दवाओं पर वैट में पांच तो जीएसटी में अब 12 प्रतिशत लग रहा है टैक्स
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ALLAHABAD: वैट में जिन दवाओं पर पांच प्रतिशत टैक्स लगता था, जीएसटी लागू होने के बाद उन पर 12 प्रतिशत टैक्स देना पड़ रहा है। इस वजह से दवाओं का रेट बढ़ गया है। दवा व्यापारियों द्वारा दवाओं पर टैक्स स्लैब कम किए जाने की मांग लगातार की जा रही है। टैक्स स्लैब अगर कम हो जाए तो दवाओं का रेट भी कम हो जाएगा।

दवा पर खत्म करें ई-वे बिल
दवा व्यापारियों का कहना है कि ई-वे बिल के चक्कर में दवा आने में देर हो रही है। पहले जो दवा एक दिन में आ जाती थी, उसे आने में अब दो से तीन-दिन का समय लग रहा है। आज स्थिति ये है कि ट्रांसपोर्टर सभी सामानों की तरह दवाओं का ई-वे बिल जेनरेट करता है। इसके प्रॉसेस में अब समय लग जा रहा है। किसी को दवा और इंजेक्शन की इमरजेंसी जरूरत है तो उसे मिल नहीं पा रहा। इसलिए दवा को ई-वे बिल के दायरे से बाहर कर देना चाहिए।

जीएसटी का दवा व्यापारियों पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। क्योंकि दवा व्यापार 100 परसेंट नंबर वन पर होता है। कैश ट्रांजेक्शन बंद हो गया है। नुकसान कंज्यूमर को हुआ है, क्योंकि जीएसटी में दवाओं का रेट बढ़ गया है।

-परमजीत सिंह

महामंत्री

इलाहाबाद केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन

दवा के बिजनेस में नंबर दो का कोई प्रावधान ही नहीं है। ऐसे में दवा को ई-वे बिल के दायरे में लाना पूरी तरह से गलत है। अब किसी हॉस्पिटल वाले को या फिर किसी मरीज को 50 हजार से अधिक मूल्य के दवा व इंजेक्शन की जरूरत है तो उसे तत्काल दवा नहीं दे पा रहे हैं।

-तरंग अग्रवाल

दवा व्यापारी

जीएसटी लागू होने के बाद दवा पर चार टैक्स स्लैब लागू था। सरकार ने 28 परसेंट को कम कर दिया है। 18 परसेंट का टैक्स स्लैब भी कम किए जाने की जरूरत है। बाकी जीएसटी में दवा व्यापारियों को कुछ खास दिक्कत नहीं आ रही है। बस लिखा पढ़ी का बोझ बढ़ गया है।

-रतन अग्रवाल

दवा व्यापारी

दवा व्यापारियों को सबसे ज्यादा दिक्कत डॉक्यूमेंट के रख-रखाव और रिटर्न को लेकर हो रही है। वैट की तरह ही अगर सिंपल रिटर्न के साथ ही कागजी लिखा-पढ़ी से राहत मिल जाए तो व्यापारी आराम से व्यापार कर सके।

-मनोज रस्तोगी

दवा व्यापारी

जीएसटी के फायदे

-अभी तक जो दवा व्यापारी वैट में अनरजिस्टर्ड थे, जीएसटी में रजिस्टर्ड हो गए हैं।

-पहले कहीं से भी दवा मंगाने और बेचने की छूट नहीं थी। यह जीएसटी में खत्म हो गई है।

दवा व्यापारियों की यह है मांग

-जीएसटी में रिटर्न तीन की जगह वैट की तरह एक ही होना चाहिए।

-अगर व्यापारी से रिटर्न भरने में कोई गलती हो गई है तो रिवाइज की सुविधा देनी चाहिए।

- जीएसटी में त्रुटि सुधार की सुविधा नहीं दी गई है।

-लिखा-पढ़ी का झंझट कम हो जाए तो सीए और अधिवक्ता पर हो रहा खर्च बचे।

-व्यापारियों को एक-एक रिटर्न का सीए को डेढ़ से दो हजार रुपये तक देना पड़ रहा है।

जीएसटी में दवाओं पर लागू टैक्स की दरें

इंसुलिन, अन्य जीवनरक्षक इंजेक्शन, दवाएं: 5 प्रतिशत

सिरप आदि दवाएं: 12 प्रतिशत

फूड सप्लीमेंट आदि: 12 प्रतिशत

कुछ अन्य दवाएं: 18 प्रतिशत

 

जीएसटी लागू होने के साथ ही जिन दवाइयों पर पहले 5 प्रतिशत टैक्स लगता था, उनका टैक्स 12 प्रतिशत हो गया है।

-बेबी फूड्स प्रोडक्ट और सप्लीमेंट्स पर पहले जहां 12 प्रतिशत टैक्स था, वो अब 12 परसेंट हो गया है।

-90 प्रतिशत दवाओं पर वैट में छह प्रतिशत टैक्स लगता था, जो अब 12 प्रतिशत के दायरे में आ गई हैं।