प्रयागराज (ब्यूरो)मानव तस्करी के शक में गुरुवार को सीमांचल एक्सप्रेस से 93 बच्चों को उतारा गया। पुलिस को पूछताछ में पता चला कि इन बच्चों का दाखिला मदरसों में कराया जाना था। इसके लिए उन्हें राजस्थान और उत्तराखंड ले जाना था। सभी बच्चों को प्रयागराज जंक्शन पर उतारा गया। ये तीन अलग-अलग कोच में बैठाये गये थे। इन बच्चों की उम्र नौ से 16 साल के बीच है। नौ एजेंट भी पकड़े गये हैं। बच्चे बिहार के अररिया, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज जिले के रहने वाले बताये गये हैं। सभी को चाइल्ड लाइन को सौंप दिया गया है। उन्हें बाल कल्याण समिति के माध्यम से उम्र वर्ग के अनुसार अलग संस्थाओं में देर रात तक प्रवासित कराया गया।
दूसरी बार सामने आयी घटना
गुरुवार को रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स को सूचना मिली थी कि 12487 जोगबनी एक्सप्रेस से बच्चों को मानव तस्करी के लिए ले जाया जा रहा है। आरपीएफ ने अपने एक दरोगा नितिन कुमार को पंडित दीनदयाल उपाध्याय (मुगलसराय) स्टेशन पर निगरानी के लिए भेजा। ट्रेन आई तो बच्चों की पुष्टि हो गई। ट्रेन चली तो नितिन कुमार ने कोच संख्या-एस छह, एस-सात व एस-आठ में बच्चों के की सूचना भेजी। बच्चों को बैठने के लिए सीट भी नहीं मिली तो वे बाथरूम से लेकर पूरी गैलरी में बैठे थे। सूचना कंट्रोल रूम पहुंची तो प्रयागराज में घेराबंदी कर दी गई। आरपीएफ पोस्ट कमांडर शिव कुमार ङ्क्षसह के निर्देश पर बनी महिला टीम, डिटेक्टिव ङ्क्षवग के चाइल्ड हेल्प लाइन के स्टाफ के साथ प्लेटफार्म दो पर सभी खड़े हो गए। सुबह 11.43 बजे जैसे ही ट्रेन रुकी तीनों कोच में टीमों ने प्रवेश किया और 93 बच्चों को ले जा रहे नौ एजेंट को पकड़ लिया। एजेंट ने पूछताछ में बताया कि बच्चों को मदरसा में दाखिला कराने के लिए ले जाया जा रहा था। एजेंट कोई वैध प्रमाण पत्र पेश नहीं कर पाये। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के मेंबर अरङ्क्षवद कुमार और सुमन पांडेय ने बताया कि बच्चे अब सुरक्षित हैं। उन्हें विभिन्न संस्थाओं में प्रवासित करा दिया गया है। इनके स्वजन जब उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए आवेदन करेंगे तो हम उस पर विचार करेंगे। कल समिति की बैठक में आगे कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।

मानव तस्करी की सूचना थी। बहुत छोटे छोटे बच्चों को कोच में भरकर ले जाया जा रहा था। सभी को प्रयागराज जंक्शन पर उतरवा लिया गया है। सभी चाइल्ड लाइन भेज दिये गये हैं।
विजय प्रकाश पंडित, वरिष्ठ मंडल सुरक्षा अधिकारी

कुछ को जबरन ट्रेन में बैठाया
जंक्शन पर उतरने के बाद कई बच्चे अपने परिवारवालों के पास जाने की जिद करने लगे। उन्हें समझा बुझाकर किसी तरह भरोसा दिलाया गया कि उनसे मिलने सभी यहां आ रहे हैं। लगभग सबकी एक जैसी ही कहानी थी। कोई बे-मन से घर वालों के दबाव पर जा रहा था। कुछ बच्चों को ट्रेन में जबरन बैठाकर भेजा रहा था। उन्हें बताया गया था कि मदरसे में पढ़ाई करनी है। वहां मौलवी बनना है। इससे नाम और पैसा दोनों मिलेगा।

33
बच्चे नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस से जून 2021 में उतारे गए थे
38 बच्चों को जुलाई 2022 में महानंदा एक्सप्रेस से उतारा गया
31 बच्चे छह मई 2024 को अंदावा के पास डीसीएम में मिले थे


एजेंटों पर दर्ज होगा मुकदमा
जंक्शन पर उतारे गये बच्चों की काउंसङ्क्षलग के बाद इस प्रकरण में सीडब्ल्यूसी ने सख्त रुख अपना लिया है। अमानवीय तरीके से 93 बच्चों को सीमांचल एक्सप्रेस से ले जो रहे सभी नौ एजेंट पर जेजे एक्ट में कार्रवाई के लिए बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने आरपीएफ को देर रात पत्र जारी किया। शुक्रवार को इनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाएगा। सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन डा। अखिलेश मिश्र ने बताया कि बच्चों की काउंसङ्क्षलग की गई है। यह स्पष्ट हो गया है कि बच्चों को गलत तरीके से ले जाया जा रहा था। अमानवीय तरीके से इन्हें ले जा रहे लोगों के पास कोई सहमति पत्र या कागज नहीं है। इन सभी की गतिविधियां संदिग्ध हैं। 10 वर्ष से नीचे की उम्र के 33 बच्चों को यहां रखा गया है। जबकि 10 वर्ष से ऊपर उम्र के 60 बच्चों को वाराणसी बाल संरक्षण गृह के लिए भेज दिया गया है।