-93 साल बाद बना ¨हदुस्तानी एकेडेमी का कुलगीत

PRAYAGRAJ: ब्रिटिश हुकूमत में ¨हदी-उर्दू साहित्य के संवर्धन को स्थापित ¨हदुस्तानी एकेडेमी का कुलगीत बनाया गया है। हर प्रमुख संस्थान की तरह एकेडेमी में होने वाले कार्यक्रम से पहले उसका कुलगीत गाया जाएगा। कवि जयकृष्ण राय 'तुषार' द्वारा 40 लाइन में लिखे गए इस कुलगीत में प्रयागराज के धार्मिक, साहित्यिक व सांस्कृतिक विरासत का बखान है। गुरु गोरखनाथ के नाम पर दिये जाने वाले पुरस्कार का जिक्र है। ऋषि भारद्वाज के साथ योगी का प्रयागराज से नाता जोड़ा गया है। इनके साथ एकेडेमी के मौजूदा अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह को महिमामंडित करते हुए उनके प्रयास की सराहना है। पंत, निराला, अकबर, फिराक, बच्चन, महादेवी जैसे रचनाकारों का जिक्र है। इनके साथ तुलसी व कबीर भी याद किए गए हैं।

29 मार्च 1927 को हुई थी स्थापना

¨हदुस्तानी एकेडेमी की स्थापना 29 मार्च 1927 को की गई थी। तत्कालीन शिक्षा मंत्री राय राजेश्वर बली ने एकेडेमी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। सर तेजबहादुर सप्रू एकेडेमी के पहले अध्यक्ष बनाए गए। इसकी पहली काउंसिल के सदस्य प्रख्यात कथाकार मुंशी प्रेमचंद, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, श्याम सुंदर दास जैसे रचनाकार थे। सप्रू के बाद राय राजेश्वर बली, डॉ। रामकुमार वर्मा, डॉ। जगदीश गुप्त, डॉ। योगेंद्र प्रताप सिंह, न्यायमूर्ति डॉ। सुरेंद्रनाथ द्विवेदी, न्यायमूर्ति कमलाकांत वर्मा, कैलाश गौतम आदि अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। स्थापना के 93 साल की लंबी अवधि के बाद एकेडेमी का कुलगीत तैयार किया गया है। ¨हदुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह का कहना है कि कुलगीत के जरिए ¨हदुस्तानी एकेडेमी का वैभव गान होगा। हर व्यक्ति एकेडेमी व प्रयागराज से खुद को आसानी से जोड़ सकेगा।

सप्रू, पे्रमचंद का जिक्र नहीं

¨हदुस्तानी एकेडेमी के कुलगीत में मौजूदा अध्यक्ष उदय प्रताप सिंह के कार्यो को सराहना मिली है, लेकिन प्रथम अध्यक्ष सर तेजबहादुर सप्रू, प्रथम काउंसिल के सदस्य मुंशी प्रेमचंद, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, श्यामसुंदर दास का कहीं जिक्र नहीं है।