-मलिन-बस्तियों में तेजी से बड़ी संख्या में युवा हो रहे नशे के शिकार

-तस्करों से मिल रहा चरस, स्मैक, अफीम, गांजा, इंजेक्शन, गोलियां

आगरा। हाल ही में एसटीएफ ने सिकंदरा थाना क्षेत्र से भारी मात्रा में ऑयल टैंकर से गांजे की खेप बरामद की थी। तस्करों से खुलासे में पता चला था कि ये खेप मथुरा के दो लोगों ने मंगवाई थी जो कि पूरे ब्रज में इसकी सप्लाई करते हैं। इस कारोबार को करने वाले सरगना युवाओं और छात्रों को टारगेट कर रहे हैं। बताया जाता है कि इस कारोबार को करने वाले स्कूल-कॉलेजों के आसपास सक्रिय कैरियरों के जरिए नशे का सामान उन तक पहुंचा रहे हैं। बल्केश्वर घाट और रामबाग ओवर ब्रिज के नीचे, बोदला चौराहा और कैलाश घाट पर इसकी खरीद फरोक्त की जा रही है।

शिकंजे में युवा

मलिन बस्तियों में चलने वाला नशे का कारोबार स्कूल-कॉलेजों के विद्याíथयों और युवाओं को भी शिकंजे में ले रहा है। स्कूली बच्चे इसलिए ज्यादा टारगेट हो रहे हैं, क्योंकि उनसे नशे के सामान के बदले आसानी से ज्यादा से ज्यादा पैसा वसूल कर लिया जाता है। इसलिए ज्यादातर कैरियर अब स्कूल-कॉलेजों के आसपास अपनी पहचान छुपाकर मंडराते रहते हैं। कई बार तो युवा नशे का सामान खरीदने के लिए पैसे नहीं होने पर अपराध करने से भी नहीं चूकते हैं। नशे के भंवर में फंसकर जिंदगी बर्बाद कर चुके कुछ किशोरों से संपर्क साधा गया तो उन्होंने बताया कि अगर आपके पास मोटी रकम है तो चरस, स्मैक, अफीम, गांजा, इंजेक्शन, गोलियां जो चाहे वो कैरियरों से मिल जाता है।

केस एक

एक फैक्ट्री में काम करने वाले युवक ने बताया कि उसे शरीर में दर्द रहता था। वह दोस्तों के संपर्क में आया तो वे उसे एक पार्क में ले गए। जहां उन्होंने पार्क की टिकिट भी दी। आधा दर्जन युवा बैठकर नशे के इंजेक्शन ले रहे थे। काफी मना करने के बाद जब दोस्तों ने जबरन उसे इंजेक्शन लगा दिया तो उसे काफी राहत मिली। दर्द भी कम हो गया। धीरे-धीरे वह इसका आदी हो गया। नशे के चक्कर में उसने घर से छोटी-मोटी चोरियां भी की। परिवार द्वारा उसे सिकंदरा के नशामुक्ति केन्द्र में भर्ती कराया गया है। जहां पहले से काफी राहत है।

केस दो

लायर्स कॉलोनी इलाके में रहने वाला 19 वíषय छात्र संजय प्लेस के एक स्कूल प्राइवेट स्कूल का छात्र है। छात्र के पेरेंट्स ने बताया कि पड़ोसी नशा करता था। उसके घर पर स्मैक और चरस पीने वाले युवकों का जमावड़ा रहता था। एक दिन वह भी युवकों के संपर्क में आया और स्मैक का सेवन कर लिया। पहले तो स्मैक का सेवन कर उसे अच्छा लगा, लेकिन बाद वह उसका लत हो गई। स्मैक के लिए पैसे नहीं होने पर गोलियां खानी शुरु कर दी। इसी बीच उसकी पढ़ाई पर भी गहरा असर पड़ा। जब परिजनों को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने बेटे को बाहर भेज दिया।

केस तीन

मलिन बस्ती में रहने वाले एक ऑटो चालक ने बताया कि वह नशे का सेवन नहीं करता था। लेकिन हाइवे स्थित एक ढाबे पर कई चालकों के साथ वह भी बैठ गया। अनजाने में उसने चरस पी और फिर उसकी आदत सी बन गई। शराब के साथ नशीली गोलियां खानी शुरू कर दी। घर में खूब झगड़े हुए और नशे के चलते उसने काम भी छोड़ दिया। अभी वह सरकारी अस्पताल में डॉक्टर के संपर्क में आकर उपचार करा रहा है। मन तो नशा करने को करता है, लेकिन एक महीने से काफी कोशिश के बाद नशा करने से खुद को रोक पाया है। सच में नशा बहुत ही खराब होता है।

नजर रखें परिजन

मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम तिवारी बताती हैं कि नशे के चंगुल में ज्यादातर युवा और छात्र फंस रहे हैं। घर में किसी बड़े के नशा करने की देखा देखी, परिवार की अनदेखी, नशेडि़यों का फ्रेंड सíकल, नशे का वातावरण, पर्याप्त पैसा, अकेले रहने की आदत और पढ़ाई छोड़ने वालों को नशे की ओर जाने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं। परिजनों को चाहिए कि वे अपने बच्चे की गतिविधियों के साथ ही उसके फ्रेंड सíकल पर खास निगाह रखें। बच्चे को एकांत और अलग-थलग नहीं रहने दें। पिछले दिनों नशे की काउंसलिंग को लेकर केस आए हैं, जिसमें युवा और छात्र इसके आदी मिले हैं

सार्वजिनक स्थानों और पार्क में पुलिस द्वारा गश्त की जाती है। संदिग्ध लगने वाले लोगों से पूछताछ भी की जाती है। स्कूल और कॉलेजों द्वारा इस संबंध में कोई शिकायत नहीं मिली है। मामला संज्ञान में आने पर कार्रवाई की जाएगी।

बौत्रे रोहन प्रमोद, एसपी सिटी