पब्लिक नहीं मानती कि सफाई के लिए तैयार है इलाहाबाद

-आज से शुरू हो रहा है स्वच्छ सर्वेक्षण-2018

-पांच दिनों तक इलाहाबाद में रहेगी केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की टीम

ALLAHABAD: स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 के लिए पिछले दो महीने से चल रही तैयारियों को परखने का वक्त आ चुका है। 15 फरवरी से नगर निगम इलाहाबाद में स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 शुरू होने जा रहै। गुरुवार की सुबह केन्द्रीय टीम इलाहाबाद पहुंच जाएगी। नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन तो शहर को स्वच्छ बनाने और सर्वेक्षण में बेहतर पोजिशन दिलाने का दावा कर रहा है। लेकिन शहर के लोगों की उम्मीदें बिल्कुल विपरीत हैं। क्योंकि लोग सफाई व्यवस्था में बदलाव महसूस नहीं कर रहे हैं।

दो दिन देखेंगे कागजात

केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय की चार सदस्यीय टीम पांच दिन तक यहां रहकर स्वच्छ सर्वेक्षण करेगी। पहले दो दिन जहां डॉक्यूमेंटेशन की जांच होगी। वहीं तीन दिनों तक टीम यमुनापार के बंसवार स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट समेत शहर के विभिन्न स्थलों का निरीक्षण कर सफाई व्यवस्था का जायजा लेगी। टीम जगह-जगह जाकर सफाई व्यवस्था के हकीकत को देखेगी। वहीं लोगों से फीडबैक भी लेगी।

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने पब्लिक से किया सवाल

क्या आप मानते हैं कि इलाहाबाद शहर स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 के लिए तैयार है? यहां की सफाई और कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था क्या अन्य शहरों को टक्कर देने लायक है?

नहीं, सिविल लाइंस और पॉश एरिया को छोड़ दिया जाए तो गंगा नगर जैसे ज्यादातर इलाकों में जगह-जगह कचरा फैला हुआ मिल जाएगा। कोई ढंग का प्लान नहीं है नगर निगम के पास।

-कुलदीप त्रिपाठी

बिल्कुल नहीं, कम से कम अल्लापुर, दारागंज और कीडगंज एरिया को देख कर तो ऐसा बिल्कुल नहीं कहा जा सकता है कि शहर स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए तैयार है।

-अनुराग तिवारी

हकीकत में कहा जाए तो यहां केवल नाम के लिए सारे काम होते हैं। यदि हम सफाई पर विशेष जोर देते तो जनता भी आगे बढ़ती और सफाई में अपना रुझान दिखाती।

-विवेक गोंड

बेहतर सफाई व्यवस्था की बात करें तो पहले की स्थिति में थोड़ा बहुत सुधार हुआ है। लेकिन अभी भी शहर में जगह-जगह कचरे का अंबार लगा रहता है। मेन रोड से हट कर थोड़ा अंदर की ओर जाएं तो व्यवस्था की पोल खुल जाती है।

-वकील यादव

यहां की सफाई व्यवस्था देश के अन्य शहरों को टक्कर देने लायक नहीं है। सफाई की हालत बद से बदतर है। बस होर्डिग लगाने में ही शहर आगे है। बाकि हकीकत एकदम विपरीत है। शहर में कहीं भी जाइए, कूड़े का ढेर मिलना निश्चित है।

-भारतेंद्र त्रिपाठी

सबसे पहले अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कानून बनाना चाहिए। फिर सफाई की बात हो। यहां पर अतिक्रमण हटा के जाते हैं और दुबारा फिर अतिक्रमण हो जाता है। इससे सफाई नहीं हो पाती है।

-भानु प्रताप मिश्रा

इलाहाबाद स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 के लिए अन्य स्वच्छ शहरों को टक्कर देने के लिए अभी तैयार नहीं हुआ है। काम चल रहा है। अभी और मेहनत करनी पड़ेगी। कचरा निस्तारण की व्यवस्था अभी यहां बेहतर नहीं है। इसमें अभी और समय लगेगा।

-महेंद्र कनौजिया

पब्लिक से पूछे जाएंगे ये सवाल

-क्या आप जानते हैं कि आपका शहर स्वच्छता रैंकिंग के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण-2018 में भाग ले रहा है?

-क्या पिछले साल के मुकाबले आपका क्षेत्र साफ है?

-इस साल क्या आपने सार्वजनिक क्षेत्रों में कूड़े के डिब्बे का उपयोग शुरू कर दिया है?

-क्या आप इस वर्ष अपने घर से अलग-अलग कचरा एकत्र किए जाने की व्यवस्था से संतुष्ट हैं?

-क्या आपको लगता है कि पिछले वर्ष के मुकाबले मूत्रालय व शौचालयों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है?

-क्या सार्वजनिक शौचालय अब अधिक साफ और सुलभ हैं?

- शौचालयों में बुजुर्गो, दिव्यांगों के लिए सुविधा है या नहीं?

-महिलाओं के लिए प्रवेश द्वार अलग है या नहीं?

- डस्टबिन का इस्तेमाल कर रहे हैं कि नहीं?

(नोट: सवाल-जवाब पर माइनस मार्किंग भी है, इसलिए लोग सधे हुए जवाब देंगे तो उसका फायदा शहर को मिल सकता है)

4000 नंबर का है स्वच्छ सर्वेक्षण

कुल प्वॉइंट्स: 4000

निगम की वर्किंग: 1400

डॉक्यूमेंटेशन: 1200

सिटीजन फीडबैक व ग्राउंड सर्वे: 1400

स्वच्छ सर्वेक्षण 2018 के लिए इलाहाबाद पूरी तरह से तैयार है। नगर निगम एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही पार्षदों ने भी पूरी ताकत झोंक दी है। लोगों की भी मदद मिल रही है। लगातार जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसका परिणाम बेहतर मिल सकता है।

-अभिलाषा गुप्ता

मेयर, नगर निगम

इलाहाबाद