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10344

विवेचनाएं कुल पेंडिंग हैं जिले के अंदर

5938

विवचेनाएं केवल शहरी क्षेत्रों में पेंडिंग

2092

विवेचनाएं लंबित हैं यमुनापार में

2314

मुकदमों की विवेचना लंबित है सिटी में

4518

केसेज की विवेचना में लगाई गई एफआर

11713

केसेज में विवेचना बाद आरोप पत्र पेश

39

मुकदमे विवेचना में किए गए खारिज

-हजारों मुकदमों की लंबित विवेचनाओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं जिम्मेदार

-पीडि़तों को इंसाफ मिलने में विवेचकों की लापरवाही बन रही बाधा

mukesh.chaturvedi@inext.co.in

PRAYAGRAJ: एक तरफ न्याय प्रक्रिया को तेज करने की बातें होती हैं। वहीं दूसरी तरफ केसेज की विवेचना रफ्तार ही नहीं पकड़ पाती। नतीजा इंसाफ की आस जल्दी से पूरी नहीं हो पा रही है। उपेक्षा के कारण विवेचनाओं की फाइलें थानों और चौकियों में धूल फांक रही हैं। विवेचना पूरी न होने से पीडि़त पक्ष भी काफी परेशान हैं। चार्जशीट के अभाव में उन्हें कोर्ट से इंसाफ मिलने में विलंब हो रहा है। इसका अप्रत्यक्ष लाभ मुकदमे से जुड़े आरोपित उठा रहे हैं।

सिटी में हैं सबसे ज्यादा लंबित फाइलें

पब्लिक की सुरक्षा को लेकर जिले के 39 थाने और 90 से अधिक चौकियों में पुलिस के जवान तैनात हैं। अलग-अलग थाना क्षेत्रों में हुई तमाम तरह की घटनाओं में मुकदमे दर्ज किए गए। इन मुकदमों की विवेचनाओं में लापरवाही बरती जा रही है। पुष्ट सूत्रों से प्राप्त लंबित विवेचनाओं के आंकड़े भी यह बात साबित करते हैं। विभागीय आंकड़ों पर यकीन करें तो सबसे ज्यादा पांच हजार 938 मुकदमों की विवेचना अकेले शहरी क्षेत्र में पेंडिंग हैं। मतलब यह कि शहर के 15 थानों में तैनात जिम्मेदारों द्वारा विवेचनाओं में लापरवाही बरती जा रही है। वह मुकदमों की विवेचना में शिद्दत से काम नहीं कर रहे। यदि यमुनापार में लंबित विवेचनाओं की संख्या देखी जाए तो यह 2092 के करीब है। यानी कि यहां भी विवेचकों द्वारा विवेचनाओं की उपेक्षा बरती जा रही है। अब गंगापार में नजर डालें तो यहां भी 2314 मुकदमों की विवेचनाएं आज तक पूरी नहीं हो सकीं। यहां यह बता देना जरूरी है कि यह सभी आंकड़े इस साल 30 नवंबर तक के हैं।

पूर्व में डीजीसी लिख चुके हैं लेटर

जानकार बताते हैं कि विवेचनाएं लंबित होने से कोर्ट की न्यायिक व्यवस्था पर असर पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में समय से इंसाफ न मिल पाने के कारण पीडि़त पक्ष परेशान हैं। वहीं आरोपित पक्ष इसका भरपूर लाभ उठा रहा है। शायद यही कारण है कि अभी कुछ माह पूर्व डीजीसी क्रिमिनल ने एसएसपी सहित तमाम शीर्ष अफसरों को पत्र लिखा था। उन्होंने अपने लिखा में स्पष्ट कहा था कि मुकदमों की विवेचना में विलंब होने से न्यायिक प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। बावजूद इसके बोझ भर लंबित विवेचनाओं के आंकड़ें सिर्फ अफसरों ही नहीं विवेचकों की भी संजीदगी पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

लंबित विवेचनाओं को लेकर माह के शुरुआत में मीटिंग की गई थी। सभी क्षेत्राधिकारियों व इंस्पेक्टरों को प्रति दिन 100 विवेचनाओं को पूरा करवाने के निर्देश दिए गए हैं। अगली मीटिंग में प्रगति की स्थिति देखने के बाद ही हम कुछ बता पाएंगे।

-सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज, एसएसपी प्रयागराज