गोदाम में धधकती आग में कूदकर बचाया फैक्ट्री संचालक का बेटा

अपने साथ काम करने वाले कारीगर की जिंदगी को भी उसने बचाया

आगरा। रोहन सिर्फ एक नाम नहीं है। बल्कि साहस का दूसरा नाम है। स्वामीभक्ति का उदाहरण है। दोस्ती की मिसाल है। उनके लिए फरिश्ते से कम नहीं, जिनकी जिंदगी को उसने अपनी मौत की कीमत चुकाकर खरीद लिया। शू मैटेरियल के गोदाम में लगी आग के दौरान रोहन नाम के शख्स की मौत अपने मालिक के बेटे और साथी कारीगर को बचाने की जुगत में हुई है।

पर अपनी जिंदगी गंवा बैठा

पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचे रोहन के परिचित उसकी साहस को सलाम करते हुए नहीं थके। परिचितों का कहना था कि आग के दौरान फैक्ट्री संचालक का बेटा राजेश और कारीगर कालू आग में घिर गए। रोहन ने जब ये मंजर देखा तो वह वहां से भागा नहीं। दूसरों की तरह उसने हिम्मत नहीं हारी। उसके कदम तनिक भी पीछे नहीं डगमगाए। रोहन ने दोनों को बचाने का फैसला किया। साहसिक कदम बढ़ाते हुए वह गोदाम के अंदर गया। किसी तरह राजेश और कालू को बाहर भेजा। वह दोनों तो वहां से निकल आए, लेकिन रोहन अपने आप को फंसने से नहीं रोक सका। वह जलती हुई फोम के बीच घिर गया। उसने कई बार वहां से निकलने के लिए हाथ-पांव मारे, लेकिन सफल नहीं हो सका।

आग में दब गई चीखें

परिचितों का कहना था कि वह आग में जिंदा जल रहा था। दमकल आग बुझा रही थी। यदि उसे दमकल कर्मी देख लेते। पुलिस सूझबूझ से काम लेती तो शायद रोहन जिंदा बच सकता था। धधकती आग की लपटों में उसकी चीखें दबकर रह गई। दमकलकर्मी आग बुझाकर लौट गए। पुलिस ने कोई प्रयास नहीं किया। दो घंटे बाद पता चला अंदर एक बॉडी है। बॉडी दिखी तो वह रोहन था।

माल की भरपाई हो जाती, बेटे और कारीगर की नहीं

रोहन ने जो बहादुरी दिखाई, वह शायद कोई विरला ही कर सकता है। बेशक वह अपनी मौत को महान बना गया, लेकिन वह दो परिवारों को तबाह होने से भी बचा गया। ये सच है कि यदि फैक्ट्री संचालक रॉ मैटेरियल के नुकसान की भरपाई तो कर सकता था, लेकिन यदि उसका बेटा मौत के मुंह में चला जाता तो उसकी जगह कोई नहीं भर पाता। इसी तरह कारीगर राजेश का परिवार पर भी दु:खों का पहाड़ टूटने से बचाने के लिए रोहन की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता। रोहन ने अल्प आय तबके के परिवार के मुखिया को जिंदगी की राह पर खड़ा करके मिसाल कायम की है।

'मैं आग में फंसा हूं, मुझे बचा लो'

बताते हैं कि रोहन ने अपने निवास क्षेत्र गढ़ी भदौरिया में परचून की दुकान संचालक को फोन से संपर्क किया। रोहन ने बताया कि वह आग में फंसा है। उसे बचा लिया जाए, लेकिन ये उसके आखिरी शब्द थे। जो शायद कोई सुन नहीं सका। जब तक क्षेत्रीय निवासी मौके पर पहुंचे तब तक उसकी जिंदगी मौत के मुंह में जा चुकी थी।