-ट्रूनॉट मशीनें लगाने के लिए आगे आए शहर के प्राइवेट हॉस्पिटल्स

-तीन ने दिया ऑर्डर, आईसीएमआर और एनएबीएच की परमिशन का इंतजार

PRAYAGRAJ: कोरोना मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स में फटाफट इलाज मिलेगा। यहां पर ट्रूनॉट मशीनें लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इस मामले में फिलहाल तीन हॉस्पिटल आगे आए हैं। इनकी ओर से मशीन का ऑर्डर दे दिया गया है। अब आईसीएमआर और एनएबीएच की परमिशन का इंतजार किया जा रहा है। बता दें कि इस मशीन से कोरोना पॉजिटिव मरीज की पहचान आसानी से की जा सकेगी। निगेटिव आने पर हॉस्पिटल उसका तत्काल इलाज शुरू कर सकेंगे।

प्रशासन ने दिया था निर्देश

पिछले दिनों प्रशासन ने मीटिंग के दौरान शहर के निजी नर्सिग होम्स को ट्रूनॉट मशीन लगाने के निर्देश दिए थे। इसमें कहा गया था कि यह मशीन लगाने के बाद फटाफट कोविड मरीज की पहचान हो जाएगी। इससे उसका इलाज शुरू किया जा सकेगा। शहर के 15 नर्सिग होम्स को इसके लिए आदेश दिए गए थे। अभी तक इन नर्सिग होम्स में कोरोना पॉजिटिव मरीज की रिपोर्ट का दो दिन तक इंतजार करना पड़ता है। जबकि यह मशीन 45 मिनट में रिपोर्ट दे देती है।

यहां से हो गई शुरुआत

फिलहाल तीन हॉस्पिटल्स ने इस दिशा में पहल की है। इनमें वात्सल्य हॉस्पिटल, नाजरेथ हॉस्पिटल और शकुंतला हॉस्पिटल शामिल हैं। इन तीनों हॉस्पिटल ने मशीन का ऑर्डर कर दिया है। अब ये ऑफिशियल परमिशन का इंतजार कर रहे हैं। एक्रेडिशन मिलने के बाद इन हॉस्पिटल्स में भर्ती होने वाले मरीजों की रिपोर्ट आने के बाद उनका इलाज शुरू किया जा सकेगा।

इसलिए जरूरी है ट्रूनाट

-शहर के काल्विन, कमला नेहरू और मेडिकल कॉलेज में लगाई गई है ट्रूनॉट मशीन।

-45 मिनट में मिल जाती है निगेटिव और सस्पेक्टेड पाजिटिव की रिपोर्ट।

-इसके बाद सस्पेक्टेड मरीज को इलाज के लिए कोविड हॉस्पिटल भेज दिया जाता है।

-वर्तमान में प्राइवेट में आने वाले मरीजों की रिपोर्ट दो दिन बाद आती है।

-तब तक मरीज को इलाज से वंचित रहना पड़ता है।

-हाल के दिनों में भर्ती होने के बाद मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर कई नर्सिग होम को सील करना पड़ा।

-समय पर रिपोर्ट नहीं मिलने से डॉक्टर और स्टाफ के संक्रमित होने का खतरा बना रहता है।

-कम से कम ट्रूनॉट में निगेटिव आने वाले मरीज का इलाज शुरू हो जाता है।

-प्राइवेट हॉस्पिटल में यह मशीन लग जाने के बाद कई मरीजों लाभ प्राप्त होगा।

प्रशासन के आदेश पर प्राइवेट हॉस्पिटल्स ने ट्रूनॉट मशीन लगाने की कवायद शुरू कर दी है। तीन हॉस्पिटल्स आगे आए हैं और बाकी हॉस्पिटल भी प्रॉसेस को समझने की कोशिश कर रहे हैं। यह महंगी मशीन है और इसमें आईसीएमआर और एनएबीएच के एक्रेडिशन की भी जरूरत होती है।

-डॉ। राधारानी घोष, अध्यक्ष, एएमए