-एक करोड़ लोगों ने मौनी अमावस्या पर लगाई पुण्य की डुबकी

-कई किमी पैदल चलने के बाद पहुंचे संगम, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से बरसाए गए फूल

PRAYAGRAJ: मौनी अमावस्या पर प्रशासन का क्राउड मैनेजमेंट प्लान श्रद्धालुओं के लिए थोड़ा कष्टदायी रहा। उन्हें कई किमी पैदल चलने के बाद पुण्य की डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इससे महिलाओं, बुजुर्गो और बच्चों को काफी प्रॉब्लम हुई। लोगों ने बताया कि बसों को स्टैंड से पहले ही रोक दिया गया था। वहां से पैदल चलकर संगम तक पहुंचना पड़ा। उधर, मौनी अमावस्या पर एक करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई। इस दौरान बीच-बीच में उन पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा भी की जाती रही।

हर तरफ से बंद रहे साधन

मेले में आने वाली करोड़ों की भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस व प्रशासन ने पहले ही प्लान बना लिया था। इसके चलते रेलवे स्टेशन से मेला एरिया तक वन वे प्लान बनाया गया था। यात्रियों को सिविल लाइंस साइड से घुमाकर एमजी मार्ग से संगम पहुंचाया जा रहा था। इसी तरह झूंसी स्टैंड पर बसों को रोककर यात्रियों को पैदल भेजा गया। तेलियरगंज में प्रिंटिंग स्कूल और कानपुर की बसों को भी जीजीआईसी के पास रोका गया था। इससे श्रद्धालुओं को अधिक पैदल चलना पड़ा। जो लोग प्रयागघाट स्टेशन पर उतरे थे उन्हें पांच नंबर पुल दारागंज से एंट्री दी गई। उन्हें चार नंबर पुल पर ही नहला दिया गया। यहां से संगम जाने वालों को लंबी दूरी तय करनी पड़ी। नैनी से आने वाले नए यमुना पुल से प्रवेश कर परेड ग्राउंड होकर संगम पहुंचे। इसी तरह पत्थरगिरिजाघर से श्रद्धालुओं को संगम तक जाना पड़ा।

कम नहीं हुआ उत्साह

मौनी अमावस्या पर धूप तो खिली थी लेकिन ठंडी तेज हवाओं के साथ मौसम में भी गलन थी। बावजूद इसके श्रद्धालुआं का रेला रात एक बजे से संगम सहित तमाम स्नान घाटों पर उमड़ने लगा। भीषण ठंड के बावजूद उनका उत्साह देखते बन रहा था। श्रद्धालुओं ने हर-हर गंगे और हर-हर महादेव का उद्घोष कर गंगा में डुबकी लगाई। इस बीच संगम पर हेलीकॅाप्टर से पुष्प वर्षा भी की गई। जिससे डुबकी लगा रहे श्रद्धालु गदगद हो गए।

दोपहर में निकले शहर के लोग

रात से लेकर दोपहर बारह बजे तक बाहर से आए श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। दोपहर से लोकल लोगों के आने का क्रम शुरू हो गया। लोग अपनी फोर और टू व्हीलर लेकर मेले में घुसने की कोशिश कर रहे थे। उनको रोकने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। प्रत्येक एंट्री प्वाइंट पर ऐसे वाकए देखने को मिले। शाम होते-होते ऑटो, ई रिक्शा और टैंपो को मेले के नजदीक तक जाने की छूट दे दी गई थी।

रात में तेलियरगंज में बस से उतरा था। घाट तक आने में काफी टाइम लग गया। हमलोगों को कोई भी साधन नहीं मिला। कई किमी तक पैदल सफर तय करना पड़ा।

-राम प्रसाद, बाराबंकी

शहर की सड़कों पर अधिक भीड़ नहीं थी। इसलिए प्रशासन को ट्रांसपोर्ट के वाहनों को मेले के नजदीक तक आने देना चाहिए था। इससे लोगों को अधिक पैदल नहीं चलना पड़ता।

-सुरेंद्र, सीतापुर

मेले में सुविधाएं बेहतर हैं। अब इतनी भीड़ है तो थोड़ा तो पैदल चलना ही पड़ेगा। मेरे हिसाब से सबकुछ ठीक-ठाक है। बुजुर्गो के लिए वाहनों की सुविधा दी जानी देनी चाहिए।

-कमलनाथ, गोंडा

गंगा के पानी में थोड़ी साफ-सफाई होनी चाहिए। जो लोग फूल माला फेंक रहे हैं उनको रोक देना चाहिए। सरकार का भी कहना है कि गंगा में नहाएं, गंदगी न फेंकें।

-मिथिलेश, जौनपुर

झूंसी स्टैंड पर बस से उतार दिया गया था। इसके बाद वहां से कोई साधन नहीं मिला। काफी लंबी दूरी तक पैदल चलने पर मजबूर होना पड़ा है।

-ब्रजेश कुमार, बहराइच

इंतजाम ठीक थे लेकिन कहीं-कहीं पुलिस काफी सख्ती से पेश आ रही थी। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं से अच्छे से बात करनी चाहिए।

-बांकेलाल, खीरी