इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी समेत 30 प्रोफेसरों को जारी हुई नोटिस

इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) को अचानक 19 बरस बाद शिक्षकों द्वारा एडवांस में लेकर खर्च किए धन की याद आ गई। कुछ रकम तो ऐसी भी है, जिसे विश्वविद्यालय को भी जानकारी नहीं है कि प्रोफेसर ने क्यों धन लिया था? इविवि प्रशासन ने जेके इंस्टीट्यूट आफ एप्लाइड फिजिक्स एंड टेक्नोलाजी विभाग के प्रोफेसर और कार्यवाहक कुलपति रहे प्रो। आरआर तिवारी समेत 30 प्रोफेसरों को पत्र भेजकर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। जवाब नहीं देने पर रिकवरी की जाएगी। किताबों वापस नहीं करने के एवज में इविवि प्रशासन ने पूर्व कुलपति की पेंशन की प्रक्रिया पर पहले ही रोक लगा दी गई है।

पैसा लेकर नहीं सब्मिट किया डिटेल

दरअसल, इविवि में किसी भी छोटे कार्य के लिए शिक्षकों को एडवांस में रकम देने का प्रविधान है। आधिकारिक तौर पर विश्वविद्यालय के किसी कार्य से दूसरे शहर अथवा राज्य में जाने पर भी एडवांस की व्यवस्था है। बाद में वित्त विभाग को बतौर एडजस्टमेंट ब्यौरा देना होता है। जैसा कि कितने रुपये और कहां पर खर्च किए गए। रकम का विवरण नहीं देने पर यह बकाए की श्रेणी में गिना जाता है। कुलपति ने बकाएदारों की सूची तैयार कर उन्हें पत्र भेजने को निर्देश दिए। पत्र में कहा कि तय समय में जवाब नहीं देने पर पेंशन के लिए नो ड्यूज नहीं जारी होगा। पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी ने कहा कि पत्र का जवाब जल्द देंगे। जनसंपर्क अधिकारी डाक्टर जया कपूर ने रूटीन मैटर बताकर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

19 साल बाद पत्र पर सवाल

इविवि प्रशासन की तरफ से 19 साल बाद पत्र जारी कर खर्च का ब्यौरा मांगने पर सवाल उठ रहे हैं। यह मामला 2002 का है। उस वक्त इविवि को केंद्रीय विवि का दर्जा नहीं मिला था। सवाल उठ रहे हैं कि अब तक इविवि ने ब्यौरा क्यों नहीं मांगा?