रोजेदार का भूखा-प्यासा रहना ही नहीं है रमजान शरीफ का मतलब

रमजान में सभी प्रकार के गलत कामों के लिए भी है पाबंदी

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PRAYAGRAJ: इबादत के सबसे पाक महीने रमजान शरीफ में अल्लाह की इबादत करने वाले सभी लोगों की मुरादें पूरी होती है। रमजान में लोग अल्लाह की शान में रोजा रखते हैं और रोजा रखने के सभी नियमों का पूरी शिद्दत के साथ पालन करते हैं। लेकिन कई लोग रमजान में रोजा रखते हुए भूखा प्यासा रहने को ही सब कुछ मान लेते है। लेकिन ऐसा नहीं है रोजा में भूखा प्यासा रहने के साथ ही कई दूसरे पाबंदियां भी बतायी गई है। इन सभी का पालन करने वालों पर ही खुदा की रहमत बरसती है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि रमजान में पाबंदियां भी इबादत का हिस्सा है।

अल्लाह की इबादत के साथ गलत कामों से करें परहेज

रमजान में रोजा के साथ ही जिन कामों के लिए पाबंदी बतायी गई है। इस बारे में खतीब हटिया मस्जिद मौलाना नादिर हुसैन बताते हैं कि रमजान में रोजेदारों के लिए कई प्रकार की पाबंदियां भी बतायी गई है। उन्होंने बताया कि रोजेदारों के लिए भूखा प्यास रहकर रोजा रखने के साथ ही आंखों, हाथों, पांव, जुबान और कान के जरिए कोई भी गलत काम करने से मनाही है। बताया कि पैगम्बर मोहम्मद साहब फरमाते हैं कि बंदाए मोमिन जब अपनी जुबान से किसी की बुराई करता है तो गोया इसकी जानिब इस तरह हो जाता है कि उसने किसी मरे हुए इंशान का गोस्त खाया है। इसी तरह आंखों के लिए भी उन्होंने फरमाया है कि अपनी आंख से गलत चीजों को देखना भी गुनाह है। ऐसा करने वाले की आंखों में कयामत के समय शीश पिघलाकर डाला जाएगा। हाथों के लिए भी इस प्रकार उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद साहब ने फरमाया है कि तुममे से बेहतर मुसलमान वो है जिसकी जुबान और हाथ दुसरों को तक्लीफ देने से बचे। इसी प्रकार हर बुराई को छोड़ने और सिर्फ इंसानियत के लिए लोगों की मदद करने और खुदा की इबादत करने के लिए इस्लाम में कहा गया है।

सोशल मीडिया पर अपशब्द लिखना व पढ़ना गलत

सोशल मीडिया पर इन दिनों जिस प्रकार से कुछ लोग लगातार नफरत फैलाने में जुटे हैं।

ऐसे लोगों के लिए जनाब मौलाना नादिर हुसैन कहते हैं कि इस्लाम में इस प्रकार के किसी भी कार्य की इजाजत नहीं दी गई है।

उन्होंने कहा कि इस्लाम हमेशा भाईचारा और सौहार्द के साथ इंसानियत को आगे बढ़ाने की सीख देता है।

लेकिन, कुछ लेाग इस्लाम को अपने ढंग से ही बताते हैं। जिससे पूरी कौम पर सवाल उठते हैं।

वह कहते हैं कि सोशल मीडिया पर जिस प्रकार लोग नफरत फैलाने वाले बयान या फिर तकरीर लिखते हैं।

वह इस्लाम में गलत बताया गया है। खासतौर पर रमजान के पाक महीने में सब की भलाई और प्यार बांटने की सीख दी गई है।

शरीर के हर अंग के लिए है पाबंदी

जुबान - इस्लाम कहता है कि अपनी जुबान से किसी के लिए भी कोई गलत बयानबाजी ना करे। रमजान में झूठ बोलने, किसी को गाली देने जैसी बातों से बचें

हाथ- किसी भी तरह का कोई गलत काम हाथों से ना करें। यहां तक कि सोशल मीडिया पर कुछ भी गलत लिखना भी इसमें शामिल है। उससे भी लोग तौबा करे

पांव- गलत राह पर ना चले और लोगों को खुदा की इबादत करने और इंसानियत की तरक्की के लिए कोशिश करें

कान- किसी की भी बुराई ना सुने

आंख- किसी भी प्रकार की गलत चीजों को देखना भी इसमें शामिल है

इस्लाम किसी भी गलत काम को करने की इजाजत नहीं देता। आज के समय में सोशल मीडिया में जो लोग गलत हरकत करते या लिखते हैं। उसकी इस्लाम में अनुमति नहीं है।

मौलाना नादिर हुसैन

खतीब हटिया मस्जिद