प्रयागराज (ब्‍यूरो)। न जाने कितने मौसम आए और गए। न जाने कैसे कैसे माहौल को देखा। आजादी का आंदोलन देखा। देश की आजादी देखी। पराधीन भारत को देखा और देखा आजाद भारत को। तमाम उतार चढ़ाव देखा, मगर शिक्षा देने का संकल्प अनवरत चलता रहा। डेढ़ सौ साल की स्मृतियों को अपने अंदर सहेजे एंग्लो बंगाली स्कूल आज भी अपने संकल्प पर अडिग है। समय के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले एंग्लो बंगाली स्कूल का 150 वां स्थापना दिवस 14 फरवरी को पूरी भव्यता के साथ मनाया जाएगा।

1875 से शुरू हुआ शिक्षा का संकल्प
पंडित विश्वनाथ भट्टाचार्य ने शाहगंज स्थित एक वीथिका में पाठशाला शुरू की। वहीं, शीतला प्रसाद गुप्त ने अपने आवास पर कुछ छात्रों को लेकर अध्यापन आरम्भ किया। 1877 में पंडित विश्वनाथ भट्टाचार्य व सीताराम भट्टाचार्य के संयुक्त प्रयासों से यह पाठशाला बांग्ला स्कूल के नाम से अस्तित्व में आई। 1884 में इस पाठशाला का नाम एंग्लो बंगाली स्कूल हुआ। एंग्लो बंगाली स्कूल भवन का उद्घाटन 28 नवंबर 1899 में तात्कालीन हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सर आर्थर स्ट्रैची के द्वारा किया गया। 1948 में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ने इसे मान्यता दी। 1950 में हाई स्कूल का प्रथम बैच व 1952 में इंटरमीडिएट का प्रथम बैच शुरू किया गया।

विद्यालय पर जारी है डाक टिकट
एंग्लो बंगाली स्कूल का 125 वां स्थापना दिवस सन 2000 में मनाया गया। विद्यालय की 125 वीं जयंती पर भारतीय डाक विभाग ने विद्यालय पर डाक टिकट जारी किया गया।

समय के साथ कदम से कदम
मौजूदा समय में स्कूल में बीस स्मार्ट क्लास है। इसके अलावा भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, कम्प्यूटर कक्ष का नवीनीकरण कराया गया है। गणित सब्जेक्ट के लिए भी प्रयोगशाला स्थापित की गई है। स्कूल में एक हजार छात्र पढृ रहे हैं।

स्थापना दिवस पर होगा कार्यक्रम
एंग्लो बंगाली स्कूल का 150 वां स्थापना दिवस 14 फरवरी को मनाया जाएगा। स्थापना दिवस कार्यक्रम में हाईकोर्ट के न्यायाधीश नीरज तिवारी मुख्य अतिथि होंगे। यह जानकारी प्रबंधक प्रो.असीम कुमार मुखर्जी ने दी।