इलाहाबाद हाई कोर्ट का आदेश मोहल्लों के पार्क और खेल मैदानों से हटाया जाए अतिक्रमण

चीफ सेक्रेट्री जारी करेंगे डायरेक्शन, तीन महीने में पेश करेंगे अनुपालन रिपोर्ट

PRAYAGRAJ: मोहल्लों में स्थित पार्को को पार्क ही रहने दिया जाय। सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि पार्क में न गाडि़यां पार्क की जाएं और न ही उसे कूड़ा डंपिंग ग्राउंड बनने दिया जाय। यह जिम्मेदारी स्थानीय निकायों की है। पार्को और खेल मैदानों का इस्तेमाल किसी रैली या दूसरे आयोजन के लिए भी नहीं हो सकता। इसे सिर्फ टहलने और खेलने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह महत्वपूर्ण आदेश इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दिया है। कोर्ट ने यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्देश देते हुए प्रदेश के चीफ सेक्रेट्री से कहा है कि वह इस संबंध में डायरेक्शन जारी करें। कोर्ट ने चीफ सेक्रेट्री से तीन महीने में अनुपालन आख्या पेश करने को कहा है।

पर्यावरण संरक्षण राज्य का वैधानिक दायित्व

हाईकोर्ट ने कहा है कि पर्यावरण संरक्षण राज्य का वैधानिक दायित्व है। रोजगार और राजस्व पर लोक स्वास्थ्य, जीवन व पर्यावरण को वरीयता दी जानी चाहिए। कहा कि सभी पार्को का स्थानीय निकायों के मार्फत ठीक से रखरखाव किया जाय। जिससे आम लोग पार्को का उपयोग कर सकें। कोर्ट ने कहा कि पार्को में किसी को भी कूड़ा डालने, इकट्ठा करने या अन्य उपयोग में लाने की अनुमति न दी जाए। यह आदेश जस्टिस अभिनव उपाध्याय और प्रकाश पाडिया की बेंच ने रामभजन सिंह की याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि उसके आवास के सामने सेक्टर-11 विजयनगर गाजियाबाद में स्थित नगर निगम के पार्क का अतिक्रमण कर लिया गया है। पार्क का उपयोग वाहन खड़ा करने के लिए किया जा रहा है, जबकि जिलाधिकारी ने कहा कि पार्क के स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस पर कोर्ट ने कहा कि निगम या प्राधिकरण पार्क के रखरखाव करने के लिए कानूनी तौर पर बाध्य हैं। वे अपने वैधानिक दायित्व से बच नहीं सकते।

कूड़ा फेंकना है कानूनन अपराध

कोर्ट ने कानून व सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का हवाला देते हुए कहा कि पार्को, खेल मैदानों के अतिक्रमण पुलिस बल से हटवाएं जाय। पार्क में कूड़ा फेंकना कानूनन अपराध है। ऐसा करने वालों के खिलाफ अर्थ दंड लगाने के साथ एक माह की जेल की सजा दी जा सकती है। स्थानीय निकायों की वैधानिक जिम्मेदारी है कि वह पार्को खेल मैदानों की देखभाल करें।

नहीं कर सकते अधिकार में कटौती

कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद-21 प्रदूषण मुक्त जीवन का अधिकार देता है। विकास के नाम पर उद्योग लगाकर इस अधिकार में कटौती नहीं की जा सकती है। संविधान के अनुच्छेद-51ए नागरिकों के कर्तव्य बताता है। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह पार्को खेल मैदानों की स्वच्छता का ध्यान रखें।