प्रयागराज (ब्यूरो)। Yes Bank Crisis: सरकार द्वारा यस बैंक में नकदी निकासी की सीमा अधिकतम पचास हजार कर दी गई है। इसके बाद ग्राहकों में अफरा-तफरी है। शुक्रवार को सिटी स्थित यस बैंक की तमाम ब्रांच में ग्राहकों की भारी भीड़ लगी रही। सभी इस आदेश को लेकर पूछताछ करने पहुंचे थे। उनको अपनी जमा रकम की चिंता सता रही थी। इस दौरान बैंक द्वारा सर्वर डाउन होने की दलील देकर लोगों को कैश देने से भी हाथ खड़ा कर दिया गया। इस बात ने कस्टमर्स की तकलीफ और बढ़ा दी। उधर बैंक अधिकारियों ने मीडिया को भी रिस्पांस नहीं दिया।

सुबह से लग गई थी लाइन
-प्रयागराज में यस बैंक की तीन शाखाएं हैं। सिविल लाइंस मेन शाखा में सुबह से भारी भीड़ लगी रही।
-यहां पहुंचे सभी लोग बैंक में जाकर इंप्लॉयीज से बैंक के बाबत दिए गए आदेश को लेकर पूछताछ कर रहे थे।
-बैंक प्रबंधन ने उनको बताया कि चिंता की बात नही है। केवल एक माह के लिए यह नियम बनाया गया है। इसके बाद आप अपनी जमा रकम को निकाल सकते हैं।
-हालांकि इस जवाब से ग्राहक संतुष्ट नही हुए और प्रबंधन को खरी खोटी सुनाकर भड़ास निकालते रहे।

त्योहार और इलाज के लिए रकम की मांग
-बैंक में ऐसे कई ग्राहक भी पहुंचे थे जिनको इलाज, बिजनेस और होली त्योहार के लिए पैसों की जरूरत थी।
-उनका कहना था कि बिजनेस से कमाया पैसा बैंक में जमा करा दिया है। अब जरूरत है तो बैंक दे नहीं रहा। ऐसे तो हमारा बिजनेस डूब जाएगा।
-कई लोग होली के त्योहार के मददेनजर पैसे मांग रहे थे। उनका कहना था कि सालभर का त्योहार बिना कैश कैसे मनाया जाएगा।
-बीमारी के इलाज के लिए भी लोग मोटी रकम की मांग कर रहे थे जिससे देने में बैंक ने असमर्थता जता दी।

खाली हाथ लौटने पर हुए मजबूर
-ग्राहकों को सबसे ज्यादा कष्ट तो तब हुआ जब हजार रुपए भी बैंक ने नही दिए।
-बैंक प्रबंधन का कहना था कि सर्वर डाउन होने की वजह से पैसे देना मुमकिन नही है।
-कुछ ग्राहकों ने ऑनलाइन कैश ट्रांजैक्शन करने की कोशिश की तो भी असफल रहे।
-ऑनलाइन हैवी ट्रैफिक बताकर बैंक अप्लीकेशन ने रिक्वेस्ट को ठुकरा दिया। इससे ग्राहकों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

क्या बोली पब्लिक
पैसे की जरूरत थी। बैंक वालों का कहना है कि घबराने की जरूरत नही है। एक माह की बात है। इसके बाद कैश मिलने लगेगा। लोगों को मर्जिग की प्राब्लम के चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अचानक डिसीजन लेने से पहले पब्लिक को जानकारी देनी चाहिए थी।

मनु मिश्रा

अखबार में खबर पढ़कर चला आया हूं। आने के बाद पता चला कि वाकई दिक्कत हो गई है। यह सब अचानक नहीं होना चाहिए। सरकार को डिसीजन लेने से पहले ग्राहकों को विश्वास में लेना चाहिए था।

-ऋषभ सिंह

मैकेनिकल इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी। बिजनेस शुरू करने के लिए तीन लाख रुपए की जरूरत थी लेकिन बैंक ने नया नियम बना दिया। अब एक महीने तक मैं क्या करुंगा, कुछ समझ नही आ रहा।

-पंकज कुमार सिंह

हार्ट पेशेंट हूं। इलाज के लिए पैसों की जरूरत थी लेकिन अब देने से मना कर रहे हैं। आखिर आदमी क्या करे। बिना इलाज मर जाए क्या। पहले तो घर जाकर बड़ी बड़ी बातें की और अब अपना ही पैसा नहीं दिया।

-महंत शिवानंद

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