प्रयागराज (ब्यूरो)। Prayagraj Crime News: इंटर पास करके बीए में प्रवेश कर चुके 18 वर्षीय युवक के दिमाग में कत्ल का इतना शातिर प्लान कैसे आया? आम आदमी ही नहीं, पुलिस तक को भ्रम में डाल देने वाली क्राइम की स्क्रिप्ट का चैप्टर आखिर वह कहां देखा और पढ़ा था। जी हां, हम बात कर रहे हैं करेली भावापुर निवासी रेलवे के लोको पायलट 62 साल के आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव के कातिल आदित्य कुमार मौर्य उर्फ यश की। उसके कत्ल का तरीका टीवी पर दिखाई जाने वाली किसी मिस्टीरियस क्राइम मिस्ट्री से कम नहीं था। किए गए कत्ल के एक-एक सुबूत और साक्ष्य को मिटाने की उसके द्वारा पूरी कोशिश की गई थी। पेशेवर खूनी की तरह उसने पूरी घटना को हादसा में कन्वर्ट करने का एक भी प्रयास नहीं छोड़ा। मगर, कहते हैं ना कि कातिल कोई न कोई सुराग छोड़ ही देता है। बस हाथ लगे एक सुराग से डीसीपी सिटी की पुलिस टीक उसके खूनी दामन तक आखिरकार पहुंच ही गई। गिरफ्तारी करके पुलिस के द्वारा इस पूरी घटना का खुलासा किया गया, पर गुनाह का इतना बड़ा प्लान वह अकेले बनाया था, या फिर किसी और का हाथ है? फिलहाल इस बात का पता लगाने के लिए ही पुलिस अब केस की विवेचना में जुटी हुई है। यह कत्ल सिर्फ एक घटना ही नहीं बल्कि उन तमाम अभिभावकों के लिए सबक भी है, जिनके पढऩे वाले या बेरोजगार लाडले बगैर सपोर्ट व दिए लाखों के बेशकीमती शौक कर रहे हैं।
खत्म न हो जाए कॅरियर
दरअसल लोको पायलट आनन्द प्रकाश कुछ साल पहले बीआरएस ले चुके थे। उनका मकान करेली एरिया में सावित्री गार्डेन के पीछे स्थित भावापुर मोहल्ले में है। पत्नी की साल भर पूर्व मौत हो चुकी थी। पुलिस के मुताबिक उसकी बेटी का भी निधन हो चुका है। पिछले महीने 21 अगस्त की रात साढ़े आठ बजे के करीब आनन्द का शव घर के अंदर बिस्तर पर मिला था। उसकी आधी बॉडी जली हुई थी। पोस्टमार्टम में मौत का कारण डॉक्टरों के द्वारा विद्युत करंट पाया गया था। यह सब देख आम लोग ही नहीं पुलिस भी करंट व शार्ट सर्किट से उसकी मौत मान बैठी थी। मगर कहीं न कहीं पुलिस के जेहन में घटना को लेकर शक का तूफान उठ रहा था।
ट्रांजैक्शन ने दिखाया रास्ता
पुलिस उधेड़ बुन में लगी ही थी कि मृतक के भतीजे ने 27 अगस्त को खबर दिया कि चाचा के खाते से करीब पांच लाख रुपये निकाले गए हैं। फिर क्या था। इतना मालूम चलते ही पुलिस को अंधेरे में घटना के तह तक जाने का रास्ता मिल गया। पुलिस के द्वारा मृतक के बैंक अकाउंट को खांगाला गया तो मालूम हुआ कि उसके अकाउंट से ऑनलाइन खरीदारी की गई है। पुलिस ने शापिंग की डिटेल निकाली तो मालूम चला कि डेबिट कार्ड से आईफोन, ईयरपॉड, फोन कवर व महंगे ऐसेसरीज आदि खरीदे गए हैं। इसके बाद पुलिस ई.कामर्स वेबसाइट से कस्टमर का रिकार्ड निकाली तो शातिर कातिल आदित्य का नाम सामने आया। बस उसका नाम सामने आते ही पुलिस दबोच ली। पूछताछ में वह वृद्ध के कत्ल को स्वीकार करते हुए पूरा सच उगल दिया। पूरा सच चौंकाने वाला तो था ही यह भी संकेत दे गया कि इस चक्कर में छात्र का कॅरियर भी चौपट हो सकता है।
विश्वास में ऐसे कोई करता है क्या
पुलिस ने यश से पूछताछ की तो उसने खुद जुर्म स्वीकार करते हुए पुलिस को बताया कि वृद्ध आनन्द अकेले रहता था। पड़ोस में रहने के नाते वे अक्सर मदद के लिए उसे बुला लिया गया था। धीरे-धीरे वृद्ध उसपर विश्वास करने लगा था। आनन्द को क्या पता था कि खाते में बीस लाख रुपये होने की बात बताते ही वह उसकी जान का दुश्मन बन जाएगा। खाते में बीस लाख की बात सुनते ही यश के दिमाग में वृद्ध के साथ विश्वास घात का मास्टर प्लान नाचने लगा। वह 21 अगस्त को उसके घर उस वक्त पहुंचा जब वे दरवाजा खोलकर सो रहा था। चुपके से उसका डेबिट कार्ड चुरा कर भाग ही रहा था कि वृद्ध की नींद खुल और वह बेहद शातिर तरीके से उसका कत्ल करके कार्ड लेकर भाग निकला था।