दो को अयोग्य होने के बावजूद कराया ज्वाइन

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने सात नये सरकारी वकीलों की नियुक्ति की है। इनमें दो निर्धारित अनुभव योग्यता ही नहीं रखते। इसके बावजूद उन्हें भी ज्वाइन करा लिया गया है। इससे पहले अनुभव योग्यता न रखने के कारण नियुक्त सरकारी वकीलों को ज्वाइन कराने से इन्कार कर दिया गया था।

गवर्नमेंट ने तब स्वीकारी थी गलती

इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ व लखनऊ पीठ में प्रदेश के पौने दो हजार सरकारी वकील हैं। प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद ही सैकड़ों पुराने सरकारी वकीलों को हटाकर नये वकील नियुक्त किए गए। लेकिन, बिना अनुभव योग्यता देखे नियुक्ति कर दी गयी। हाईकोर्ट में राज्य सरकार ने गलती मानी और समीक्षा के लिए महाधिवक्ता सहित शीर्ष अधिकारियों की एक कमेटी बनायी गयी। इसके बाद योग्यता न रखने वाले वकील हटा दिये गये। इसके बाद जो लिस्ट आयी उसमें भी योग्यता न रखने वाले वकीलों को कार्यभार नहीं सौंपा गया। 60 साल से अधिक आयु के वाद धारकों को भी हटा दिया गया।

दस साल की प्रैक्टिस अनिवार्य

विधि परामर्शी मैनुअल में सरकारी वकीलों की नियुक्ति के लिए स्थायी अधिवक्ता, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता, मुख्य स्थायी अधिवक्ता पद के लिए 10 साल की वकालत जरूरी है।

इसी तरह अपर शासकीय अधिवक्ता व शासकीय अधिवक्ता पद के लिए सात साल की वकालत जरूरी है।

वाद धारकों के लिए पांच साल की वकालत और 60 साल आयु तक तैनाती के नियम है।

लेकिन, सात नवनियुक्त वकीलों में अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता बने वकील का नौ वर्ष का अनुभव है।

स्थायी अधिवक्ता बनी वकील का आठ साल अनुभव है।