-छठ मइया के गीत गाते हुए घाट पर पहुंचीं व्रती महिलाएं

-कोरोना गाइडलाइंस की जमकर उड़ीं धज्जियां, उमड़ी भीड़

-कई लोगों ने घरों में ही किया इंतजाम, अस्थायी तालाब बनाकर दिया अ‌र्घ्य

PRAYAGRAJ: 'कांचहि बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए, दर्शन दीन्हीं ना अपन ये छठी मइया.' ऐसे ही धार्मिक गीत गाते हुए व्रती महिलाओं ने सूर्य की उपासना की। शुक्रवार शाम साढ़े पांच बजे से ही व्रतधारी महिलाओं ने डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठ पूजा की। हालांकि कोरोना की गाइडलाइंस के बावजूद घाटों पर भीड़ काफी ज्यादा रही। इस दौरान संगम घाट, नींवा, फाफमऊ, झूंसी, नैनी, अरैल समेत तमाम घाटों पर व्रतियों की भीड़ उमड़ी रही। वहीं कोरोना को देखते हुए कुछ व्रती महिलाओं ने घरों में अस्थायी तालाब बनाकर डूबते हुए सूर्य को अ‌र्घ्य दिया। छठ पर्व के आखिरी दिन शनिवार की सुबह उगते सूरज की आराधना की जाएगी।

गन्ने के मंडप सजाकर हुई पूजा

शुक्रवार की शाम लाखों महिलाओं द्वारा गन्ने के मंडप सजाकर उसमें अलग-अलग प्रकार के फलों और पकवानों को रखकर पूजा-अर्चना की। सूर्य देव के डूबने से पहले महिलाओं ने जल से भगवान सूर्य देव को अ‌र्घ्य दिया। इसके साथ ही सूर्य की उपासना की कहानी सुनाई। इस दौरान महिलाओं ने तालाब में दीपदान भी किया। लोक परंपरा के मुताबिक व्रतधारी महिलाओं ने विशेष प्रकार से मांग भरी। इस दौरान महिलाओं ने भोजपुरी के लोकगीत भी गाए। ऐसी मान्यता है कि लंबी मांग भरने से सुहाग की उम्र लंबी होती है।

मन्नत पूरी के बाद कोसी भराई की रस्म

मान्यता है कि कोसी भराई की रस्म वे लोगों करते हैं, जिनकी पिछले साल मांगी हुई मन्नत और मुराद पूरी हो जाती है। इस साल उन्होंने भगवान भास्कर को सप्तमी की। शुक्रवार शाम अ‌र्घ्य देने के बाद रात में कई घरों में जागरण तक आयोजन रखा गया। इस दौरान कोसी भराई की रस्म रात में पूरी की गई। इस रस्म के तहत 24 गन्नों के साथ 24 कलश और दीपक का पूजन किया गया। उगते सूर्य के दौरान गाय के दूध से अ‌र्घ्य देने के बाद व्रत व उपवास को समाप्त करते हैं। इस कोसी रस्म में व्रती महिलाएं घर परिवार में नौकरी, बीमारी से मुक्त, मांगे गए नए कार्य की प्राप्ती जैसी चीजें मांगती हैं। इस वर्ष भी तमाम व्रती महिलाओं ने व्रत कर नई मन्नत व कामना की।

-कोरोना को लेकर प्रशासन की तरफ से सख्त गाइडलाइंस जारी की गई थीं। लोगों ने घरों में ही पूजा करने की अपील भी की गई थी।

-कई लोगों ने घरों में ही पूजा का इंतजाम किया। अपने घर व अपार्टमेंट में ही अस्थायी तालाब बनाकर किया पूजन।

-हालांकि कई जगहों पर घाटों पर जमकर भीड़ उमड़ी और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ती दिखीं।

ठेकुआ खाकर व्रत का पारण आज

कार्तिक शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि पर शनिवार की सुबह डाला छठ व्रत का विधिवत पारण होगा। व्रती महिलाएं महिलाएं भोर में ही हाथों में कोसी लेकर ढोल-ताशा के साथ घाट पहुंचेंगी। वहां अपनी बेदी में पूजन करने के बाद कमरभर जल के अंदर जाकर उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देंगी। उनके साथ पति व परिवार का हर सदस्य सूर्य को अ‌र्घ्य देगा। अ‌र्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं मांग भराई करके अखंड सौभाग्य का आशीष लेंगी। फिर घर आकर आटा, चीनी, गरी, बाजरा के आटा, देशी घी, किसमिस से बना ठेकुआ व खजूर खाकर व्रत खत्म करेंगी।

ढलते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जाता है। इसके अलावा परिवार की सेहत से जुड़ी भी कई समस्याएं दूर होती है। मान्यता यह भी है कि ढलते सूर्य को अ‌र्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

नीतू सिंह, व्रती महिला

छठ व्रत नियम तथा निष्ठा से किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि व्रत द्वारा नि:संतान को संतान सुख प्राप्त होता है। धन-धान्य की प्राप्ति होती है तथा जीवन सुख-समृद्धि से परिपूर्ण रहता है। शनिवार को उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर व्रती का समापन होगा।

अमेरिका देवी, व्रती महिला

सूर्य को अ‌र्घ्य दिए बिना छठ की पूजा नहीं मानी जाती है। अ‌र्घ्य देने के बाद एक दूसरे को सिंदूर लगाया गया। जितना बड़ा सिंदूर लगाया जाता है। उतनी लंबी आयु पति व परिवार की होती है।

अनीता, व्रती महिला