प्रयागराज (ब्यूरो) पौष पूर्णिमा से होती है शुरुआतप्रयागराज में मकर संक्रांति से माघ शुक्लपक्ष संक्रांति तक तथा पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास का कालखंड है। इसके तहत मकर संक्रांति पर शनिवार को लोगों ने कल्पवास शुरू किया। तीर्थपुरोहित आशुतोष पालीवाल के शिविर में दरभंगा के शेष नारायण, मधुबनी की सुनीता देवी, गीता देव, भागलपुर की सुचिता देवी, सीतामढ़ी के तिलक पाठक ने कल्पवास आरंभ किया। वहीं, धीरज शर्मा के शिविर में लखनऊ के विनोद पाठक, भोपाल के राहुल शर्मा, राजेंद्र दास ने मंत्रोच्चार के बीच कल्पवास का संकल्प लिया। अमितराज वैद्य ने बताया कि मकर संक्रांति पर सैकड़ों गृहस्थों ने कल्पवास आरंभ किया है। राजरूपपुर निवासी ऊषा मिश्रा नीलम, उमा अंजना सत्यनारायण, बीरबल नगर के रविदत्त पांडेय, मंजूदेवी, रेखा पांडेय, शालिनी मिश्रा ने खाकचौक रामानंद मार्ग अ स्थित शिविर में कल्पवास आरंभ कर दिया है।

जौ बोया, लगाया तुलसी का बिरवा

कल्पवासियों ने शिविर के बाहर जौ बोया और तुलसी का बिरवा (पौधा) लगाया। कल्पवासी प्रतिदिन पूजन के बाद इसमें जल अर्पित करके आरती उतारेंगे। कल्पवास खत्म होने पर प्रसाद स्वरूप जौ का पौधा लेकर जाएंगे।

एक बार भोजन, तीन बार स्नान

पूर्वजों की तृप्ति, जीते-जी स्वर्ग की प्राप्ति, जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति की संकल्पना साकार करने के लिए अखंड तप कल्पवास आरंभ हो गया है। गृहस्थ समस्त मोह-माया से मुक्त होकर भजन-पूजन करेंगे। दिन में तीन बार गंगा स्नान, एक समय भोजन व दिनभर धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन, प्रवचन सुनने में समय व्यतीत करेंगे।