घर में घुस चुकी है गंदगी, मोहल्लों में लगा है कचरे का अंबार

अशोकनगर नेवादा के कछारी इलाकों में नहीं पहुंची नगर निगम की टीम

ALLAHABAD: गंगा-यमुना की लहरें जब उफान पर थीं तो डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही विभिन्न संस्थाओं और राजनीतिक दलों ने राहत सामग्री बांटी। लेकिन राहत सामग्री अशोक नगर नेवादा के कछारी इलाकों में फंसे सैकड़ों परिवारों तक नहीं पहुंची। किसी तरह लोगों ने समय बिताया। लेकिन बाढ़ का प्रकोप कम होने के बाद भी नगर निगम के साथ ही एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से कोई राहत न मिलने से लोगों में आक्रोश है। नगर निगम ने शहर में सफाई कर्मचारियों की फौज उतारने का दावा किया है, लेकिन अशोक नगर नेवादा के कछारी इलाके में आज तक कोई सफाई कर्मचारी नहीं पहुंचा है। लोगों ने खुद अपने घरों व मोहल्लों की सफाई की है। वहीं जहां पर लोगों का घर नहीं है, वहां अभी भी गंदगी पड़ी हुई है। शनिवार को आईनेक्स्ट ने अशोकनगर राजापुर के हालात का जायजा लिया तो स्थिति काफी चौकाने वाली नजर आई।

मत पूछिए कैसे बीते 12 दिन

नेवादा कछार की रहने वाली मन्नी देवी ने बताया कि भईया, बाढ़ के दौरान दस से बारह दिन कैसे बीते, हम नहीं बता सकते हैं। हर एक दिन डर-डर के गुजरा। मकान का निचला हिस्सा पानी में डूबा हुआ था। ऐसे में छत पर बांस-बल्ली से टेंट लगाकर पूरे परिवार ने समय गुजारा। दिन तो कट जाता था, लेकिन रात नहीं कटती थी। अंधेरे के साथ ही कहर ढा रही लहरों की आवाज के बीच सांप-बिच्छू का डर सताता रहता था। हजारों लोग फंसे रहे, लेकिन मदद को कोई नहीं आया।

नुकसान का नहीं मिलता मुआवजा

नेवादा के बाढ़ प्रभावित लोगों ने कहा कि हर दो-तीन साल पर पूरा इलाका बाढ़ का कहर झेलता है। इससे लोगों को भारी नुकसान होता है। लेकिन मुआवजा नहीं मिलता है। नेवादा की रहने वाली विजय लक्ष्मी पांडेय ने बताया कि 2013 बाढ़ में भी उनके मकान का नीचे का पूरा हिस्सा डूब गया था। भारी नुकसान हुआ था। मुआवजा देने के लिए सर्वे भी हुआ था। लेकिन तीन साल बाद भी मुआवजा नहीं मिला। इस वर्ष भी बाढ़ में काफी नुकसान हुआ है। लेकिन मुआवजा मिलने की उम्मीद नहीं है।

खुद मिलकर की सफाई

अशोकनगर नेवादा कछार के लोगों ने बताया कि बाढ़ की विभीषिका शांत होने के बाद 25-26 अगस्त से पानी कम होना शुरू हो गया तो छत पर डेरा डाले परिवारों ने नीचे उतरना शुरू किया। लेकिन पूरा इलाका गंदगी से बजबजा रहा था। इसके बावजूद सफाई कर्मचारी यहां नहीं पहुंचे। विवश होकर सभी लोगों ने मिलकर अपने घरों और फिर मोहल्ले की सफाई की।

बाढ़ पीडि़तों का दर्द उन्हीं की जुबानी

का बताई भईया, बाढ़ आएस तौ कोई मदद करै नाहीं आवा। अब बाढ़ शांत होई गई तबौ कोई मदद करै वाला नाहीं बा। कईसौ न कइसौ घर और गली के सफाई किया। नगर निगम के कौनौ कर्मचारी सफाई करै नाहीं आवा।

हरीलाल, अशोक नगर, नेवादा

18 से 28 अगस्त तक ऋषिकुल स्कूल में रहने के बाद सोमवार को अपने घर पहुंचे। लेकिन साफ-सफाई की स्थिति ये है कि गंदगी और बदबू से अब चक्कर आ रहा है।

अमित सोनकर, नेवादा

बाढ़ निकलने के बाद कोई मदद करने नहीं आया। घर के अंदर व पूरे मोहल्ले में जलकुंभी का ढेर लगा हुआ था। जिसे हम लोगों ने पूरे परिवार के साथ मिल कर साफ किया। मोहल्ले में न सफाई कर्मचारी आए और न दवाओं का छिड़काव हुआ।

मन्नी देवी, नेवादा, कछार

12 से 13 दिन हम सब ने छत पर बांस-बल्ली से तिरपाल लगाकर बिताए। कोई मदद करने नहीं आया। पानी में तैर कर या फिर नाव की मदद से सामान लाते थे। राहत सामग्री बांटने वाले आगे के हिस्सों में ही सामग्री बांट कर निकल जाते थे। अब बाढ़ खत्म होने के बाद भी यहां कोई मदद करने नहीं आया।

देवेश, नेवादा, कछार

बाढ़ की विभीषिका झेलने के बाद अब स्थिति ये है कि भीषण गर्मी, उमस और बदबू के बीच सांस लेना मुश्किल हो रहा है। थोड़ी देर कहीं बैठने पर चक्कर जैसा महसूस हो रहा है। यही हाल पूरे इलाके का है। अगर सफाई व्यवस्था बेहतर हो जाए तो कम से कम इस तरह की दिक्कत न हो।

विनोद

बाढ़ निकलने के बाद चारों तरफ गंदगी का ढेर लगा हुआ था। मिट्टी, बालू व कीचड़ घर में घुसा हुआ था। पूरा इलाका बजबजा रहा था। लेकिन नगर निगम का कोई कर्मचारी सफाई करने नहीं आया। हम लोगों ने खुद पूरे इलाके को साफ किया। सफाई कौन कहे, कीटनाशक दवाओं का भी छिड़काव नहीं हुआ। बाजार से गमकसीन, ब्लीचिंग पाउडर आदि खरीद कर छिड़काव किया गया।

विजय लक्ष्मी पांडेय

गंदगी के साथ ही उमस व बदबू झेलने की वजह से कहीं हम लोग संक्रामक बीमारियों के शिकार तो नहीं हैं, इसकी जांच करने कोई नहीं आया। न ही दवा का वितरण हुआ। जबकि 2013 के बाढ़ में स्वास्थ्य टीमों ने पहुंचकर जांच करने के साथ ही दवाई भी दी थी।

कृष्ण कुमार पटेल

बाढ़ के दौरान हम अपने घरों में कैसे रहे, ये हमारा दिल ही जानता है। 18 अगस्त को कटी बिजली तो 28 अगस्त को आई। साफ-सफाई के नाम पर कोई सुविधा नहीं मिली। हम लोगों ने खुद कीटनाशक दवाएं खरीदकर छिड़काव किया।

सरिता देवी दुबे