जमीन के मामलों के लिए तैयार होगा अलग से रजिस्टर , हर माह समीक्षा

जमीन के विवाद में हो रही घटनाओं पर सरकार का मास्टर प्लान

39

थाने हैं जिले में

90

चौकियां हैं इन थाना से सम्बद्ध

80

शिकायतें औसत हर माह जमीन के विवाद की

3230

मामले प्रदेश में अधिवक्ताओं के साथ मारपीट के

07

अधिवक्ता जमीन से जुड़े मामलों की पैरवी के चलते मारे गये

2032

अधिवक्ताओं के साथ मारपीट की गयी

(स्रोत: अधिवक्ताओं के साथ छह माह में हुई घटनाओं की बार कौंसिल की समीक्षा रिपोर्ट)

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

जर, जोरू और जमीन। ज्यादातर घटनाओं के पीछे अब भी यही है। इसे रोकने के लिए तमाम जतन किये गये। संयोग से सब फेल हो गये। सरकार अलग चिंतित है और बार कौंसिल अलग। बार कौंसिल ने तो पूरा डाटा ही तैयार कर लिया है कि जमीन के मामलों की पैरवी करने पर कितने वकीलों की जान पर बन आयी है। पब्लिक भी जमीन की जंग लड़ रहा है। यह एक पहलू है। इसका दूसरा पहलू यह है कि सरकार और पुलिस ने मिलकर ऐसा ताना-बाना बुना है कि जमीन के विवाद को आगे बढ़ने ही न दिया जाय। इसके लिए थानो में रजिस्टर अलग किये जाने का प्रावधान किया गया है। तय किया गया है कि हर महीने समीक्षा की जायेगी कि रजिस्टर में दर्ज मामलों में एक्शन क्या लिया गया।

सरकार के साथ पुलिस गंभीर

अलग बनने वाले रजिस्टर पर जमीन पर कब्जा, पारिवारिक बंटवारे को लेकर आने वाली शिकायतें दर्ज की जाएंगी

माना जा रहा है कि बड़ी संख्या में घटनाओं के पीछे यही बड़ी वजह है

जारी किए गए आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि अलग रजिस्टर पर कब्जे व बिक्री में लेनदेन को लेकर हुए विवाद की शिकायतें दर्ज करें।

ऐसे मामलों को हल्का लेखपाल व कानूनगो के साथ मिलकर पुलिस निस्तारित करवाए।

जरूरत पड़ने पर एसडीएम व डीएम के स्तर से उचित कार्रवाई का आर्डर जारी करवाया जाय।

माना जा रहा है कि इससे जमीन को लेकर मर्डर जैसी घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।

मौजूदा हालात हैं नाजुक

जमीन से सम्बंधित विवाद को लेखपाल व कानूनगो नहीं देते ज्यादा तवज्जो

तहसील में सुनवाई न होने पर मामला थाना पहुंच जाता है

पुलिस अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला होने के चलते ऐसे मामलों का निस्तारण नहीं करा पाती

जमीन की नाप एवं हकबरारी का अधिकार हल्का लेखपाल व कानूनगो के पास है

इस तरह होगी रजिस्टर में इंट्री

रजिस्टर में शिकायतकर्ता का नाम, पता और मोबाइल नंबर के साथ विवाद का कारण व प्रकार दर्ज किया जाएगा।

विपक्षी नामजद हैं और संख्या कई है तो केवल मुख्य आरोपित का नाम लिखा जाएगा।

दर्ज मुकदमा संख्या भी रजिस्टर पर अंकित होगा ताकि जरूरत पर रिपोर्ट की डिटेल देखी जा सके।

कार्रवाई के वक्त यह रजिस्टर लेखपाल व कानूनगो के साथ पुलिस मौके पर ले जाएगी।

मौके पर दोनों पक्ष समझौता कर लेते हैं तो रजिस्टर में गवाहों के साथ समझौते की बात डेट सहित लिख दी जाएगी।

अधिवक्ताओं को भू-माफियाओं से खतरा

यूपी बार कौंसिल ने प्रदेश के अधिवक्ताओं की हत्या के विरोध में 16 जनवरी को न्यायिक कार्य से विरत रहने की घोषणा कर चुका है। हाई कोर्ट बार ने भी इस प्रस्ताव को समर्थन कर दिया है। बार कौंसिल के प्रस्ताव का कारण अधिवक्ताओं के साथ हो रही घटनाओं को बताया गया है। कौंसिल ने बीते छह माह में हुई घटनाओं की समीक्षा में पाया है कि वकीलों के साथ अधिकतर घटनाओं में परोक्ष व अपरोक्ष रूप से भू-माफियाओं जुड़े रहे। माना जा रहा है कि जमीन से जुड़े मामलों की कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं को ही निशाना बनाया जा रहा है।

कोर्ट में संपत्ति व भूमि संबंधित विवादों के प्रकरण ज्यादा लंबित हैं। उसमें पैरवी करने वाले अधिवक्ताओं को जान का खतरा बना है। इसमें उत्तर प्रदेश की नजूल नीति का बहुत बड़ा योगदान है। जहां अधिकारियों की मिलीभगत से भू-माफिया कब्जा कर रहे हैं। वकील कोर्ट में इसकी पैरवी करते हैं तो उन्हें धमकी मिलती है।

अमरेंद्रनाथ सिंह

पूर्व अध्यक्ष, बार कौंसिल उत्तर प्रदेश

रेंट कंट्रोल एक्ट की आड़ में मकानों को हड़पने का प्रयास किया जाता है। अधिवक्ता उसे रोकने के लिए केस लड़ते हैं तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी जाती है। कौंसिल ने प्रदेश सरकार से नजूल नीति व रेंट कंट्रोल एक्ट का दुरुपयोग रोकने के लिए कड़ा कानून बनाने की मांग की है।

देवेन्द्र मिश्रा

उपाध्यक्ष, बार कौंसिल उत्तर प्रदेश

भूमि विवाद से जुड़ी घटनाओं को देखते हुए थानों पर रजिस्टर बनाकर मॉनीटरिंग के आदेश हैं। सतर्कता बनी रहे इसलिए बराबर निर्देश आते रहते हैं। जमीन के मामलों के लिए सभी थानों पर भूमि विवाद रजिस्टर बनाए जाने के निर्देश दिए भी गए हैं। ताकि इस तरह के केस को वरीयता क्रम में अभिलेखीय कार्रवाई करते हुए हल कराया जा सके।

-बृजेश कुमार श्रीवास्तव, एसपी सिटी प्रयागराज