विनय सिंह

प्रयागराज ब्यूरो । अतरसुइया के रहने वाले विजय मालवीय व उनका परिवार मानसिक उत्पीडऩ से परेशान है। वह बताते हैं कि उनकी सामाजिक और व्यापारिक छवि पर दाग लगाने के लिए उनके पते पर कोई शख्स
महिलाओं के अंतर्वस्त्र और गर्भनिरोधक सामग्री भिजवा रहा है। यह सामान उस वक्त शातिर भिजवाया जा रहा है जब घरों पर पुरुष मौजूद नहीं रहते है। उनकी इस हरकत से घर परिवार के बीच रिश्ते टूटने तक की नौबत आ गई है। हर बार अलग-अलग नंबर से ऑर्डर किया जाता है। जिसका जिक्र पीडि़त ने एफआईआर में भी किया है। दैनिक जागरण आई-नेक्स्ट ने जब पड़ताल कर जानने की कोशिश की। दो-तीन केस और सामने आ गए। जिसमें पीडि़त थाने तक तो गया। लेकिन पुलिस द्वारा गंभीरता से संज्ञान में नहीं लिया गया। जिसके चलते पीडि़त वापस लौट गए। पीडि़त का आरोप है कि विगत 4 वर्षो से परेशान किया जा रहा है।

एक दिन भिजवा दिया दो हजार का कंडोम
विजय मालवीय बताते हैं कि 24 अप्रैल का दिन था। घर पर सिर्फ महिलाएं मौजूद थी। आनलाइन बुकिंग की गई 2000 हजार रुपये की कंडोम व अश्लील सामान जब बहू को दोपहर में डिलीवर हुआ तो पता चला कि कोई आदमी के मोबाइल नंबर 9532029937 से बुक हुआ है। उस दिन से बहू बात तक नहीं कर रही है। इस तरह से जीवन को नरक बना दिया है। मेरे बेटे ऋषि मालवीय तक को परेशान किया जा रहा है। उनको शक है कि कोई गुंडा टैक्स चाहता है। इसलिए ऐसी हरकत कर रहा है।

केस वन
करेली के रहने वाले 38 वर्षीय एक युवक ने बताया कि वह भी इस तरह के अनवांटेड डिलीवरी आइटम के पहुंचने से परेशान था। पुलिस से शिकायत की लेकिन
सुनवाई नहीं हुई। जो आईटम घर पहुंचता था। वह नाम सुनकर ही पत्नी शक की निगाह से देखती थी। बड़ा समझाना पड़ता था।

केस दो
अतरसुइया के रहने वाले बुजुर्ग व्यापारी भी अनवांटेड डिलीवरी से परेशान था। घर में दो बहू है। जब सब काम पर चले जाते थे। तब अश्लील सामग्री की डिलीवरी होती थी। शाम को घर आने पर कलह शुरू हो जाता था। छह महीने तक परिवार परेशान रहा। फिर अचानक आना बंद हो गया। ऐसे मामलों में पुलिस को गंभीरता से संज्ञान में लेकर कार्रवाई की जरूरत है। क्योंकि कई बार रिश्ते टूट तक जाते है। फिर भी आदमी शर्म के मारे थाने तक नहीं जाता है।

एफआईआर नंबर 0238 और धारा 507 और 66 सूचना प्रोद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम के तहत थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज है। ऑर्डर करने वाला शख्स कई नंबरों का प्रयोग लगातार कर रहा है। अगर पुलिस थोड़ा भी एक्टिव हो जाये तो न जाने कितनों का घर टूटने से बच जाये। मेरे और अधिवक्ता प्रियांशु शुक्ल द्वारा फाइल किया गया। जिसपर कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया।
- दीपक मिश्रा, अधिवक्ता