प्रयागराज (ब्‍यूरो)। भारतीय व विदेशी पर्यटकों की बाट जोह रहे प्रयागराज के पर्यटन स्थल महाकुंभ 2025 के पूर्व सजाए और संवारे जा रहे हैं। पर्यटकों की बेरुखी से खामोश इन ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों को पर्यटन के रूप में विकसित करने के भगीरथ प्रयास जारी हैं। यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग व मेला प्रशासन जीतोड़ मेहनत में जुटा है। इन ऐतिहासिक स्थलों पर बाहरी लोग घूमने के इरादे से आएं और रुकें, इसके लिए मास्टर प्लान बनाया जा चुका है। इस प्लान पर शनिवार को सिविल लाइंस स्थित एक होटल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पर्यटन स्थलों की स्थिति और चल रहे प्रयास पर इन दिनों सदाबहार गीत के यह नगमें 'ये वादियां ये फिजाएं बुला रही हैं तुम्हें, ये खामोशियों की सदाएं बुला रही हैं तुम्हेंÓ बिल्कुल सटीक बैठती हैं। पर्यटन स्थल के रूप में आप यहां किन-किन स्थानों पर घूम सकते हैं? यह बताने से पहले शनिवार को हुए प्रोग्राम के बारे में जानना आपके लिए जरूरी है।

टूअर आपरेटरों संग हुई की गई चर्चा
सर्वविदित है कि 2025 में संगम की रेत पर सबसे बड़े धार्मिक मेला महाकुंभ का आयोजन होगा। इस आयोजन पर सिर्फ देश ही नहीं विदेशियों की भी नजर है। यह देखते हुए जिले के ऐतिहासिक व पौराणिक एवं धार्मिक स्थलों को पर्यटन के रूप में डेवलप किया जा रहा है। इस काम में उत्तर प्रदेश व भारत सरकार का पर्यटन विभाग एवं मेला प्रशासन जी-जान से जुटा है। महाकुंभ से इन ऐतिहासिक विरासत की चमक विश्वस्तर पर बिखेरने के लिए सुविधाएं भी उसी स्तर से की जा रही हैं। शनिवार को प्रयागराज मेला प्राधिकरण व पर्यटन विभाग द्वारा महाकुंभ पर टूरिज्म कान्क्लेव का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञों के द्वारा पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अपनी राय रखी गई। विशेष सचिव पर्यटन ईशा प्रिया ने उत्तर प्रदेश में धाार्मिक, आध्यात्मिक के साथ हेरिटेज, आर्ट क्राफ्ट, रूरल एग्री, मेडिकल टूरिज्म, एडवेंचर टूरिज्म में यहां असीमित संभावनाएं बताते हुए कहीं कि इन्हें धरातल पर उतारने का वर्क जारी है। वक्ताओं ने कहा प्रदेश के प्रयागराज में व आसपास एरिया में सनातन धर्म के साथ जैन, बौद्ध, सिख धर्म से जुड़े तमाम स्थल हैं। ऐसे को भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से डेवलप किया जा रहा है।

श्रृंगवेरपुर बनेगा टूरिस्ट विलेज
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को प्रयागराज के धार्मिक-पौराणिक स्थलों के साथ आसपास के मीरजापुर, काशी, अयोध्या भी घूमकर दर्शन कर सकते हैं। काशी-अयोध्या व मीरजापुर आने वाले पर्यटक को प्रयागराज से कनेक्ट करने पर काम चल रहा है। श्रृंगवेरपुर को टूरिस्ट विलेज के तौर पर तैयार करा रहे हैं। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने कहा महाकुंभ विश्व का बड़ा सांस्कृतिक आयोजन है। प्रयागराज दुनिया का सबसे बड़ा मेजबानी करने वाला तीर्थस्थल है। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने कहा कि प्रयागराज में कुंभ-महाकुंभ ही नहीं, बल्कि हर समय पर्यटक आएं उसके लिए प्रयास किया जा रहा है। प्रयागराज को अयोध्या और काशी के टूर पैकेज से जोड़ा जाना चाहिए। इसके लिए टूवर ऑपरेटर्स से भी अधिकारियों के द्वारा वाता की गई है। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी अपराजिता ङ्क्षसह ने बताया कि पर्यटकों की संख्या बढ़ाने की दिशा में प्राचीन स्थलों में स्थायी कार्य कराए जा रहे हैं।

संगम आइए तो यहां-यहां जरूर जाइए
पर्यटन विभाग प्रयागराज द्वारा प्रकाशित कराई गई तीर्थराज प्रयाग टैबलेट बुक में कई ऐतिहासिक व पौराणिक स्थल शामिल किए गए हैं। जिसे पर्यटन को बढ़ावा देने के लिहाज से देखा जा रहा है।
इनमें त्रिवेणी संगम गंगा, यमुना और सरस्वती तीन नदियों का यहां मिलन होता है। दो नदियों गंगा और यमुना नदी के मिलन का स्थल पर पानी का रंग अलग-अलग साफ दिखाई देता है।
अक्षयवट त्रिवेणी संगम के समीप मां यमुना के बाएं तट पर किले के अंदर है। अक्षयवट का शाब्दिक अर्थ जिसका कभी क्षय न हो, माना जाता है। पुराण के अनुसार यह प्रलय काल में भी नष्ट नहीं हुआ था।
पातालपुरी मंदिर संगम तट पर किला के आंगन के पूर्व फाटक की तरफ नीचे तहखाने में है। यहां कई देवी देवताओं की ऐतिहासिक मूर्तियां स्थापित हैं। कुल मुर्तियां 43 है। प्रसिद्ध चीनी यात्री हवेनसांग सन 644 ई। के आसपास इसका भ्रमण किया था।
लेटे यानी बड़े हनुमान जी मंदिर की पर्यटकों को बढ़ावा देने के लिए काफी पवित्र व विख्यात स्थल है। मान्यता है कि साल में एक बार मां गंगा भगवान बजरंगली को स्नान कराने के लिए जरूरत आती हैं।
शंकर विमान मंडपम, यह एक चार मंजिला मंदिर है। जिसकी बनावट दक्षिण भारतीय शैली पर आधारित है। 130 फीट ऊंचे मंदिर में कुमारिल भट्ट, जगतगुरु शंकराचार्य, कामाक्षा देवी और योगसहस्त्र सहस्त्रयोग लिंग 108 शिवलिंग है।
नागवासुकी मंदिर, यह नागराज वासुकि को समर्पित है। मान्यता है कि सागर मंथन में मथनी बने मंदराचल पर्वत के चारों ओर रस्सी रूप में नागराज वासुनिक ने अपने को प्रयुक्त होने हेतु समर्पित किया था।
भीष्म पितामह मंदिर, यह मंदिर देश भारत में भीष्म पितामह की इकलौती मंदिर है। यहां बाणों की सैय्या पर लेटे हुए भीष्म को दर्शाया गया है। प्रतिमा करीब 12 फीट लंबी है।
इसी तरह आदि श्री ऊंकार गणिपति मंदिर दारागंज दशाध्वमेध घाट पर देश के 21 सिद्ध गणपति तीर्थ में से एक है। जबकि वेणी माधव मंदिर, द्वादश माधव, संकटमोचन हनुमान मंदिर दारागंज को भी पर्यटन के लिहाज से डेवलप किया जा रहा है।
श्री अलोपशंकरी मंदिर महर्षि भारद्वाज आश्रम, कल्याणी देवी मंदिर, हनुमत निकेतन, नवग्रह मंदिर, ललिता देवी मंदिर, शिवकुटी मंदिर नारायण आश्रम, रूप गौड़ीय मठ, तक्षकेश्वर नाथ मंदिर, दुर्वासा ऋषि आश्रम भी पर्यटकों के लिए खास होगा।
पर्यटन विभाग की मानें तो महाकुंभ में मनकामेश्वर मंदिर, श्रृंगवेरपुर धाम, पंडिला महादेव मंदिर, शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क, अल्फ्रेड पार्क में विक्टोरिया मेमोरियल, इलाहाबाद संग्रहालय, स्वराज भवन, तारामंडल, राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी थार्नहिल मायने मेमोरियल, ऑल सेंट्स कैथेड्रल भी पर्यटन की नजर में है।
खुशरोबाग, इलाहाबाद फोर्ट, मदन मोहन मालवीय पार्क, म्योर सेंट्रल कॉलेज यानी इलाहाबाद विश्वविद्यालय, सीनेट हॉल, उल्टा किला झूंसी, ऐतिहासिक स्थल के रूप में उच्च न्यायालय को भी शामिल किया गया है। इसी के साथ फ्लोटिंग रेस्टोरेंट को भी पर्यटन प्लेस के रूप में जगह दी गई है।