05

जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल को किया गया था छलनी

19

गोलियां राजू पाल के शरीर में धंसी थीं, पीएम रिपोर्ट से पता चला

02

साथियों की भी शूटरों की गोली लगने से हो गई थी मौत

02

महिला, दो पुरुष हुए थे घटना में घायल

-बसपा विधायक राजू पाल को घेरकर बरसाई गई थीं गोलियां

-गोलियों की तड़तड़ाहट के दूसरे दिन सियासी आग में झुलस उठा था पूरा शहर

PRAYAGRAJ: वांटेड अशरफ की गिरफ्तारी से बसपा विधायक राजू पाल मर्डर केस फिर से चर्चा में आ गया। वारदात को याद कर शहर एक बार फिर सिहर उठा। पांच जनवरी 2005 को बरसाई गई ताबड़तोड़ गोलियों से शहर की शांत फिजा सहम गई थी। कुछ ही घंटों में पूरा शहर सियासत की आग में झुलसने लगा था। जिस दिन लोग गणतंत्र दिवस मनाने जा रहे थे, उस दिन पूरे शहर में जगह-जगह तोड़फोड़ हुई। कई गाडि़यों को आग के हवाले कर दिया गया था। इस वारदात की वजह विधानसभा के उपचुनाव में अशरफ को मिली हार की खिसियाहट बताई गई थी।

घर जाते समय बरसाई थीं गोलियां

बसपा विधायक राजू पाल की हत्या बिल्कुल फिल्मी अंदाज में की गई थी। बताते हैं कि 25 जनवरी को राजू पाल गांव के ही एक छात्र की हत्या के सम्बंध में पोस्टमार्टम हाउस गए हुए थे। पोस्टमार्टम हाउस से क्वॉलिस गाड़ी को खुद ड्राइव कर दोपहर बाद करीब तीन बजे वह घर वापस लौट रहे थे। चौफटका के पास उन्हें करेली निवासी दोस्त सादिक व उसकी पत्‍‌नी रुखसाना मिल गई। राजू ने रुखसाना को गाड़ी में बैठाकर दोस्त को स्कूटी से घर आने के लिए कहा। उनके पीछे काफिले में एक अन्य गाड़ी स्कार्पियो थी। दोनों गाडि़यों में एक-एक गनर भी बैठे थे। वहां से वह गाडि़यां लेकर घर की तरफ बढ़े। नीवां क्रॉसिंग के पास पहले राजू पाल की गाड़ी के सामने एक चार पहिया वाहन खड़ा कर दिया गया। इसके बाद राइफल, बंदूक सहित अन्य हथियारों से लैस शूटरों ने राजू पाल पर गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। गोलियों से राजू पाल की गाड़ी में दर्जनों छेद हो गए। गोलियों की आवाज सुन चारों तरफ दहशत फैल गई।

जान पर खेल गए थे समर्थक

घायल राजू पाल को समर्थक टैम्पो में बैठाकर एक प्राइवेट हॉस्टिल ले जा रहे थे। शूटरों को लगा कि राजू अभी जिंदा हैं और चलती टैंपो को घेरकर फिर फायरिंग शुरू कर दी। इस तरह नीवा क्रॉसिंग से रामबाग तक उन पर गोलियां बरसाई जाती रहीं। घटना से शहर में अफरा तफरी मच गई। जान बचा कर लोग इधर-उधर भागने लगे थे। हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने राजू पाल को मृत घोषित कर दिया था। शूटरों के बंदूक से निकली करीब 19 गोलियां उनके शरीर धंसी थीं। पुलिस के मुताबिक यह बात पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मालूम चली थी। इस घटना में राजू पाल के दो साथी देवी लाल पाल और संदीप यादव की भी मौत हो गई थी। जबकि रुखसाना, सैफ उर्फ सैफुल्ला और ओम प्रकाश पाल गोली लगने से घायल हो गए थे।

अतीक व अशरफ समेत नौ थे नामजद

विधायक राजू पाल की मौत से गम में डूबी नवविवाहिता पूजा पाल पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। वह समर्थकों संग धूमनगंज थाने पहुंची। पूजा पाल द्वारा फूलपुर के तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, इनके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीत पाल, गुफरान सहित नौ लोगों के खिलाफ तहरीर दी गई। तहरीर के आधार पर पुलिस ने सभी के खिलाफ 147, 148, 149, 307, 302, 120 सहित कई धाराएं लगाते हुए 7-सीएलएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया

राजू पाल पर भी थे कई मुकदमे

अपराध की गलियों से होकर राजू पाल का भी इतिहास गुजरा था। धूमनगंज एरिया के नीवां गांव निवासी राजू पाल की पढ़ाई-लिखाई कक्षा आठ तक ही हुई थी। इसके बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी। घर का इकलौता होने के नाते परिवार के वह लाडले थे। आसपास के क्षेत्रों में मारपीट से बढ़े उनके कदम क्राइम के कीचड़ में कब धंस गए उन्हें पता ही नहीं चला होगा। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक 1992 में धूमनगंज थाने में सबसे पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद मुकदमों की फेहरिश्त लम्बी होती चली गई। उनपर भी दो हत्या, 10 हत्या के प्रयास सहित करीब 25 मुकदमे दर्ज थे।

2016 से अंडर ग्राउंड था अशरफ

राजू पाल मर्डर केस के बाद पुलिस ने 6 अप्रैल 2005 को स्थानीय अदालत में अतीक और अशरफ सहित 11 लोगों के विरुद्ध आरोप पत्र पेश किया।

-आरोप पत्र में पुलिस द्वारा अशरफ और राजू पाल के चुनावी अदावत के जिक्र की बात बताई गई थी

-दिसंबर 2008 में सरकार द्वारा यूपी सीबी सीआईडी को जांच ट्रांसफार्मर कर दिया, इसी टीम ने अन्य सात आरोपितों का आरोप पत्र सौंपा

-जांच के बाद पूरा मामला 22 जनवरी 2016 को सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई ने अतीक व अशरफ समेत 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।

तभी से आरोपित अतीक का भाई अशरफ अंडर ग्राउंड हो गया था और पुलिस तलाश में थे।

-सीबीआई द्वारा सुबूत न मिलने पर सात अन्य आरोपितों को क्लीन चिट दे दी गई थी, जिन्हें पुलिस और बाद में क्राइम ब्रांच ने चार्जशीटेड किया था।