015 में मंत्री के समक्ष विकास भवन में घोटाले की शिकायत हुई थी, लेकिन कार्रवाई के नाम मिला सिर्फ भरोसा।

पांच हजार से ज्यादा टंकी, लेकिन एक बूंद पानी नहीं

वर्ष 2012 में जनपद में पेयजल समस्या निराकरण के लिए पांच हजार से ज्यादा टीटीएसपी टंकी लगाई गई, विभागीय अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से टंकियां तो लगा दीं गई, लेकिन उनसे पानी की एक बूंद भी नहीं निकल सकी।

15 ब्लॉकों में पेयजल संबंधी फाइलें बंद कर दी गई

जनपद के 15 ब्लॉकों में पिछले वर्षो से पेयजल समस्या निराकरण के लिए कई योजनाएं अभी तक फाइलों में बंद पड़ी हैं, जबकि शासन द्वारा इनके लिए बजट भी जारी किया जा चुका है। जल निगम कार्यालय में हर सप्ताह इन योजनाओं की मॉनीटरिंग के लिए मीटिंग बुलाई जाती है।