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जब तक अपराध में माफिया की तूती बोलती रही, कानून के लंबे हाथ नहीं पहुंचे गिरेबां तक

उम्र ढलने के साथ कमजोर पड़ा रसूख तो सरकार ढहा रही आर्थिक साम्राज्य

PRAYAGRAJ: ज्यादा नहीं सिर्फ दस साल पुरानी बात है। असलहाधारी लोगों की फौज के साथ माफिया घूमते थे। पब्लिक में उनका जबरदस्त टेरर था। कारण चाहे जो भी रहा हो, तब माफिया टाइप के इन लोगों पर हाथ डालने से वर्दी वाले भी कतराते थे। माफियाओं की तूती बोलती थी। पब्लिक अपने काम कराने के लिए माफिया और उनके गुर्गो पर ज्यादा भरोसा करती थी। पब्लिक की लाचारी को हथियार बनाकर करोड़ों का आर्थिक साम्राज्य खड़ा करने वाले माफियाओं के अब दुर्दिन शुरू हो चुके हैं। अब सरकार उन पर हावी हो चुकी है। डर के नाम पर बने भौकाल के दम पर उड़ने वाले माफिया अब सलाखों के पीछे हैं। उनके आर्थिक साम्राज्य को तहस-नहस करके सरकार कानून के हाथ लम्बे होने का एहसास भी करा रही है।

अतीत के गुनाह कर रहे हैं पीछा

अतीक अहमद

शहर के चकिया इलाके के रहने वाले अतीक अहमद करीब तीन दशक से क्राइम की फील्ड में सबसे बड़ा नाम रहे। उन्होंने जमीन, रेलवे का ठेका से लेकर बालू खदान तक में अपनी पैठ जमायी और इसके दम पर अकूत दौलत खड़ी कर ली। आतंक के दम पर खड़े हुए साम्राज्य की बदौलत उन्होंने विधायक से लेकर सांसद तक का सफर तय किया। तत्कालीन पूर्व विधायक की सरेआम हत्या से लेकर तमाम बड़ी घटनाओं में उनका नाम सामने आया लेकिन किसी में सजा न होने से उन्हें चुनाव लड़ने से रोका नहीं जा सका। उनका अम्पायर दिन दूना और रात चौगुना की रफ्तार से तरक्की कर रहा था तब कानून के रखवाले भी उन पर हाथ डालने से कतराते थे। इस दौर में भी उनका जेल आना-जाना हुआ लेकिन कारोबार पर कोई असर नहीं पड़ा। विधान सभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने शुआट्स में जाकर पंगा लिया। इसके बाद उनके दुर्दिन शुरू हो गये। उन्हें गिरफ्तार किया गया। विधानसभा चुनाव में कानपुर से मिला टिकट कट गया। उन्हें देवरिया जेल भेजा गया। वहां लखनऊ के एक बिल्डर को जबरन बुलाकर पिटाई और कुछ कागजात पर हस्ताक्षर करवा लेने की घटना के बाद स्थिति यह हो गयी कि आज उनका बेटा भी फरारी काट रहा है। पूरा परिवार बेघर हो चुका है। जिस घर की तरफ लोग आंख उठाने से भी कतराते थे, उसे मलबे में तब्दील किया जा चुका है। उनके साढ़ू से लेकर गुर्गे तक के मकान पर बुलडोजर चल चुका है। उनकी नीम सराय की प्रापर्टी पर भी शुक्रवार को प्रशासन द्वारा कब्जे में ले लिये जाने का बोर्ड लग गया।

मो। खालिद अजीम उर्फ अशरफ

भाई अतीक के आतंक का साम्राज्य खड़ा होने पर अशरफ भी प्रापर्टी के बिजनेस में इनवाल्व हो गया। बीते दशक में तो उसका आतंक इस स्तर का था कि वह खुल बुलडोजर लेकर धूमनगंज एरिया में बने निर्माण को ढहाने पहुंच गया। इसी रसूख की बदौलत उसने शहर पश्चिम से विधान सभा तक पहुंचने का सफर भी पूरा कर लिया। सिर्फ एक साल पहले तक उसके रसूख का आलम यह था कि इनामी घोषित होने के बाद भी पुलिस उसका ठिकाना पता नहीं लगा पा रही थी। जिले की सरहद पर कौशांबी में स्थित उसकी ससुराल में पुलिस के पहुंचने से पहले ही उस तक सूचना पहुंचाने वाले सक्रिय हो जाते थे। इसी के चलते वह पुलिस की पकड़ की दूर रहा। लेकिन, अब वक्त करवट ले चुका है। उसे गिरफ्तार किया जा चुका है। उसके ससुराल का अलीशान मकान अपराधी को संरक्षण देने के आरोप में जमींदोज किया जा चुका है। वह जेल से अपना नेटवर्क संचालित न कर सके, इसके लिए उसकी जेल बदली जा चुकी है।

विजय मिश्रा

मूल रूप से भदोही जिले के रहने वाले विजय मिश्रा ने प्रयागराज में भी काफी प्रापर्टी बना रखी है। भदोही में हुए एक अपहरण कांड से उनके परिवार के दुर्दिन शुरू हो गये। उन्हें ही नहीं उनकी पत्‍‌नी एमएलसी रामलली मिश्रा और बेटे को फरारी काटनी पड़ गयी। विधायक तो सेटिंग से मध्य प्रदेश में गिरफ्तार किये गये। उन्हें नैनी जेल में रखा गया। लेकिन, मिलने-जुलने वालों की संख्या से वह भी टारगेट हो गये और नैनी जेल से शिफ्ट कर दिये गये। इसके बाद पुलिस ज्यादा सक्रिय हो उठी तो उनके अल्लापुर में स्थित एक शापिंग काम्प्लेक्स और एक बिल्डिंग पर धारा 82 का नोटिस चस्पा हो गया। इसके बाद इस टीम ने कोर्ट की शरण ली। हाई कोर्ट ने विजय मिश्र की पत्‍‌नी को जमानत मंजूर कर ली। बाद में कोर्ट ने उनकी प्रयागराज में स्थित दोनों प्रापर्टी को ढहाने पर रोक लगा दी। इससे फिलहाल विधायक की प्रापर्टी सेफ है।

दिलीप मिश्रा

यमुना पार एरिया में अपराध जगत में एक दशक के दौरान सबसे प्रभावशाली नाम दिलीप का ही था। वह भी प्रापर्टी के साथ तमाम अन्य बिजनेस में इनवाल्व था। अपराध में सक्रिय होने से मिली पहचान का फायदा उठाते हुए उसने राजनीति में प्रवेश किया और चाका के ब्लाक प्रमुख की कुर्सी तक जा पहुंचा। उसका नाम प्रदेश के कैबिनेट मिनिस्टर को ब्लास्ट करके उड़ाने की कोशिश में भी सामने आया था। इसके बाद तो उसके नाम भी भी पब्लिक घबराने लगी। लेकिन, वक्त हमेशा एक जैसा नहीं रहता, कहावत चरितार्थ हुई और दिलीप मिश्रा के दुर्दिन शुरू हो गये। पुलिस ने उन्हें साथियों के साथ अपहरण की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया और जेल भेजा। इसके बाद पुलिस ने उनके आतंक के साम्राज्य के खात्मे के लिए आर्थिक तंत्र पर हल्ला बोल दिया। वर्तमान समय में उनका करोड़ा की लागत से नैनी में बना हॉस्टल ढहाया जा चुका है। उनकी परेशानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

रामलोचन यादव

धूमनगंज एरिया में रहने वाले रामलोचन ने भी अपना साम्राज्य आतंक के बूते ही खड़ा किया था। वह तत्कालीन पूर्व विधायक जवाहर पंडित से जुड़े हुए थे। जवाहर की हत्या की के बाद विजमा यादव ने दावेदारी ठोंकी और विधायक की कुर्सी पर बैठने में कामयाब हो गयीें। इसके बाद से राम लोचन की तूती बोलने लगी। अपने आर्थिक साम्राज्य को ज्यादा से ज्यादा बड़ा करने के चक्कर में उसने भी प्रापर्टी डीलिंग को ही अपना मूल व्यवसाय बनाया और उसके दम पर बड़ा अम्पायर खड़ा कर लिया। इसी के दम पर उन्होंने राजनीति में प्रवेश किया। यहां भी उनकी पकड़ बेहद मजबूत रही। उनके भी दुर्दिन अब शुरू हो चुके हैं। पुलिस उनका नेहरू पार्क के पास स्थित करोड़ों की लागत से बना गेस्ट हाउस ढहा चुकी है। उनके दम पर बनने वालों की लिस्ट भी पुलिस के पास तैयार है। इससे आने वाले दिनो में भी उन्हें कोई राहत मिलने का संकेत नहीं है।

पप्पू गंजिया

यमुनापार एरिया में यह नाम भी अपराध के दम पर ही उछला था। हत्या, हत्या के प्रयास, जमीन कब्जे, धमकी, रंगदारी के दो दर्जन से अधिक मामले पप्पू गंजिया के खिलाफ अब तक दर्ज हो चुके हैं। गंजिया, माहरा परिवार से रंजिश के दौरान हुई गैंग वॉर में चर्चा में आया था। इसके बाद तो उसकी तरफ नजर उठाकर देखने की हिम्मत कम ही लोगों की पड़ती थी। उम्र ढलने के साथ उसकी अपराध जगत में सक्रियता कम हो गयी तो गुर्गो ने जिम्मेदारी संभाल ली। कमजोर पड़ते रसूख के बीच शुक्रवार को पुलिस ने उसका अम्पायर भी तहस-नहस कर दिया। उसकी करीब आठ करोड़ की प्रापर्टी जो नैनी एरिया में फॉर्म हाउस के रूप में थी तो प्रशासनिक टीम ने तहस-नहस कर दिया। आरोप लगा कि इस बिल्डिंग का निर्माण बिना नक्शा पास कराये कराया गया था।

जुल्फिकार अली उर्फ तोता

अतीक गैंग का यह सबसे शार्प शूटर माना जाता रहा है। वर्तमान समय में वह जेल में है। अतीक के नाम पर पब्लिक के बीच टेरर क्रिएट करके उसने भी काफी प्रापर्टी बना रखी थी। इधर, बीच में अतीक पर शिकंजा कसना शुरू हुआ तो उस पर भी प्रशासनिक अमले की नजर टेढ़ी हो गयी। पुलिस ने इसी सप्ताह उसके भी घोंसले को तोड़कर जमीन में मिला दिया।

बच्चा पासी

मुंबई में हुए काला घोड़ा शूट आउट में इसका नाम सामने आया था। उसकी भी जमीन आतंक से ही तैयार हुई थी। उसका नाम छोटा राजन गिरोह के सदस्य के रूप में सामने आया था। इसके दम पर उसने तमाम प्रापर्टी बनायी और अपने इर्द-गिर्द अच्छा खास लाव लश्कर तैयार कर लिया। इसके बाद उसने राजनीति में प्रवेश किया और पार्षद के रूप में नगर निगम पहुंच गया। उसके रसूख का ही असर था कि सीट महिला के लिए आरक्षित हुई तो उसने अपनी पत्‍‌नी को पार्षद बनवा दिया। वर्तमान समय में भी वह नगर निगम का पार्षद है लेकिन अपना मूल आशियाना जिसे उसने सालों से जुटायी गयी प्रापर्टी से खड़ा किया था, को गंवा चुका है। प्रशासन की टीम ने नक्शा पास न होने के आरोप में उसके भी आशियाने को तहस नहस कर दिया।

राजेश यादव

इसका नाम भी माफियाओं में शामिल है। एक समय में यह यूपी का दूसरे सबसे बड़े इनामी के रूप में दर्ज था। उसका नाम भी छोटा राजन गैंग से जुड़ा हुआ है। उसने अपना ठिकाना झूंसी एरिया में बना रखा था। प्रापर्टी के बिजनेस में उसने आतंक के दम पर काफी नाम कमाया था। इसी की बदौलत उसने काफी प्रापर्टी भी बनायी थी। दिन ठीक चल रहे थे तो उसका नाम एक के बाद एक करके कई घटनाओं में सामने आया लेकिन उसके आर्थिक साम्राज्य को कोई ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा पाया। अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं तो उसने सामने भी संकट खड़ा हो चुका है। प्रशासन की टीम उसका भी आशियाना तहस नहस कर चुकी है।

कम्मो जाबिर

बेली एरिया में रहने वाले दोनों का अलीशान मकान ही इन दोनों की पहचान बना था। एरिया में इन दोनों का रसूख दमदार था क्योंकि इसका नाम अतीक अहमद के साथ जुड़ा हुआ था। वक्त ने करवट ली तो महिलाओं को आगे करके करोड़ो रुपये खर्च करके बनाया गया आशियाना भी ढहा दिया गया। परिवार बेघर हो गया। रिश्तेदारों के यहां शरण लेनी पड़ गयी।

बुलडोजर चलाने की कार्रवाई उन्हीं लोगों पर की जा रही है जिन्होंने गलत किया है। नियम कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्ती का यह दौर आगे भी जारी रहेगा।

सत शुक्ला

जोनल अधिकारी, पीडीए