आगरा,। शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में इस बार ताजमहल के दीदार नहीं हो सकेंगे। ताज रात्रि दर्शन की अनुमति नहीं होने से 31 अक्टूबर को पर्यटक 'चमकी' नहीं देख सकेंगे। पिछले 15 वर्षों में यह पहला मौका होगा, जब शरद पूर्णिमा पर ताजमहल के दरवाजे पर्यटकों के लिए बंद रहेंगे।

धवल ताजमहल की सुंदरता चांदनी रात में और बढ़ जाती है। पच्चीकारी में जड़े पत्थरों पर जब चंद्रमा की रोशनी पड़ती है तो वो जगमगा उठते हैं। इसे पर्यटक चमकी कहते हैं। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा के धरती के अधिक नजदीक होने से यह सुंदरता और बढ़ जाती है। इस दिन चांदनी रात में ताजमहल देखने को पर्यटक उतावले रहते हैं। कोरोना काल में ताज रात्रि दर्शन बंद होने से इस बार पर्यटक यह आनंद नहीं ले सकेंगे।

इससे पहले, सुरक्षा कारणों से वर्ष 1984 से ताजमहल में रात्रि दर्शन बंद हो गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवंबर, 2004 में इसे दोबारा शुरू किया गया। माह में पांच दिन (पूर्णिमा, पूर्णिमा से दो दिन पूर्व और दो दिन बाद तक) ताज रात्रि दर्शन होता है। इस बार कोरोना काल में यह मार्च से ही बंद चला आ रहा है। इसकी शुरुआत को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अभी कोई गाइडलाइन जारी नहीं की है। एडीए द्वारा मेहताब बाग पर बनाए गए व्यू प्वाइंट से भी ताज रात्रि दर्शन नहीं हो रहा है।

अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर ताज रात्रि दर्शन नहीं होगा। रात्रि दर्शन के लिए कोई गाइड लाइन जारी नहीं की गई है।

एक रात में 400 को देखने की अनुमति:

रात्रि दर्शन के दौरान ताजमहल में एक दिन में अधिकतम 400 सैलानियों को ही प्रवेश मिलता है। 50-50 पर्यटकों के आठ ग्रुप को रात 8:30 से 12:30 बजे के बीच ताज रात्रि दर्शन कराया जाता है। इसके लिए एक दिन पूर्व टिकट खरीदनी होती है।