जमीन के लिए अपनों का कत्ल करने वालों को वारिश नहीं मानता कानून

PRAYAGRAJ: नावल्द इरफान व उसकी पत्‍‌नी हुस्ना का खून करने के बाद भी भाई एवं भतीजों की जमीन वाली भूख नहीं मिट सकेगी। कानून जमीन के लिए अपनों का कत्ल करने वालों को वारिश नहीं मानता। अधिवक्ताओं की मानें तो कातिल भाई ही नहीं यदि बेटा बाप का कातिल होगा तो उसे भी इस अधिकार से हाथ धोना पड़ेगा। इसकी सिर्फ एक कंडीशन है कि जुर्म साबित हो जाय।

इससे भले तो बेदाग ही थे

इरफान व उसकी पत्‍‌नी हुस्ना की हत्या में चार भतीजे और उसका भाई आरोपित है। घटना के बाद एक सवाल उठा कि दम्पति का अपना कोई वारिस नहीं है तो उसकी प्रापर्टी हत्यारे होने के बाद भी इरफान के भाई-भतीजों को चली जाएगी। इस सवाल की हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने कई अधिवक्ताओं से बात की। अधिवक्ताओं ने जो बातें बताई वह आरोपितों की मंशा पर पानी फेरने वाली रहीं। उनका कहना था कि जमीन के वारिश वही होते हैं जिनका खून का रिश्ता हो। मगर, जमीन के लिए कत्ल बेटा बाप का करे या भाई-भाई का, ऐसे मामलों में कातिल मृतक के जायदाद के वारिश नहीं हो सकते।

उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 की धारा 114 कहती है कि अपने खून के रिश्ते में जमीन के लिए कत्ल करने वाला व्यक्ति मृतक की सम्पत्ति का वारिश नहीं हो सका। यह कानून 2015 में लागू हो चुका है।

भोलानाथ यादव,

अधिवक्ता/राजस्व संहिता कमेटी के सदस्य

क्राइम और रेवन्यू का मामला दोनों अलग-अलग चीजें हैं। जमीन के लिए किसी ने कत्ल किया तो उसके खिलाफ आरोप साबित होने पर 302 के तहत वर्णित सजाएं कोर्ट मुकर्रर करता है। जमीन के वारिश का मामला रेवन्यू कोर्ट का होता है। यह सच है कि कातिल मृत की सम्पत्ति के वारिश नहीं होंगे। शर्त यह है कि आरोप साबित हो और सजा मिले।

लल्लन सिंह,

अधिवक्ता फौजदारी

इरफान व उसकी पत्‍‌नी के कत्ल में आरोपित पर आरोप कोर्ट में साबित हो जाते हैं तो वह उसकी सम्पत्ति के वारिश नहीं हो सकते। कोर्ट उन्हें बरी कर देता है तो वे वारिस हो सकते हैं। कानून कहना है कि अपनों का कत्ल करने वाला शख्स उसकी प्रॉपर्टी का वारिश नहीं होगा।

सुरेंद्र श्रीवास्तव,

सीनियर अधिवक्ता

आरोपित, मृतक की सम्पत्ति के वारिश कतई नहीं हो सकते। मृतक के कोई च्च्चे नहीं हैं। ऐसे में उसके हक की जमीन का वारिश उसकी बहन हो सकती है। आरोपितों के बाद मृतक से यदि अब किसी का ब्लड रिलेशन है तो उसकी बहन का ही है। आरोपित बेगुनाह साबित हो भी गए तो उन्हें अपनी बहन से एनओसी लाना ही पड़ेगा। क्योंकि पिता की सम्पत्ति में बहन के हक का प्राविधान है।

जयशंकर शुक्ल,

सीनियर अधिवक्ता

मृतक के पास आरोपित के सिवाय दूसरा कोई ब्लड रिलेटिव नहीं है तो सम्पत्ति का अधिकार उसे ही मिलता है। मगर, मृतक या मृतक के पिता की कोई और संतान है तो जमीन का हकदार आरोपितों के बाद वही होगा।

चंद्रजीत यादव, अधिवक्ता

भाई द्वारा नावल्द भाई और उसकी पत्‍‌नी का कत्ल जमीन के लिए किए जाने पर भारतीय दंड संहिता में धारा 302 के तहत उसे सजा मिलेगी। इस सजा का असर उसके अन्य अधिकारों पर नहीं पड़ेगा। मतलब यह कि वह आरोपित होते हुए भी वारिश बन सकता है। यह बात दीगर है कि उसके गुनाह को देखते हुए कोर्ट सम्पत्ति को बहन है तो उसके हक में भी बराबर-बराबर बांट दे।

आरके उमंग,

स्टैंडिग कौंशिल भारत सरकार

जब तक सजा साबित नहीं होती आरोपित मृतक की सम्पत्ति का वारिशाना अधिकार रखते हैं। गुनाह कोर्ट में साबित होने के बाद उसे उस धारा केतहत सजा मिलेगी तभी अभियुक्त मृतक की सम्पत्ति का वारिसाना हक खो देंगें।

चंद्रजीत यादव, अधिवक्ता।