इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुलपति नियुक्ति प्रक्रिया पर हस्तक्षेप से किया इंकार

PRAYAGRAJ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया की खामियों को लेकर दाखिल याचिका पर यह कहते हुए हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया कि याची को विजिटर के समक्ष अपनी शिकायत करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि याची की शिकायत पर विजिटर धारा 10 (11) के अंतर्गत कुलसचिव से कानूनी प्रक्रिया के विपरीत कार्यवाही का स्पष्टीकरण मांगकर अंतिम निर्णय ले सकते हैं।

प्रो। रामसेवक दुबे ने दाखिल की थी याचिका

यह आदेश जस्टिस पंकज भाटिया ने संस्कृत विभाग के प्रो। रामसेवक दुबे की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची का कहना था कि छह मार्च 2020 को दो सदस्यीय सर्च/नियुक्ति समिति नामित किया गया। जिसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति सीएल क्षेत्रपाल व पुणे विश्वविद्यालय के प्रो। गौतम सेन सदस्य हैं। याची का कहना है कि प्रो। क्षेत्रपाल उसके द्वारा दाखिल केस से संबद्ध रहे हैं। इससे वे याची के साथ पक्षपात कर सकते हैं। कानून व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन के तहत कुलपति की नियुक्ति प्रक्रिया से उस विश्वविद्यालय से जुड़ा व्यक्ति संबद्ध नहीं होना चाहिए। प्रो। क्षेत्रपाल को सर्च कमेटी मे रखना कानून का उल्लंघन है। वहीं, विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने कहा कि सर्च कमेटी ने शार्टलिस्टेड करने के बाद 15 लोगों का साक्षात्कार लेकर सूची कुलपति की नियुक्ति के लिए विजिटर को भेज दी है। इस पर कोर्ट ने याची को विजिटर के समक्ष अपनी शिकायत करने का निर्देश दिया है।