प्रयागराज (ब्‍यूरो)। यह कहानी है अंशिका की। पिछले दिनों इंडस्ट्रियल एरिया में रहने वाले बजरंग बहादुर के घर पर हुए हमले में सही सलामत बचने वाली वह इकलौती सदस्य है। उम्र करीब छह साल है। घटना में उसकी दादी और बुआ को मौत के घाट उतार दिया गया था। बाबा बजरंग बहादुर अब भी जीवन और मौत के बीच जंग लड़ रहे हैं। पुलिस इस मामले का खुलासा कर चुकी है। पुलिस के खुलासे के अनुसार इस घटनाक्रम की पूरी पृष्ठभूमि अंशिका की मां सलोनी ने तैयार की थी। अंशिका के पिता की करीब दो साल पहले दुर्घटना में मौत हो गयी थी। इसके बाद सलोनी ने ससुराल को छोड़ दिया और मायके चली गयी। वह बेटी अंशिका को साथ ले जाना चाहती थी लेकिन, दादा-दादी ने उसे बेहतर परवरिश के लिए अपने पास रोक लिया। कातिलाना हमले में घायल बजरंग बहादुर आज भी हॉस्पिटल में है। मौसा अशोक कुमार भी इसी घटना में जेल जा चुका है।

मां के करतूत की सजा भुगत रही बेटी
पुलिस ने जो कुछ भी मीडिया को बताया उसे सलोनी ने खुद भी स्वीकार किया था। अंशिका के पिता की मौत हुआ तो वह ससुराल छोड़कर चली गयी। अंशिका को वह साथ ले जाना चाहती थी लेकिन कामयाब नहीं हो पायी। हालांकि, मायके जाने के कुछ ही दिनो के बाद उसके जीवन में बदलाव आ गया। उसने खुद से एक युवक को पसंद किया और उसके साथ रहने भी लगी थी। दोनों को पति-पत्नी ही माना जाता था। लेकिन, शायद वह इस रिश्ते से संतुष्ट नहीं थी तभी तो पहली पहली ससुराल के पड़ोस में रहने वाले युवक के करीब आ गयी। संयोग से वह दूसरे पति का दोस्त भी था तो यहां उसे खेलने की पूरी आजादी मिल गयी। यहां तक तो सब कुछ ठीक था और सबका जीवन आराम से कट रहा था। लेकिन, सलोनी को इतने से संतुष्टि नहीं थी। तभी तो उसकी नजर अपने पहले पति की सम्पत्ति पर पड़ गयी। इसे पाने का एक मात्र सहारा बेटी अंशिका ही थी। इसी के चलते उसने डबल मर्डर जैसे संगीन जुर्म की साजिश रचने के के दौरान बेटी को इससे बाहर रखा। सम्पत्ति के लिए खुद के हाथ खून से रंग लिये और मीडिया के सामने रोती रही कि उसने जो कुछ भी किया बेटी को पाने के लिए किया। अब वह बेटी इस स्थिति में पहुंच गयी है कि कोई अपना उसे अपनाने को तैयार नहीं है।
कोई नहीं आया सामने
दादी-बुआ की हत्या और दादा के घायल होकर अस्पताल पहुंच जाने के बाद अंशिका को पुलिस ले अपनी सुरक्षा में रखा था। पुलिस को उम्मीद थी कि कोई रिश्तेदार उसे लेने के लिए जरूर आएगा। मगर ऐसा नहीं हुआ। पुलिस ने बच्ची को सुपुर्द करने के लिए उसकी घूरपुर चिल्ला निवासी बुआ अंजू पत्नी सूरजभान से संपर्क किया। सूरजभान ने जवाब दिया कि वह हॉस्पिटल में है और पालन पोषण के लिए वह अंशिका को नहीं लेगा। यह सुनकर पुलिस की रूह कांप गई। कानून और फर्ज से बंधी पुलिस ने उसके मामा पवन पटेल निवासी ददरी नैनी का दरवाजा खटखटाया। ननिहाल वालों की तरफ से भी कोई रिस्पांस नहीं आया। उसका मौसा घूरपुर चिल्ला निवासी अशोक कुमार जेल में ही है। मौसी के दिल में भी अंशिका के प्रति कोई मोह नहीं दिखा। ऐसे में पुलिस ने मासूम अंशिका को चाइल्ड लाइन भेज दिया।

पुलिस संरक्षण में रही अंशिका को लेने के लिए जब कोई नहीं आया तो उसे चाइल्ड लाइन भेज दिया गया है। पुलिस की तरफ से उसकी बुआ से लेकर मामा तक से संपर्क किया गया। उसे लेने के लिए कोई आगे नहीं आया।
सौरभ दीक्षित एसपी यमुनापार