प्रयागराज (ब्यूरो)। हर साल की तरह इस बार भी मौसम के बदलाव के समय वायरस ताकतवर हो गए हैं और उनका सबसे साफ्ट टारगेट 12 साल से कम उम्र के बच्चे हैं। बच्चों की इम्युनिटी पॉवर कमजोर होने की वजह से वह आसानी से बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। शुरुआती लक्षणों में छींक आना और नाक बहना जैसे लक्षण सामने आते हैं और इसके बाद कुछ घंटों में बच्चा सीरियस हो जाता है। वह तेज बुखार से जूझने लगता है।

दस से तेरह डिग्री का अंतर

सीजन में वायरल इंफेक्शन फैलने का सबसे बड़ा कारण गर्मी से ठंड में मौसम का बदलाव है। इसकी शुरुआत हो चुकी है और दिन में और रात के तापमान में दस से तेरह डिग्री का अंतर होने लगा है। पिछले एक सप्ताह का तापमान देखें तो यह अंतर साफ नजर आने लगता है। डॉक्टर्स का कहना कि ऐसे मौके पर खानपान पर विशेष ध्यान देना चाहिए, वरना दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

ओपीडी में लगने लगी लाइन

एक बार फिर इस समय चिल्ड्रेन अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की लाइन लगने लगी है। रोजाना औसतन तीन सौ से अधिक मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। इनमें आध मरीज सर्दी, जुकाम और बुखार के हैं। कई बच्चे निमोनिया से प्रभावित भी आ रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि जब तक मौसम स्थिर नही हो जाएगा तब तक मरीजों का आना जारी रहेगा।

इन बातों का रखें ख्याल

- छोटे बच्चों को खुले स्थान पर कतई न नहलाएं और न ही उनकी मालिश करें।

- आइसक्रीम और फ्रिज के पानी से उनको दूर रखें।

- साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाए।

- बाजार के खानपान से बचना जरूरी।

- घर का ताजा और साफ भोजन खाएं।

- बच्चों को सक्रमित व्यक्ति से दूर रखें।

- खांसने और छीकने पर बच्चे को मास्क लगाएं।

- तेज बुखार आने पर पैरासिटामाल दें और डॉक्टर को दिखाएं। जरूरत पडऩे पर शरीर को ठंडे पानी की पट्टी से पोछ दें।

- बच्चे की नाक बह रही हो तो उसे तत्काल इलाज उपलब्ध कराएं।

निमोनिया हुआ तो बढ़ेगी परेशानी

वायरल इंफेक्शन को हल्के में लेने पर बच्चों में प्राब्लम बढ़ रही है। खासकर नन्हे बच्चे निमोनिया का शिकार हो रहे हैं। इसमें उनका सीना जाम हो रहा है और सांस लेेने में दिक्कत हो रही है। बच्चे अगर सांस लेते हैं तो तेज आवाज आती है। पसली चलने लगती है। ऐसे लक्षण बेहतर खतरनाक होते हैं और बच्चें को तत्काल मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।

इस सीजन में बच्चों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। उनको अगर छींक या खांसी आ रही है तो तत्काल डॉक्टर की सलाह लें। तेज बुखार आता है तो डॉक्टरी सलाह पर ही दवा दें। इस समय बुखार के मरीज अधिक आ रहे हैं। बुखार के पीछे सबसे ज्यादा मामले वायरल इंफेक्शन के हैं।

डॉ। संजय त्रिपाठी, एसीएमओ व बाल रोग विशेषज्ञ