प्रयागराज ब्यूरो । जहां एक तरफ सूबे की सरकार ने आदेश जारी कर डग्गामार वाहनों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई का निर्देश दिया है। वहीं दूसरी तरफ इनकी मनमानी भी जारी है। पैसेंजर्स को रोडवेज से कम किराया व जल्दी चलने की सुविधा का लालच देते नजर आए। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट के रियलिटी चेक में पहले दिन शनिवार से शुरु हुई डग्गामार के खिलाफ कार्रवाई बेअसर साबित नजर आई। जीरो रोड व सिविल लाइंस बस स्टैंड से चंद कदमों की दूरी पर अवैध बसों का जमावड़ा रहा। इनको रोकने-टोकने वाला तक कोई जिम्मेदार अधिकारी की टीम नजर नहीं आई।

पेश कर दिया जाएगा डाटा
एक साल में सरकार की तरफ से डग्गामार के खिलाफ कार्रवाई करने का कई बार आदेश जारी होता है। लेकिन यह आदेश सिर्फ हवा-हवाई नजर आती है। यही कारण है कि डग्गामारों पर प्रशासन लगाम नहीं लगा पा रही है। सिर्फ कार्रवाई का कोरम पूरा किया जाता है। अभियान के अंत में कुछ बसों पर कार्रवाई कर डाटा हर बार की तरह पेश कर दिया जाएगा। ताकि ऊपर बैठे जिम्मेदार अफसरों को लगे कि उनके आदेशों का पालन हो रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है। आदेश जारी होते ही शनिवार को दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट रिपोर्टर ने रियलिटी चेक किया तो रोजाना की तरह हो रही डग्गामारी का खेल नजर आया। सिविल लाइंस बस स्टैंड से चंद कदम की दूरी पर डग्गामार बसों की लंबी लाइन लगी हुई थी। जीरो रोड बस स्टैंड से कुछ दूरी पेट्रोल पंप के आगे एक गली में रीवा रोड पर चलने के लिए कई डग्गामार बसे खड़ी मिली। यहां स्लीपर बसे तक खड़ी मिली। दो सौ रुपये एक्स्ट्रा देने पर लेट कर जाने की सुविधा दी जा रही थी।

छोटे अवैध वाहनों की भी मिली कतार
सिविल लाइंस, प्रयाग और जीरो बस स्टैंड के बाहर का हाल कुछ इस तरह का था। यहां पर बस स्टैंड के बाहर छोटे अवैध वाहनों की लंबी कतार थी। जबकि बस स्टैंड के बाहर बकायदा सीसीटीवी कैमरा लगा हुआ है। उस कैमरा का भी डर डग्गामारों के बीच नहीं दिखाई पड़ा। जोर-जोर से चिल्ला कर सवारियों को भरने का काम चल रहा था। रिपोर्टर ने जब तमाम डग्गामार बस ड्राइवर व कंडक्टर से चलाए जा रहे अभियान के बारे में पूछा तो चौकाने वाला जवाब मिला। तीन ऐसे ड्राइवर मिले, जिनका साफतौर पर कहना था कि हम लोग की गाड़ी को टच नहीं करता है। सब मामला ऊपर से सेट है। आप आराम से सफर करिए यह सब चक्कर में मत रहिए।

ऐसे समझें डग्गामार के आंकड़े
14
से पंद्रह डग्गामार वाहन एक घंटे के अंदर सिविल लाइंस बस स्टैंड समीप से होते हैं
रवाना
70
छोटे डग्गामार वाहन छह घंटे के अंदर सवारी भरकर होते हैं रवाना
08
लोगों की टीम अवैध डग्गामारी को करवा रहे संचालित
10
लाख रुपये से अधिक का रोजाना रोडवेज को पहुंचा रहे घाटा
45
के करीब स्लीपर बसों का रोजाना जीरो रोड समीप से होता है संचालन


हर कोई है पहचानता
रिपोर्टर ने कार्रवाई बेअसर का भी पता लगाया तो जानकारी हुई कि जैसे ही आरटीओ प्रवर्तन दल की टीम पहुंचती है डग्गामार वहां से हट जाते हैं। क्योंकि इस डग्गामारी को संचालित कराने वाले हर एक व्यक्ति इनके टीम के लोगों व गाड़ी को अच्छे से पहचानते है। जैसे ही आसपास तक पहुंचते तो मैसेज पास हो जाता। हर चौराहा पर डग्गामार के खास व्यक्ति खड़ा रहता है। जो सिर्फ गुजरने वाली गाडिय़ों के बारे में सूचना देता है। ऐसे में कार्रवाई करने वाले टीमों को गाड़ी बदल चोरी-छिपे दबिश मारने की जरूरत है। तभी यह कार्रवाई असरदार साबित होगा। अन्यथा ऐसे ही चलता रहेगा। यह फिर आरटीओ प्रवर्तन की टीम खुद नहीं चाहती है कि ताबड़तोड़ कार्रवाई हो।

पहले दिन पांच डग्गामार वाहनों को सीज किया गया है। दो वाहनों को ट्रैफिक पुलिस लाइन और तीन वाहनों को खुल्दाबाद थाने में सीज किया गया है। टीम के पहुंचने पर डग्गामार गायब हो जाते हैं।
वर्जन - सुरेश कुमार मौर्या, एआरटीओ प्रवर्तन