नमामि गंगे प्रोजेक्ट से बनने वाले सीवर, एसटीपी की क्षमता पर उठा सवाल

जल निगम से जवाब-तलब, जौनपुर शहर में स्वीकृत है सीवर लाइन व एसटीपी

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नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत जौनपुर शहर में स्वीकृत 206 करोड़ पांच लाख रुपये से बनने वाली सीवर लाइन व एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) की क्षमता पर आपत्ति दर्ज कराई गई है। इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है। कोर्ट ने उक्त मामले में उत्तर प्रदेश जल निगम से जवाब मांगा है। यह आदेश जस्टिस विश्वनाथ सोमद्दर और जस्टिस योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने स्वच्छ गोमती समिति अध्यक्ष गौतम गुप्त की जनहित याचिका पर दिया है।

योजना की उपयोगिता पर सवाल

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार गुप्त व पुनीत उपाध्याय ने बहस किया। याची का कहना है कि भारत सरकार ने मिशन फॉर ग्रीन गंगा व रिवर डेवलपमेंट मंत्रालय के जरिए जौनपुर में एसटीपी व सीवेज लाइन लगाने को स्वीकृति दी है। इसके जरिए शहर में 14 नालों को ढंका जाएगा। याची अधिवक्ता का कहना है कि केवल 30 एमएलडी क्षमता की एसटीपी को मंजूरी दी गई है। जबकि 50 एमएलडी जल उत्सर्जन किया जा रहा है। ऐसे प्लांट से गोमती नदी को स्वच्छ रखने की योजना विफल हो जाएगी। अभी हाल ही में नौ वार्ड बढे़ हैं। तीन लाख आबादी के लिए लगाया जाने वाला एसटीपी पर्याप्त नहीं है, क्योंकि उसमें 90 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाएगी और 75 एमएलडी सीवेज उत्सर्जन होगा। याची ने आइआइटी इंजीनियर की सात जनवरी 2018 की रिपोर्ट को आधार बनाकर योजना की उपयोगिता पर सवाल उठाए हैं। याचिका पर अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी।

निदेशक मंडी परिषद 24 फरवरी को तलब

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश मंडी परिषद के निदेशक को 24 फरवरी को हाजिर होने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उनसे परिषद की कार्य प्रणाली पर स्पष्टीकरण मांगा है। यह आदेश जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुमन सिंह की याचिका पर दिया है। निदेशक के ऊपर मृतक आश्रित को नियमित कर्मचारी पद पर नियुक्त न कर वर्कचार्ज कर्मी के रूप में नियुक्त करने का आरोप है। याची का कहना है कि उसे नियमित पद पर नियुक्ति का अधिकार है। लेकिन, उसे वर्कचार्ज कर्मी के रूप में नियुक्त किया गया है। जो सेवा नियमावली के उद्देश्य के विपरीत है।