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-प्रयागराज में भी रहते हैं सैकड़ों कश्मीरी पंडित परिवार

-धारा 370 पर फैसले के बाद बताई पीड़ा, मोदी सरकार की जमकर तारीफ की

balaji.kesharwani@inext.co.in

PRAYAGRAJ: कहते हैं धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो वह कश्मीर है। लेकिन विडंबना है पिछले काफी अरसे से इस स्वर्ग में हालात ठीक नहीं रहे। ऐसे में तमाम कश्मीरियों को परेशानियां उठानी पड़ीं। इन्हीं में वह कश्मीरी पंडित भी हैं, जिन्हें वहां से निकाल बाहर किया गया था। इनमें से कुछ कश्मीरी पंडितों का परिवार प्रयागराज (तब इलाहाबाद) भी पहुंचा। यह आज खुद को प्रयागराज का वाशिंदा बताते हैं, लेकिन अपनी 'जन्नत' छिनने की टीस आज भी उनके दिलों में दर्द पैदा करती है। सोमवार को जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाने का बिल पास हुआ। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने इस मामले पर प्रयागराज में रह रहे कश्मीरी पंडितों से बात की। इस दौरान उन्होंने जन्नत का दरवाजा खुलने पर खुशी जताई।

अनंतनाग से भागकर आई थी फैमिली

सोहबतियाबाग में रहने वाले मधुरेश डार विस्थापित कश्मीरी पंडित परिवारों में एक हैं। उनकी तीन पीढि़यों की जिंदगी यहीं बीत गई। चौथी पीढ़ी के अगुआ मधुरेश डार खुद हैं। उन्होंने कहा करीब 100 साल पहले अनंतनाग के पास स्थित एक गांव से 11 परिवारों को वहां से जबर्दस्ती भगाया गया था। इनमें उनके पूर्वज भी थे जो भटकते हुए इलाहाबाद आकर बस गए। पिताजी कश्मीर से अलग होने की कहानी और दर्द बताते थे। अब तो बस नाम के कश्मीरी हैं। लेकिन आज जो फैसला आया है, जिस साहस के साथ मोदी सरकार ने कदम बढ़ाया है, वह काबिल-ए-तारीफ है।

धारा 370 न होती तो हम भी वादियों में होते

सोहबतियाबाग के ही रहने वाले और भोजनालय चलाने वाले संजय हांडू भी विस्थापित कश्मीरी पंडितों में एक हैं। उनके पिता गोपीनाथ हांडू आजादी के बाद कश्मीर से भागकर इलाहाबाद में आकर बस गए। कश्मीर से धारा 370 हटने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, यह बहुत अच्छा हुआ। लाखों कश्मीरी पंडित इसी धारा की वजह से अपने घर से बेघर हुए, जिनमें हम भी हैं। यह धारा नहीं होती, आतंकवाद न होता तो हम भी कश्मीर की हसीन वादियों में मस्त होते। अब तो वहां न कोई प्रॉपर्टी है और न ही कोई रिश्तेदार। लेकिन आज जो फैसला आया है, उससे वहां आतंक की पाठशाला चलाने वालों को नुकसान होगा।

विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे लोग

नॉर्थ सेंट्रल रेलवे के सेंट्रल हॉस्पिटल में तैनात डा। संजीव कुमार हांडू भी विस्थापित कश्मीरी पंडितों में एक हैं। डॉ। संजीव कुमार हांडू ने कहा कि धारा 370 हटने, जम्मू, कश्मीर और लद्दाख तीन अलग यूनियन टेरिटरी बनने से इन राज्यों के वाशिंदे विकास की मुख्य धारा से जुड़ेंगे। अभी तक इन्हें बताया जाता था कि यह कश्मीर हिस्सा नहीं हैं। इकी वजह से नफरत बढ़ती थी। अब जब सुविधा मिलेगी तो दूरियां खत्म होंगी।

कश्मीरी पंडितों ने कहा-

-विस्थापित कश्मीरी पंडितों को कश्मीर में एक बार फिर बसने का मौका दिया जाए

-जो लोग वहां जाकर रहना चाहें वहां सरकार द्वारा उन्हें प्राथमिकता दी जाए

-सुरक्षा की माकूल व्यवस्था हो ताकि फिर से टेररिज्म के चलते किसी को घर न छोड़ना पड़े।

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यादें जिंदा रखने को बनाई है कमेटी

प्रयागराज में रह रहे कश्मीरी पंडितों ने अपने समाज के नाम को जिंदा रखने के लिए कश्मीरी समाज प्रयागराज के नाम से समिति बना रखी है। समिति के लोगों से धारा 370 हटाए जाने और जम्मू-कश्मीर को केन्द्रशासित प्रदेश बनाए जाने पर खुशी जताई।