-प्रयागराज में डेंगू को लेकर बहुत ही डल है अप्रोच

-लापरवाही की पराकष्ठा, फॉगिंग तक नहीं हो रही

PRAYAGRAJ: पीक सीजन में शहर में डेंगू का स्कोर जीरो है। यह जानकर आपको भी ताज्जुब होगा लेकिन सच यही है। कोरोना रोकथाम में लगे स्वास्थ्य विभाग को डेंगू का ध्यान नहीं है। यही वजह है कि इस बार न तो सड़कों पर फॉगिंग होती नजर आ रही है और न ही दवाओं का छिड़काव हो रहा है। जब कि सच यह है कि मच्छरों ने लोगों की नींद उड़ा रखी है।

सैंपल का भी टोटा

हर साल अक्टूबर माह तक डेंगू के मरीजों की संख्या तीन से चार सौ तक पहुंच जाती थी। लेकिन इस बार बीमारी का खाता तक नहीं खुला है। ऐसा इसलिए नहीं कि डेंगू फैल नहीं रहा है। बल्कि शासन व प्रशासन का ध्यान केवल कोरोना रोकथाम में लगा हुआ है। एमएलएन मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलाजी लैब में इस सीजन में डेंगू के सैंपल का भी टोटा बना हुआ है।

न फॉगिंग न दवा का छिड़काव

कोरोना संक्रमण होने से इस साल फॉगिंग और दवा के छिड़काव में भी लापरवाही बरती जा रही है। सितंबर और अक्टूबर के महीने में शहर के वीआईपी एरिया को छोड़कर कहीं भी फॉगिंग नहीं हुई है। दवा का छिड़काव करने वाले कर्मचारियों को कोरोना की दवा के छिड़काव में लगा देने से यह काम भी ठप पड़ा है। यह कर्मचारी कंटोनमेंट जोन में अपना एफर्ट दिखा रहे हैं।

प्राइवेट हॉस्पिटल में चल रहा इलाज

कोरोना के चक्कर में डेंगू ने हथियार डाल दिए, ऐसा नहीं है। डेंगू अपने पूरे स्विंग में है। असलियत जाननी है तो शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल में विजिट की जा सकती है। शहर के नामचीन प्राइवेट हॉस्पिटल्स में रोजाना डेंगू के लक्षण वाले मरीज भर्ती हो रहे हैं। यही वजह है कि ब्लड बैंकों से रोजाना ढाई से तीन सौ यूनिट प्लेटलेट्स सप्लाई किया जा रहा है।

लापता है अभियान

हर साल डेंगू की रोकथाम के लिए तमाम प्रकार के अभियान चलाए जाते थे। इनमें घर-घर पम्फलेट पहुंचाना और लोगों को जागरुक करना था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। लोगों का डेंगू से बचाव के तरीकों पर कही भी चर्चा नहीं की जा रही है। इसका परिणाम है कि लगातार मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। अगर यही हाल रहा तो सरकार को कोरोना के पैरेलल डेंगू की रोकथाम के लिए अलग से अभियान चलाना पड़ सकता है।

डेंगू के लक्षण

-अचानक तेज बुखार

-सिर में आगे की ओर तेज दर्द

-मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द

-स्वाद का पता नहीं चलना व भूख नहीं लगना

-छाती और ऊपरी अंगों पर खसरे जैसे दाने

-चक्कर आना

-जी घबराना, उल्टी आना

-शरीर में खून के चकत्ते व सफेद कोशिकाओं की कामी

-बच्चों में हल्का बुखार होता है।

बचाव

-मच्छरदानी का उपयोग

-आसपास जलभराव नहीं होने देना

-गमलों, प्लास्टिक, टायर आदि में पानी इकट्ठा न होने दें

-कूलर को खाली कर दें

-पूरे बदन के कपड़े पहनें

-अधिक कलरफुल कपड़ों पर डेंगू मच्छर अधिक आकर्षित होता है

इस बार डेंगू के का एक भी केस सामने नहीं आया है। लैब में सैंपल भी नहीं पहुंच रहे हैं। हमारे पास हॉस्पिटल्स से सूचना आएगी तो जांच के लिए सैंपल लिया जाएगा। फिलहाल हमारा काफी स्टाफ कोरोना की रोकथाम में लगा हुआ है।

-केपी द्विवेदी, जिला मलेरिया अधिकारी