प्रयागराज ब्यूरो । हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की बहन जनाबे जैनब सलामुल्लाअलैह की यौमे पैदाइश की खुशी में सुल्तानपुर भावा इमाम बारगाह जाफर हुसैन में माजिद अली की ओर से बज्मे कलीम के बैनर तले जश्ने सानिए जहरा की शानदार महफिल में शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम सुना कर वाहवाही बटोरी। शफकत अब्बास पाशा के संचालन में डा कमर आब्दी के मिस्रे तरहा जालिम को कहा जालिम दरबार ए सितमगर में पर शायरों ने अपने अश्आर प्रस्तुत किए। जमीर भोपतपूरी ने पढ़ा, आवाज सलूनी की याद आ गई दुनिया को जैनब ने दिया खुतबा जब लहजा ए हैदर में। आजम मेरठी ने पढ़ा-जैनब के मरासिम को क्या अहले जहां जाने, गहराई वह समझेगा उतरे जो समंदर में।
जालिम को कहा जालिम
मौलाना व शायर ए अहलेबैत आमिरुर रिजवी ने पढ़ा, घर फात्मा जहरा के पैदा हुई वह जैनब, कसरत हुई लो पैदा फिर सूरा ए कौसर में। डॉ कमर आब्दी ने पढ़ा, दरबार में से परदा जाना न अगर होता। जैनब भी नजर आतीं ततहीर की चादर में। रौनक सफीपुरी ने पढ़ा, जहरा की तरहा तूने ज़हरा के ही तेवर में, जालिम को कहा जालिम दरबार ए सितमगर में। डॉ आजम मेरठी, जमीर भोपतपूरी, रौनक सफीपुरी, डॉ क़मर आब्दी, मौलाना आमिरुर रिजवी, शाहिद मुस्तफाबादी, हम्माद इलाहाबादी, डॉ जावेद दुल्हीपुरी, इतरत नकवी, हाशिम बांदवी, ईशान कोरालवी आदि ने एक से बढ़कर एक कलाम सुना कर दाद ओ तहसीन बटोरी। मौलाना डॉ रिजवान हैदर रिजवी ने जनाबे जैनब सलामुल्लाअलैह की शान में तफसीली तकरीर में कहा यह उस घराने की शहजादी हैं जहां सब सरदार ही सरदार हैं। महफिल में मौलाना मो। अली गौहर, बाकर नकवी, ज़ुलकरनैन आब्दी, राशिद हैदरी, जफर भाई, माजिद अली, खुशनूद रजा रिजवी, सैय्यद मोहम्मद अस्करी, मिर्जा अजादार हुसैन, डॉ अदनान आरिज हाशमी, मीसम हाशमी, मुन्तजिर हाशमी, अली आलिया हाशमी, असगर अली, मो। रजा, अखलाक रजा, मुफीद अब्बास आदि शामिल रहे।