प्रयागराज (ब्यूरो)। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट प्रयागराज में वकीलों के समूह द्वारा न्याय कक्ष व पीठासीन अधिकारी के चेंबर में घुसकर वादकारियों से मारपीट तथा जज से दुव्र्यहार के मामले में जिला जज की रिपोर्ट पर बड़ी कार्रवाई कर दी है। हाई कोर्ट के दो जजों की बेंच ने प्रकरण पर सुनवाई के बाद 10 और वकीलों को आपराधिक अवमानना का नोटिस जारी कर दी है। सभी को अपनी सफाई में बात रखने को कहा गया है। फिलहाल इन सभी के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट प्रिमाइस में प्रवेश पर रोक लगा दी गयी है।
पुलिस कमिश्नर को निर्देश, सुरक्षा बढ़ावें
कोर्ट ने संकेत दे दिया है वह और कड़ी कार्रवाई कर सकती है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से इन वकीलों के खिलाफ दर्ज आपराधिक केस की जानकारी मांगी है। कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर से अपेक्षा की है कि वे कोर्ट कैंपस की सुरक्षा के लिए जिला जज के आदेशानुसार सुरक्षा बल तैनात करेंगे। इस प्रकरण की सुनवाई जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एमएएच इदरीसी की बेंच कर रही है। बेंच ने अपना फैसला जिला जज द्वारा पीठासीन अधिकारी की रिपोर्ट पर संदर्भित अवमानना रिफरेंस की सुनवाई करते हुए दिया है। हाई कोर्ट की तरफ से अधिवक्ता सुधीर मेहरोत्रा ने पक्ष रखा।
पहले दो पर हुई थी कार्रवाई
बता दें कि घटना के दूसरे ही दिन कोर्ट ने दो वकीलों रणविजय सिंह और मोहम्मद आसिफ को अवमानना नोटिस जारी कर सफाई मांगी थी। उन्हें बेहतर हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है। कोर्ट ने दोनों वकीलों के जिला अदालत परिसर में प्रवेश पर पहले ही रोक लगा रखी है। उस दिन हाई कोर्ट ने जिला जज से घटना की सीसीटीवी फुटेज देखकर अवमानना करने वाले अन्य वकीलों की संलिप्तता की रिपोर्ट मांगी थी। मंगलवार को यह रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश की गयी। इसमें वकीलों का नाम उजागर किया गया है।
29 अप्रैल को हुई थी घटना
यह पूरा प्रकरण 29 अप्रैल का है। इस दिन डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मुलायम सिंह बनाम तरसू लाल केस की सुनवाई चल रही थी। इस प्रकरण की कर्नलगंज थाने में दर्ज करायी गयी रिपोर्ट के अनुसार आरोप है कि अधिवक्ता रणविजय सिंह वकीलों के समूह के साथ कोर्ट रूम में आए और पीठासीन अधिकारी सिविल जज सीनियर डिवीजन चेतना सिंह पर रणविजय सिंह व अन्य बनाम खुर्शीद अहमद तथा अन्य केस की तत्काल सुनवाई का दबाव बनाने लगे। वकीलों के समूह ने वादकारी मोनीस परवेज और उसकी पत्नी से मारपीट की। वकीलों से बचने के लिए दोनो पीठासीन अधिकारी के चेंबर में पहुंच गये तो उन्हें वहां भी मारा-पीटा गया। आरोप के अनुसार पीठासीन अधिकारी को जान बचाने के लिए सीजेएम के चेंबर में शरण लेनी पड़ गयी। इसके बाद सूचना एसीपी और एसएचओ कर्नलगंज को दी गयी तो पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस के पहुंचने पर पीठासीन अधिकारी चेंबर में गईं और घटना की रिपोर्ट जिला जज को दी। यह रिपोर्ट जिला जज ने हाई कोर्ट को भेजकर कार्रवाई की सिफारिश की थी।